दिल्ली के आर्किटेक का कमाल, तैयार कर दिया मिट्टी का अनोखा कूलर, गर्मियों में AC की जरूरत नहीं!

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हम गर्मी से बचने के लिए हम अपने घरों को ठंडा बनाए रखने के लिए क्या कुछ नहीं करते. AC बढ़ते तापमान के साथ गर्मी से राहत तो देता है. लेकिन इसके इस्तेमाल से बिजली की खपत भी तेजी से बढ़ जाती है. नतीजा बिजली बिल की मोटी रकम हमें चुकानी पड़ती है. इन समस्याओं के मद्देनज़र दिल्ली के आर्किटेक मोनिश सिरिपिरायु ने एक ऐसे कूलिंग सिस्टम की उत्त्पत्ति की है. जो AC पर हमारी निर्भरता को कम कर सकता है. 

मिट्टी के बर्तन से बना ये कूलिंग सिस्टम

monish-siripurapuonassis.org/

आर्किटेक्चर फर्म एंट स्टूडियो के संस्थापक मोनिश ने टेराकोटा और पानी की मदद से ‘कूलएंट’ की खोज की है. यह कूलिंग प्रणाली भारत के साथ, ईरान मिस्र और सऊदी अरब समेत कई देशों में किया जाता है. जिसे उन्होंने एक नया रूप दिया है.  इसको मिट्टी के घड़े से बनाया गया है. इसकी मदद से हम किसी भी बिल्डिंग के अंदर तक़रीबन 30 प्रतिशत तक एयर कंडीशनर के लोड को कम कर सकते हैं.

बता दें कि यह एसी की तरह तो काम नहीं करेगा. लेकिन लिविंग एरिया, दुकान या कैफे जैसी जगहों पर हम इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे हम 30-40 प्रतिशत तक बिजली की खपत को कम कर सकते हैं. मोनिश के मुताबिक यह तकनीक बहुत मुश्किल नहीं है. बस इसे एक नया रूप दिया गया है. ताकि इसे इस्तेमाल करने में आसानी हो.

कैसे काम करता है मोनिश का ये कूलर

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मीडिया को दिए अपने एक इंटरव्यू में वो कहते हैं,  ‘हम मिट्टी के बर्तन में पानी ठंडा करते रहे हैं. उसी वाष्पीकरण कूलिंग के सिद्धांत की मदद से ही इसको बनाया गया है. लेकिन उलटे क्रम में, इसमें हम इन बर्तनों के ऊपर पानी डालते हैं. और इसे बहने देते हैं. वहीं हवा उन खोखले मिट्टी के बर्तनों से होकर गुजरती है. और ठंडी हो जाती है. कुल मिलाकर यह तकनीक गर्म हवा को ठंडा बनाने का काम करता है.

मोनिश साल 2015 में डेकी इलेक्ट्रॉनिक्स में काम करते थे. उन्हें एक डीजल जनरेटर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई. जब वह साइट पर गए तो उन्होंने देखा की उस जनरेटर के संपर्क में आने वाले मजदूरों को गर्म हवा का सामना करना पड़ रहा है. तब उन्होंने गर्म हवा को ठंडा बनाने के लिए एक प्रोडक्ट बनाया. जो उस जगह के तामपान को करीब 30 प्रतिशत तक कम कर दिया. उन्होंने उसे 800 छोटे मिट्टी के घड़ों से बनाया था. जो सिलेंडर के आकार का था.

साल 2017 में उनकी इस तकनीक को काफी सराहा गया. इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान ने उनके इस कूलिंग सिस्टम को पर्यावरण के लिए भी बेहतर बताया था.