रूस-यूक्रेन जंग के बीच 04 मार्च को यूक्रेन की राजधानी में एक भारतीय छात्र को गोली मार दी गई और उसे कीव में तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. फिलहाल छात्र का इलाज चल रहा है. गौरतलब हो कि इससे पहले भी कर्नाटक के नवीन नाम का एक भारतीय नागरिक खार्किव में गोलाबारी में मारा गया था.
ऑपरेशन गंगा के तहत 60 फीसदी छात्र भारत आ चुके हैं
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक लगभग 20,000 भारतीय छात्र, जिनमें से अधिकांश मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, संघर्ष के बीच यूक्रेन में फंस गए थे. कुल संख्या में से 60% पहले ही भारत पहुंच चुके हैं. शेष 40% भारतीय नागरिकों को निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं. छात्रों को घर लाने के लिए पोलैंड, रोमानिया और हंगरी से कई विशेष उड़ानें चल रही हैं. इंडिगो की विशेष उड़ान से 03 मार्च 2022 को करीब 200 छात्र और भारतीय नागरिक दिल्ली पहुंचे.
एयरपोर्ट पर फूलमाला लिए कर रहे थे तीसरे बेटे का इंतजार
इस सबके बीच दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 में एक पिता-पुत्र के मिलन का अद्भुत नजारा देखने को मिला. दिल्ली के बुराड़ी में रहने वाले राजकुमार गुप्ता अपने छोटे बेटे निखिल का यूक्रेन से आने का इंतजार कर रहे थे. उनके साथ उनकी पत्नी और दो बेटे भी खड़े थे. राजकुमार के हाथों में फूल-माला और मिठाई का डिब्बा था. वह खुश थे कि उनका छोटा बेटा निखिल यूक्रेन से सुरक्षित निकलकर भारत वापस आ रहा है. रात करीब 11 बजे के आसपास जब निखिल एयरपोर्ट पहुंचा तो राजकुमार उसे देखकर भावुक हो गए.
उन्होंने बताया कि उनका छोटा बेटा यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गया था और वह तीसरे वर्ष का छात्र है. राजकुमार गुप्ता ने बताया कि वह पेशे से एक टीवी मैकेनिक हैं और उन्होंने अपने इस छोटे से काम के दम पर अपने तीनों बेटों को डॉक्टर बनाने का सपना देखा था. हालांकि उनके दो बेटे अविनाश और मोहित यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई करके आ चुके हैं और वे इंडिया में डॉक्टर हैं.
टीवी मैकेनिक ने 2 बेटों को यूक्रेन से पढ़ाकर बनाया डॉक्टर
राजकुमार ने बताया कि उन्होंने बेटों को पढ़ाने के लिए अपनी प्रॉपर्टी और बागबगीचे तक बेच दिए. वहीं तीसरे बेटे को डॉक्टर बनाने के लिए उन्होंने करीब 60 लाख का एजुकेशन लोन ले रखा है. उनका सपना है कि वह अपने तीनों बेटों को डॉक्टर के रूप में देखना चाहते हैं. उन्होने आगे बताया कि उनके बेटों ने नीट का एग्जाम क्वालिफाई किया था.
लड़के के नंबर भी अच्छे आए थे. लेकिन उनका देश में कही पर भी सेलेक्शन नहीं हो पाया. मजबूरन राजकुमार ने अपने बच्चों को मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन भेजा. राजकुमार गुप्ता ने सीट ना मिलने की वजह आरक्षण को बताया और कहा कि सरकार को धर्म या जाति के आधार पर आरक्षण नहीं देना चाहिए बल्कि जो गरीब हैं उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए.
“बेटे की डिग्री पूरी करवाएगी मोदी सरकार”
राजकुमार ने आगे कहा कि अगर वह जनरल कोटा से नहीं होते तो उनके बेटों को देश में ही रहकर मेडिकल की पढ़ाई करने का मौका मिल सकता था. वहीं बेटे की डिग्री अधूरी रहने पर उन्होंने कहा कि मुझे मोदी सरकार पर विश्वास है. वह इस गरीब का पैसा और मेहनत को बर्बाद नहीं होने देंगे. मुझे पूरी उम्मीद है कि वह मेरे बेटे की पढ़ाई पूरी करवाएंगे और मेरे सपने को साकार करेंगे.
बता दें कि यूक्रेन में मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस कोर्स के लिए 20 लाख से 25 लाख तक खर्च करने पड़ते हैं जबकि भारत में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों द्वारा लगभग एक करोड़ रुपये तक की फीस ली जाती है.