राजधानी दिल्ली में डस्ट पल्यूशन को कम करने की लाख कोशिशें की जा रही हैं लेकिन कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है। कहा जा रहा है कि इसकी बड़ी वजह कच्ची कॉलोनियों में चल रहा डेवलेपमेंट वर्क है। यह डेवलेपमेंट वर्क कई सालों से चल रहा है। अधिकारियों को यह आदेश दिया जा चुका है कि ऐसी कॉलोनियों में रोड रिपयेरिंग, नालियां जाम होने या कूड़े की कोई शिकायत आने पर तुरंत निपटारा किया जाए।
नई दिल्ली लाख कवायदों के बाद भी दिल्ली में डस्ट पल्यूशन कम नहीं हो पा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह कच्ची कॉलोनियों में पिछले कई सालों से चल रहे डेवलपमेंट वर्क हैं। डस्ट पल्यूशन पर काबू पाने को लेकर 4 अक्टूबर को प्रिंसिपल सेक्रेटरी (एनवायरमेंट)की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में भी इस बात का जिक्र किया गया। दिल्ली जल बोर्ड, सिंचाई व बाढ़ विभाग, डीएसआईआईडीसी और एमसीडी अफसरों को आदेश दिया गया है कि ऐसी कॉलोनियों से रोड रिपेयरिंग, नालियां जाम होने या कूड़ की कोई शिकायत आए, तो उसे तुरंत निपटाया जाए।
दिल्ली की 65-70 प्रतिशत आबादी कच्ची कॉलोनियों में
एमसीडी अफसरों के अनुसार कच्ची कॉलोनियों का एक बड़ा दायरा है। दिल्ली की करीब 65-70 प्रतिशत आबादी इन कॉलोनियों में ही रहती है। लेकिन, पल्यूशन कम करने के लिए हर साल जो एक्टिविटी अलग अलग सरकारी एजेंसियां करती है, वह सिर्फ 30-35 प्रतिशत अप्रूव्ड इलाकों, कमर्शल एरिया या मेन सड़कों तक सीमित होती है। ऐसे में तमाम कवायदों के बाद भी पल्यूशन कम नहीं हो पाता। मीटिंग के दौरान इस बात का भी जिक्र किया गया कि पिछले कई सालों से कच्ची कॉलोनियों में सीवर लाइन डालने, रोड बनाने और पानी की लाइनें डालने का काम चल रहा है। इन कार्यों के लिए तमाम कॉलोनियों में खुदाई कर मिट्टी को ऐसे ही छोड़ दिया गया है, जिससे लगातार धूल उड़ रही है। लोग बिना किसी डर के कंस्ट्रक्शन कर रहे हैं और गलियों में ही कंस्ट्रक्शन मटीरियल का ढेर लगा रखा है। जिसके उड़ने से डस्ट पल्यूशन में इजाफा हो रहा है।
दिल्ली के बड़े भाग में इस तरह की गतिविधियों के चलते ही दिल्ली में डस्ट पल्यूशन की भयंकर समस्या हो रही है। इन समस्याओं पर ब्रेक लगाने के लिए मीटिंग की अध्यक्षता कर रहे प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने जलबोर्ड, सिंचाई व बाढ़ विभाग, डीएसआईआईडीसी अफसरों को आदेश दिया कि ऐसी कॉलोनियों से अगर किसी भी तरह की कंप्लेंट आती है, तो उसे तुरंत हल किया जाए।
इंटर डिपार्टमेंट जॉइंट इंस्पेक्शन के आदेश
इसके अलावा प्रिंसिपल सेक्रेटरी मीटिंग में मौजूद अफसरों को इंटर डिपार्टमेंट जॉइंट इंस्पेक्शन टीम बनाने का आदेश दिया गया, ताकि प्रत्येक इलाके में इस तरह की गतिविधियों की जांच की जा सके। जहां समस्या हैं, उसे निपटाया जाए। कच्ची कॉलोनियों के प्रत्येक एरिया को जीओ फेंस्ड करने के लिए कहा गया है, ताकि किसी एरिया से कंप्लेंट आए तो लोकेशन पर पहुंचना आसान हो। इसके बाद भी अगर कच्ची कॉलोनियों या अन्य इलाकों से आए कंप्लेंट पर कार्रवाई नहीं होती, तो इसके लिए जलबोर्ड, डीएसआईआईडीसी, सिंचाई व बाढ़ विभाग और एमसीडी अफसर जिम्मेदार होंगे और उनके खिलाफ एक्शन भी लिया जाएगा।