Delhi Weather: इस बार दिल्‍ली से रूठा मॉनसून… औसत से 38% कम बारिश हुई, सर्दी भी कुछ देर से आएगी

Delhi Rain Weather: दिल्‍ली में इस बार औसत से 38% कम बारिश हुई है। अनुमान है कि सर्दी देर से आएगी। सामान्य तौर पर 15 नवंबर को दिल्ली और आसपास के इलाकों में सर्दी (Winter In Delhi) शुरू होती है।

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दिल्‍ली से रूठा रहा मॉनसून, कम हुई बारिश

नई दिल्ली: इस साल राजधानी में लोगों को गर्मी अधिक सता रही है। लेकिन आकलन बताता है कि मॉनसून सीजन में गर्मी का रेकॉर्ड नहीं टूटा है। दरअसल, इस अहसनीय गर्मी की वजह यह है कि मॉनसून सीजन में बारिश काफी कम होने से लंबे समय से लोग उमस भरी चिपचिपी गर्मी सह रहे हैं। सितंबर आते-आते लोग गर्मी से परेशान हो गए हैं। मॉनसून सीजन में दिल्ली और आसपास के इलाकों में अब तक औसत से 38% कम बारिश हुई है। जानकारों का कहना है कि ऐसे में सर्दियों की शुरुआत भी कुछ देरी से होगी। स्काईमेट के महेश पलावत के अनुसार, 15 नवंबर के आसपास सर्दियों की आहट शुरू होती है। इस बार दिल्ली-एनसीआर की कम बारिश से लग रहा है कि सर्दियां देर से आएंगी। जिस तरह बारिश का सूखा दिख रहा है, ऐसे में गर्मी से राहत की बड़ी उम्मीद भी नहीं दिखती है। महेश पलावत के अनुसार, 12 और 13 सितंबर को राजधानी के कुछ हिस्सों में बारिश होगी। इससे तापमान में दो से तीन डिग्री की कमी आ सकती है। इससे ज्यादा राहत की उम्मीद नहीं हैं। जानकारों का कहना है कि तापमान में कमी तभी संभव है, जब तेज बारिश हो और वह भी राजधानी और आसपास के हर हिस्से में हो। इस मॉनसून में 90% बारिश तो छिटपुट इलाकों में हुई है।

तापमान में कमी तभी संभव है, जब तेज बारिश हो और वह भी दिल्ली के हर हिस्से में हो। इस मॉनसून में 90 प्रतिशत से अधिक बारिश ऐसी हुई है, जो स्थानीय जगहों पर हुई है। इसलिए उस बारिश ने गर्मी से राहत दिलाने का काम नहीं किया।

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समूची दिल्‍ली में झमाझम बारिश हो तब बनेगी बात

9 में से 6 जिलों में 30% कम बारिश
आईएमडी ने राजधानी को 9 जिलों में बांटा है। इस मॉनसून में 9 में से 6 जिलों में बारिश 30 प्रतिशत से कम हुई है। दो जिलों उत्तर पूर्वी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली में तो बारिश की कमी 60 प्रतिशत से भी ज्यादा रही है। सामान्य परिस्थिति में मॉनसून की विदाई देश से 17 सितंबर से शुरू हो जाती है, जबकि दिल्ली में मॉनसून 20 सितंबर को विदा होता है। इस बार अभी तक मॉनसून के जाने की कोई संभावना व्यक्त नहीं की गई है। एक कम दबाव का क्षेत्र बनने की वजह से मॉनसून जाने के आसार हाल-फिलहाल के दिनों में नहीं हैं।

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लगातार उमस भरी गर्मी में रहने का क्या होता है नतीजा
उमस भरी गर्मी की वजह से वेट बल्ब टेंपरेचर बढ़ता है। वेट बल्ब टेंपरेचर अधिकतम तापमान और नमी के स्तर को मिलकर बनता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, एक सामान्य आदमी के लिए 32 डिग्री वेट बल्ब में रहना काफी अहसनीय हो जाता है। सामान्य व्यक्ति 45 डिग्री तापमान सह सकता है, बशर्ते हवा में नमी कम हो। लेकिन 35 डिग्री तापमान में नमी का स्तर 50 से 55 डिग्री तक हो तो व्यक्ति के लिए ऐसा मौसम असहज हो जाता है। ऐसे मौसम में व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता के साथ इम्युनिटी कम होती है। व्यक्ति को गुस्सा अधिक आने लगता है। सांस की समस्या के साथ स्किन प्रॉब्लम होने लगती है।