नोटबंदी का फैसला सही था, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दी बड़ी राहत

केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 6 साल बाद आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकती है। इस मामले में जस्टिस एस.ए.नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच इस मामले पर अपना फैसला सुनाएगी।

नई दिल्ली: साल 2016 में 1000 और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाना शुरू कर दिया है।

जस्टिस एस.ए.नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच इस मामले पर अपना फैसला सुना सकती है। सुप्रीम कोर्ट की लिस्ट के अनुसार, इस मामले में दो अलग-अलग फैसले होंगे, जो जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस बी. वी. नागरत्ना सुनाएंगे। जस्टिस नजीर, जस्टिस गवई और जस्टिस नागरत्ना के अलावा, पांच जजों की बेंच के अन्य सदस्य जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और RBI को सात दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित रेकॉर्ड पेश करें। बेंच ने केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, RBI के वकील और सीनियर वकील पी. चिदंबरम और श्याम दीवान समेत याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी थीं और अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

सरकार ने दी थी ये दलील
1000 और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को गंभीर रूप से दोषपूर्ण बताते हुए चिदंबरम ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है और यह केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है। वर्ष 2016 की नोटबंदी की कवायद पर फिर से विचार करने के सुप्रीम कोर्ट की कोशिश का विरोध करते हुए सरकार ने कहा था कि अदालत ऐसे मामले पर फैसला नहीं कर सकती है, जब बीते वक्त में लौट कर कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है।