हिमाचल के कुल्लू स्थित अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के लिए नियमित आने वाले देवी-देवताओं को दशहरा कमेटी की ओर से निमंत्रण दिया गया है। लेकिन कुछ देवी-देवता ऐसे भी हैं जो काफी सालों के बाद उत्सव में शरीक होने पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में इस बार पार्वती घाटी के जरी फाटी के आराध्य देवता काली नाग भी 80 वर्ष से ज्यादा समय के बाद शामिल होंगे।
जिसको लेकर तैयारियां की जा रही हैं। देवता के कई सालों बाद दशहरा में शामिल होने को लेकर हरियानों में खुशी की लहर है। कारकूनों के अनुसार दशहरा में शामिल होने के लिए देवता ने आदेश दिया है। इसके बाद देवता कमेटी व हरियानों के बीच सहमति बनी। देवता काली नाग 4 अक्टूबर को मतेऊडा गांव से प्रस्थान करेंगे और दशहरा उत्सव के लिए अठारह करडू की सौह में पहुंचेंगे।
देवका काली नाग यहां पहुंचकर भगवान रघुनाथ जी के दरबार में हाजिरी भरेंगे। दशहरा उत्सव के दौरान देवता अपने अस्थाई शिविर महाविद्यालय कुल्लू के गेट के पास ठहरेंगे। देव समाज के अनुसार इससे पहले देवता करीब 80 साल पहले तक उत्सव में आते रहे हैं। उसके बाद देवता कुल्लू दशहरा उत्सव में नहीं आए थे।
गौरतलब है कि कुल्लू दशहरा उत्सव में आने वाले देवी-देवताओं में प्रशासनिक रिकॉर्ड में सबसे अधिक 365 देवी-देवताओं के आने का रिकॉर्ड है। उसके बाद कभी देवी-देवताओं की दशहरा में आने को लेकर संख्या में कमी आती रही है। पिछले करीब एक दशक से उत्सव में आने वाले देवी-देवताओं का आंकड़ा 232 से लेकर पौने तीन सौ तक रहा है।
लिहाजा, इस बार भी प्रशासन ने करीब 332 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा है। लेकिन कुछ देवी-देवता बिना बुलाए भी दशहरा उत्सव में पिछले कुछ सालों से शिरकत करते आ रहे हैं।