दिल्ली-एनसीआर में शनिवार के मुकाबले रविवार को भले प्रदूषण को लेकर मामूली राहत देखी गई हो लेकिन अभी भी हवा जहरीली है। आईआईटीएम पुणे ने बताया कि 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को प्रदूषण बेहद खराब से गंभीर स्थिति में रहेगा। 2 नवंबर को यह फिर बेहद खराब की कैटिगरी में चला जाएगा।
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में रविवार को प्रदूषण को लेकर मामूली सुधार देखने को मिला लेकिन अभी भी हवा में सांस लेना खतरनाक है। लोगों को बढ़ते प्रदूषण की वजह से आंखों में जलन, सिरदर्द, सांस की बीमारी, आंखों से पानी गिरना, आंखों में लालपन, त्वचा संबंधी दिक्कतें सामने आ रही हैं। कई लोग गले में दर्द की भी शिकायतें कर रहे हैं। आईआईटीएम पुणे के पूर्वानुमान के अनुसार 31 अक्टूबर और एक नवंबर को प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब से गंभीर स्तर पर रहेगी। 2 नवंबर को यह बेहद खराब हो जाएगी। इसके बाद अगले छह दिनों तक प्रदूषण बेहद खराब से गंभीर स्तर पर रहेगा।
रविवार को दिल्ली-एनसीआर में क्या रहा AQI
सीपीसीबी (Central Pollution Control Board) के एयर बुलेटिन के अनुसार रविवार को राजधानी का एक्यूआई 352, बहादुरगढ़ का एक्यूआई 336, बल्लभगढ़ का 157, भिवाड़ी का 269, भिवानी का 310, धारूहेड़ा का 360, फरीदाबाद का 383, गाजियाबाद का 344, ग्रेटर नोएडा का 342, गुरुग्राम का 327, मानेसर का 355 और नोएडा का 321 रहा। वहीं राजधानी के विवेक विहार में एक्यूआई 402 और आनंद विहार में 449 रहा। यह दोनों राजधानी के सबसे प्रदूषित इलाके हैं। सफर के अनुसार अगले तीन दिनों तक पराली और राजधानी के अपने कारणों की वजह से प्रदूषण का स्तर बेहद खराब रहेगा।
पराली के प्रदूषण का दिल्ली में हिस्सा 26% तक
पंजाब में पराली जलाने के मामलों में थोड़ी-सी कमी आई है, इसके बावजूद पराली के प्रदूषण ने राजधानी को 26 प्रतिशत तक प्रभावित किया। इसकी वजह यह है कि दो दिनों से हवाएं पराली का धुआं लेकर राजधानी पहुंच रही हैं। दो दिनों से राजधानी स्मॉग की चादर में लिपटी है। इससे राहत की अभी कुछ संभावना भी नहीं दिख रही है। सफर के गुफरान बेग के अनुसार, पराली जलाने के मामलों में दिवाली से कुछ रफ्तार आई है। पंजाब में पराली बड़ी मात्रा में अभी भी बची हुई है। ऐसे में संभावना है कि पराली जलाने के मामले अभी 15 से 20 नवंबर तक जारी रह सकते हैं। ऐसे में यदि हवाओं के रुख में बदलाव नहीं आता तो लोगों को लंबे समय तक यह धुआं परेशान करेगा।
पराली को लेकर सफर का दावा है कि रविवार को राजधानी में पराली का प्रदूषण 26 प्रतिशत रहा। वहीं इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार रविवार को पंजाब में 1761, हरियाणा में 112, यूपी में 43, एमपी में 119 और राजस्थान में 55 जगहों पर पराली जलाई गई है। पराली जलाले के कुल मामले 1898 रहे। वहीं 15 सितंबर से 29 अक्टूबर तक पराली जलाने के 15461 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से पंजाब में 12112, हरियाणा में 1813, यूपी में 705, दिल्ली में 5, राजस्थान में 227 और एमपी में 599 मामले शामिल हैं।
ग्रैप का तीसरा चरण लागू, निर्माण और तोड़फोड़ के कार्यों पर रोक
बढ़ते प्रदूषण की वजह से लगातार खराब होते हालात को देखते हुए दिल्ली सरकार ने राजधानी में सभी तरह के निर्माण और तोड़फोड़ के कार्यों पर रोक लगा दी है। केवल कुछ चुनिंदा प्रोजेक्ट्स को ही इस पाबंदी से छूट मिलेगी। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सीएक्यूएम के आदेश पर दिल्ली में ग्रैप के तीसरे चरण की पाबंदियों को लागू करने का निर्णय लिया गया है। निर्माण कार्यों पर रोक की निगरानी के लिए 586 टीमें बनाई गई हैं। साथ ही 521 वॉटर स्प्रिंक्लर, 233 एंटी स्मॉग गन्स और 150 मोबाइल एंटी स्मॉग गन्स के जरिए लगातार पूरी दिल्ली में जगह-जगह पानी का छिड़काव भी किया जा रहा है।
गोपाल राय ने बताया कि सीएक्यूएम ने शनिवार को ग्रैप के तीसरे चरण को लागू करने का आदेश दिया था। उसी के मद्देनजर रविवार को उन्होंने दिल्ली में कंस्ट्रक्शन गतिविधियों से जुड़ी एजेंसियों पीडब्ल्यूडी, सीपीडब्ल्यूडी, डीडीए आदि के अलावा पर्यावरण विभाग और डीपीसीसी के अधिकारियों की बैठक बुलाई थी, जिसमें ग्रैप के तीसरे चरण की पाबंदियों को लागू करने का निर्णय लिया गया है। इसके क्रियान्वयन के लिए एक मजबूत मॉनिटरिंग सिस्टम भी तैयार किया जा रहा है, क्योंकि कई बार देखने में आता है कि बैन के बावजूद निर्माण गतिविधियां चलती रहती हैं।