पुलिस मौके के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच कर रही है। आई विटनेस से भी बात करके मामले की जानकारी ली जा रही है। जबकि मामले में घायल हुए अंकुर के बयान का पुलिस को इंतजार है। शुरुआती जांच में पुलिस को पता चला है कि आरोपी युवक के साथ एक महिला भी कार में सवार थी, यह महिला आरोपी की मां बताई जा रही है।
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नई दिल्ली: तीन बहनों की जिम्मेदारी, पिता ब्रेन हैमरेज से पीड़ित और मां दिल की पेशंट। फरवरी में इंग्लैंड जाने का सपना देख रहे आईआईटी छात्र अशरफ नवाज खान की सड़क हादसे में मौत से दिल्ली आईआईटी में मातम का माहौल है। आईआईटी के गेट नंबर-1 के पास मंगलवार देर रात करीब 11:15 बजे आईआईटी से पीएचडी कर रहे दो स्टूडेंट को तेज रफ्तार कार ने टक्कर मार दी। हादसे में एक स्टूडेंट की मौत हो गई, दूसरे का इलाज साकेत के मैक्स हॉस्पिटल में चल रहा है। उनके पैरों में फ्रैक्चर हुआ है। टक्कर इतनी तेज थी कि कार की विंड स्क्रीन भी टूट गई। साउथ-वेस्ट दिल्ली के डीसीपी मनोज सी. ने बताया कि मृतक स्टूडेंट का नाम अशरफ (30) है। वह बिहार के सीवान जिले के रहने वाला थे, जबकि घायल स्टूडेंट का नाम अंकुर शुक्ला (29) है। आईआईटी दिल्ली से पीएचडी कर रहे अशरफ की पढ़ाई पूरी होने वाली थी। जबकि अंकुर की पीएचडी पूरा होने में कुछ समय है। उधर हादसे को अंजाम देने के कुछ दूर आगे आरोपी कार वाला अपनी कार छोड़कर मौके से फरार हो गया। कार चला रहे आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया है। मामले की जांच किशनगढ़ थाना पुलिस कर रही है।
फरवरी में पढ़ाई के लिए जान था इंग्लैंड
मृतक खान के दोस्तों ने हमारे सहयोगी संस्थान टीओआई को बताया कि उनका इंग्लैंड के एक विश्वविद्यालय में पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप के लिए चयन हुआ था और फरवरी में उन्हें जाना था। अशरफ नवाज खान फरवरी में डॉक्टरेट की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाने वाले थे। खान ने बुधवार को दोस्तों और वरिष्ठों के साथ एक छोटा सा सेलिब्रेशन भी किया था। खान के एक अन्य दोस्त पुष्पेंद्र कुमार ने कहा, खान इंग्लैंड जाने को लेकर काफी खुश थे, मगर उनकी मौत के साथ ही खुशियां मातम में बदल गई। एक अन्य दोस्त अभिषेक ने कहा कि खान एक होनहार छात्र था और उसके नाम पर दो पेटेंट थे। अभिषेक ने कहा, ‘उसने बुधवार को कैंपस कैंटीन में अपनी कामयाबी का जश्न मनाने का प्रोग्राम बनाया था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।’ अभिषेक ने एक और दोस्त निकिता के रूप में कहा, “उसका करियर शुरू होने वाला था, लेकिन उसका सारे सपनों को कुचल दिया गया है।’ खान ने 2015 में आईआईटी में प्रवेश लिया, अपना एमटेक कोर्स पूरा किया और पीएचडी में दाखिला लिया। वह अपनी पढ़ाई के लिए इतना समर्पित था कि एक दोस्त ने कहा कि अगर वह काम में लगा रहता है तो वह अक्सर रात का खाना छोड़ देता था।
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खान के कंधों पर थी घर की पूरी जिम्मेदारी
मृतक अशरफ खान के रिश्तेदार जफीर खान ने बताया कि अशरफ अपने घर में कमाने वाला एकमात्र शख्स था। वह अपनी छात्रवृत्ति से कुछ पैसे अपने घर भी भेजा करता था। हाल ही में अशरफ के पिता को ब्रेन हैमरेज हुआ था, वहीं उनकी मां दिली की मरीज भी है। खान के ऊपर अपनी तीन बहनों की जिम्मेदारी भी थी। जफीर खान ने बताया कि अशरफ के पिता एक छोटे किसान थे, जिन्होंने अपने बेटे को आईआईटी भेजने के लिए मेहनत की थी। जफीर खान ने बताया कि अशरफ के पिता दिल्ली में अपने बेटे के साथ रहना चाहते थे। अशरफ को नौकरी मिलने के बाद एक घर खरीदना चाहते थे। परिजनों के अनुसार, अशरफ दो महीने पहले इंग्लैंड में एक सम्मेलन में हिस्सा लेकर वापस लौटा था। इंग्लैंड में विश्वविद्यालय जाने से पहले उन्हें कुछ सम्मेलनों में भाग लेने के लिए सऊदी अरब और दुबई जाने का कार्यक्रम था।
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क्या हादसे के लिए सब-वे जिम्मेदार?
जब हमारे सहयोगी संस्थान टीओआई ने घटना स्थल का दौरा किया, तो पाया कि गेट के ठीक बगल में एक सब-वे है जिसके एंट्री गेट के पास एक बोर्ड लगा है जो सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है। क्षेत्र के निवासियों और छात्रों के अनुसार, यह एक गंभीर समस्या है। एक पीएचडी छात्र ने बताया कि सब-वे बंद होने की स्थिति में लोगों को रेलिंग कूदकर सड़क पार करनी होता है या सड़क पार करने के लिए बेर सराय या जिया सराय जाना होता है। सरकार को रात में सब-वे खोलने की अनुमति देनी चाहिए। सुरक्षा के लिए सिक्युरिटी गार्ड तैनात करने चाहिए।’ एक अन्य छात्र अभिषेक ने कहा ‘कुछ लोग मेट्रो स्टेशन पर सड़क पार करने जाते हैं लेकिन स्टेशन भी रात के समय बंद रहता है।’
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