दिल्ली में खतरनाक हुई हवा, आज सुबह भी धुंध की चादर में लिपटी राजधानी
नई दिल्ली: दिल्ली की आबोहवा दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है. दिवाली के बाद से ही दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है और लोगों का दम घुटने लगा है. दिल्ली की वायु गुणवत्ता मंगलवार सुबह ‘खतरनाक’ हो गई, जिसने वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 551 दर्ज किया. बिगड़ती वायु गुणवत्ता सूचकांक ने दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में सभी निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर कर दिया. आज सुबह भी दिल्ली में धूंध की मोटी चादर देखी गई.
हालांकि, यह पहले से ही भविष्यवाणी की गई थी कि शांत हवाओं और अन्य मौसम संबंधी स्थितियों के कारण मंगलवार से शहर में हवा की गुणवत्ता खराब हो जाएगी. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि विशेषज्ञों का अनुमान है कि 1 नवंबर से हवा की रफ्तार कम हो जाएगी और इसकी दिशा बदल जाएगी. इसके आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि एक्यूआई 400 से अधिक गंभीर स्थिति में पहुंच जाएगा.
पराली जलाने से राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को भी धुंध की परत छाई रही तथा वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी के करीब पहुंच गई. शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 को ‘संतोषजनक’, 101 और 200 को ‘मध्यम’, 201 और 300 को ‘खराब’, 301 और 400 को ‘बहुत खराब’, तथा 401 और 500 को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.
दिल्ली दमकल सेवा शहर के 13 हॉटस्पॉट में पानी का छिड़काव कर रही है. रविवार को पॉल्यूशन हॉटस्पॉट मसलन नरेला, आनंद विवार, मुंडका, द्वारका, पंजाबी बाग, आरके पुरम, रोहिणी, बवाना, ओखला, जहांगीरपुर, वजीरपुर और मायापुरी में कम से कम 12 फायर टेंडर्स भेजे गए.
गोपाल राय ने आगे कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में इस वक्त प्रदूषण का स्तर मुख्य रूप से धूल, बायो-मास जलने और वाहनों के उत्सर्जन, मौसम संबंधी स्थिति में बदलाव और हवा की आवाजाही के कारण बढ़ा है. राय ने कहा कि निर्माण कार्यों की निगरानी के लिए 586 टीमों का गठन किया गया है और अस्पतालों, रेलवे, हवाई अड्डों और ऐसी अन्य सार्वजनिक गतिविधियों को छूट दी जाएगी. उन्होंने कहा कि धूल हटाने के लिए 521 मशीनें शहर भर में पानी छिड़केंगी, जबकि लगभग 233 एंटी-स्मॉग गन तैनात की जाएंगी.
निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ‘स्काईमेट वेदर’ के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत के मुताबिक, एक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से चार नवंबर से आर्द्रता बढ़ सकती है और हवा की गति और कम हो सकती है, जिससे धुंध में और इजाफा हो सकता है. पलावत ने कहा कि पराली जलाने से निकलने वाले धुएं के संचरण के लिए हवा की दिशा और गति अनुकूल है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में लोग एक नवंबर से 15 नवंबर के बीच सबसे खराब हवा में सांस लेते हैं। इस अवधि में पराली जलाने की घटनाएं चरम पर होती हैं.