Delhi Liquor Policy Controversy: दिल्ली की शराब नीति को लेकर किसके बात में दम AAP या BJP, सर्वे में सामने आई यह बात

दिल्ली सरकार की शराब नीति की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद एक बार फिर AAP और BJP के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। दिल्ली सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि नई नीति से सरकार का रेवेन्यू बढ़ा और यह किसी नेता की जेब में नहीं गया है। वहीं बीजेपी इस पर सवाल खड़े कर रही है।

 
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नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की शराब नीति (New Liquor Policy In Delhi) को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों को लेकर आप सरकार की आबकारी नीति, 2021-22 की सीबीआई जांच (CBI Inquiry) की सिफारिश की है। 2020 में प्रस्तावित, दिल्ली आबकारी नीति-2021-22 नवंबर 2021 से लागू हुई थी। नई नीति के अनुसार, दिल्ली सरकार (Delhi Government) द्वारा संचालित शराब की दुकानों को बंद कर दिया गया और इनका संचालन निजी कर दिया गया।

नई आबकारी नीति के तहत 32 जोनों में विभाजित शहर भर में 849 दुकानों के लिए निजी खुदरा लाइसेंस दिए गए थे। एक ओर जहां राष्ट्रीय राजधानी में विपक्ष ने नई आबकारी नीति के नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक चूक का आरोप लगाया है, वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा है कि भाजपा परेशान है, क्योंकि नई शराब नीति शहर में अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए है।

सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने पूरे विवाद पर लोगों की राय जानने के लिए सर्वे किया। सर्वे के दौरान अरविंद केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति को लेकर आप और बीजेपी के दावों को लेकर लोगों की राय बंटी हुई नजर आई। सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, जहां 52 प्रतिशत उत्तरदाताओं (सर्वे में शामिल लोग) ने कहा कि आप द्वारा किए गए दावे सही हैं, वहीं 48 प्रतिशत भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों से सहमत हैं।

सर्वेक्षण के दौरान इस मुद्दे पर आप और भाजपा द्वारा किए गए दावों और जवाबी दावों के बारे में शहरी और ग्रामीण दोनों तरह के मतदाताओं की राय बंटी हुई थी। सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, जहां 54 फीसदी ग्रामीण मतदाताओं ने इस मुद्दे पर आप के बयानों पर भरोसा जताया, वहीं 52 फीसदी शहरी मतदाताओं ने कहा कि बीजेपी के आरोप सही हैं।