Delhi Rain Forecast: दिल्ली में बारिश के बाद बढ़ी उमस, जानिए कब तक सताएगी चिपचिपाती गर्मी

उमस भरी गर्मी से परेशान दिल्ली के लोगों को बुधवार को थोड़ी राहत मिली। हालांकि दिल्लीवालों को अभी और उमस भरी गर्मी से दो-चार होना पड़ेगा। आईएमडी के मुताबिक अगस्त के अंत तक दिल्ली में भारी बारिश के आसार नहीं है।

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नई दिल्ली: दिल्ली के कई इलाकों में बुधवार को बारिश हुई, लेकिन इसके बावजूद अधिक आर्द्रता (Humidity) होने की वजह से लोगों को उमस का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली के दक्षिण और मध्य हिस्सों में हल्की बारिश दर्ज की गई। वहीं, न्यूनतम तामपान 25.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि अधिकतम तापमान 34 डिग्री के आसपास रहने की उम्मीद है। सफदरजंग वेधशाला जहां के आंकड़ों को पूरी दिल्ली के लिए मानक माना जाता है, वहां पर अगस्त महीने में अबतक मात्र 33.7 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है जबकि सामान्य बारिश 191.1 मिलीमीटर है। इस प्रकार अगस्त में सामान्य से 82 प्रतिशत कम बारिश हुई है। आम तौर पर इस वेधशाला में अगस्त महीने में 247 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जाती है।

मानसून का मौसम एक जून से शुरू होता है और सफदरजंग वेधशाला में इस अवधि में 344.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है जबकि सामान्यत: 474.9 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जाती है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के पुर्वानुमान के मुताबिक दिल्ली में अगले पांच से छह दिनों तक आमतौर पर बादल छाए रहेंगे और बहुत हल्की बारिश हो सकती है।


अगस्त के अंत तक भारी बारिश के आसार नहीं

आईएमडी के मुताबिक अगस्त के अंत तक दिल्ली में भारी बारिश के आसार नहीं है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि राष्ट्रीय राजधानी में कम बारिश की वजह किसी अहम मौसम प्रणाली का न बनना है, जैसे दिल्ली के आसपास निम्न दाब का क्षेत्र नहीं बनना। ‘स्काइमेट वेदर’ के उपाध्यक्ष (जलवायु परिवर्तन और मौसम विज्ञान) महेश पलावत ने कहा कि दिल्ली में अगस्त के अंत तक अधिक बारिश की उम्मीद नहीं है।

दिल्ली-एनसीआर में हल्की बारिश के आसार
पलावत ने कहा कि उत्तरी बंगाल की खाड़ी पर निम्न दबाव का क्षेत्र बन रहा है जिसके उत्तर पश्चिम दिशा में झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के ऊपर से गुजरने की संभावना है। उन्होंनें कहा कि इसके प्रभाव से दिल्ली और आसपास के इलाकों में बारिश हो सकती है। स्काईमेट के दीर्घकालिक पूर्वानुमान के मुताबिक सितंबर के पहले पखवाड़े में भी किसी अहम मौसम प्रणाली बनने की संभावना कम है जिसका अभिप्राय है कि बारिश में कमी बनी रहेगी।