CM Hemant Soren disqualification: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता जानी लगभग तय मानी जा रही है। बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे का दावा है कि चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से रांची के अनगड़ा में पत्थर खनन लीज मामले में बीजेपी नेताओं ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग राज्यपाल से की थी।
रांची: भारत निर्वाचन आयोग ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन पट्टा मामले में अपना मंतव्य राजभवन को भेज दिया है। राजभवन सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल दोपहर करीब डेढ़ बजे दिल्ली से वापस रांची लौटेंगे। राज्यपाल रमेश बैस पिछले तीन दिनों से दिल्ली में थे और उनकी यात्रा को निजी दौरा बताया गया था। राज्यपाल के रांची वापस लौटने के बाद ही चुनाव आयोग की ओर से भेजी गयी सीलबंद रिपोर्ट को खोला जाएगा। फिलहाल चुनाव आयोग का पत्र राजभवन को प्राप्त हो जाने की सूचना पर झारखंड में राजनीतिक हलचल बढ़ गयी है। बीजेपी के गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे की ओर से दावा किया गया है कि चुनाव आयोग का पत्र राजभवन पहुंच गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द होगी या उन्हें क्लीनचिट मिल जाएगा, इसका खुलासा अब जल्द ही होने की संभावना है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से रांची के अनगड़ा में पत्थर खनन लीज मामले में बीजेपी नेताओं ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग राज्यपाल से की थी।
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत अन्य बीजेपी नेताओं की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भारत के संविधान के अनुच्देद 191 (ई) के साथ-साथ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 (ए) के तहत पत्थर खनन का पट्टा प्राप्त करने के लिए अयोग्य किया जाना चाहिए। बीजेपी नेताओं की इस शिकायत के बाद राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत चुनाव आयोग से परामर्श मांगा था।
आयोग ने सीएस से रिपोर्ट मिलने पर सीएम को जारी किया था नोटिस
राज्यपाल के परामर्श मांगने के बाद चुनाव आयोग की ओर से मुख्य सचिव से भी रिपोर्ट मांगी गयी। मुख्य सचिव की ओर से खनन लीज के मामले में अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंप दी गयी, जिसके बाद आयोग की ओर से सीएम हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर पूछा गया कि क्यों नहीं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएं। इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से अपना पक्ष अधिवक्ता के माध्यम से चुनाव आयोग में रखने का काम किया गया।हेमंत सोरेन के वकील ने आयोग के समक्ष दलीलें रखे जाने के दौरान कहा कि मामला लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के तहत नहीं आता है, जो सरकारी अनुबंधों के लिए अयोग्यता से संबंधित है। निर्वाचन आयोग ने 18 अगस्त को इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली है। अब आयोग अपनी राय से झारखंड के राज्यपाल को अवगत करायेगा।