हर साल हरिद्वार के लिए कांवड़ यात्रा उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में शुरू होती है. इस बीच दिल्ली पुलिस ने कांवड़ यात्रा रूट पर लोहारों को हटाने की सलाह दी है क्योंकि उनके अनुसार वो मांसाहारी खआना खाते हैं और हड्डियों को वहीं फेंक देते हैं.
दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा द्वारा जिला पुलिस को जारी एडवायजरी में यह सुझाव दिया गया है कि लोहारों को या तो स्थानांतरित किया जाना चाहिए या यात्रा के मार्गों को इस तरह चार्ट किया जाना चाहिए कि वे रास्ते में न आएं.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि लोहार सड़क किनारे रहते हैं और मांसाहारी खाना खाते हैं. वे हड्डियों को छोड़ देते हैं. पवित्र तीर्थयात्रा के लिए जाने वाले कांवड़ यात्रियों को इससे समस्या होती ही.
बता दें कि वार्षिक तीर्थयात्रा 14 जुलाई को शुरू हुई थी. वहीं 21 जुलाई के बाद कांवड़ियों की तादाद बढ़ने की उम्मीद है.
उत्तराखंड में हथियारों की अनुमति नहीं है
उत्तराखंड सरकार ने घोषणा की थी कि कांवड़ यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को तलवार, त्रिशूल और अन्य हानिकारक हथियार के साथ अनुमति नहीं दी जाएगी. जिला सीमा पर ही इन हथियारों को जब्त कर लिया जाएगा. इसके लिए प्रशासन ने थाना और चौकी प्रभारी को निर्देश भी दे दिए हैं.
देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जनमेजय खंडूरी ने कहा “कांवड़ यात्रा में तलवार, त्रिशूल और लाठी लाने पर प्रतिबंध रहेगा. सभी थाना और चौकी प्रभारियों को जिला सीमा पर इन्हें जब्त करने के निर्देश दिए गए हैं.
वहीं उत्तराखंड एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वी मुरुगेसन ने बताया कि हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के रास्ते में मांस की दुकानें नहीं खुलेंगी और शराब की दुकानों के काउंटर को सड़क के विपरीत दिशा में संचालित करने की अनुमति होगी.
नोएडा में यात्रा मार्ग पर मांस और शराब की दुकानें बंद रहेंगी
उत्तर प्रदेश में गौतम बौद्ध नगर प्रशासन ने अपने विभागों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर कोई भी अवैध शराब या मांस की दुकान नहीं खुलेंगी.
हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा के लिए निर्धारित मार्गों में खुले में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की ख़बरें थीं, पर इस पर अभी तक कोई अधिकारिक आदेश नहीं आया है.
कांवड़ यात्रा 2022
कांवड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों की वार्षिक तीर्थयात्रा है. कांवड़ियों के रूप में जाने वाले तीर्थयात्री उत्तराखंड में हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री और बिहार के सुल्तानगंज जैसे स्थानों पर गंगा नदी का पवित्र जल लाने के लिए जाते हैं. फिर वे उसी जल से भगवान की पूजा करते हैं.