Covid महामारी के बावजूद भी हुआ 2.45 करोड़ का टर्नओवर, पति-पत्नी का अनूठा स्टार्टअप आइडिया जानिए

तारिषी जैन मातृत्व की खुशियों का आनंद लेने में व्यस्त थीं। अचानक एक दिन उन्हें यह एहसास हुआ कि वह किसी चीज की कमी महसूस कर रहीं हैं और वह थी उनकी नौकरी। किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जो हमेशा एक स्वतंत्र और कार्यरत रही थी, उनके लिए इस तरह वक्त व्यतीत करना आसान नहीं था। यह उन दिनों में से एक था जब उनकी सास बच्ची के लिए उपहार लेकर घर आई थी। इस छोटे से हाथ से बुने हुए फ्रॉक ने उस शुरुआत को चिह्नित किया, जिसने तारिषी के जीवन के मायने ही बदल दिए और उन्होंने उद्यमिता को गले लगा लिया।

आज उद्यमिता का वही बीज, अजूबा डॉट इन के सफल वृक्ष के रूप में जाना जाता है। सास के हाथों से बुने उस एक कपड़े से प्रेरित होकर तारिषी ने अतीत के कुछ पन्नों को पलटने का फैसला किया, जब युवावस्था में उन्होंने बुनाई और कढ़ाई की कला सीखी थी।

उन्होंने अपनी बेटी के लिए कुछ कपड़े बुनें, जो उनके परिवारवालों और दोस्तों को काफी पसंद आए। उन्होंने टुकड़ों में इधर-उधर बुनाई कर कपड़ों को बेहद ही खूबसूरत शक्ल दिए, जो काफी हिट हुआ। जल्द ही उन्हें और लोगों से भी ऑर्डर मिलने लगे। इस बढ़ी हुई मांग ने उन्हें अपने आसपास की महिलाओं की तलाश करने के लिए प्रेरित किया, जो न केवल बुन सकती थीं बल्कि जिन्हें नियमित काम की भी आवश्यकता थी। धीरे-धीरे यह विचार महिलाओं के लिए एक बड़े रोजगार का अवसर बन गया।

अजूबा डॉट इन (Ajoobaa.in) की शुरुआत साल 2018 में हुई थी। स्टार्ट-अप ने अपने पहले ही वर्ष में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया और इसकी बहुत सराहना की गई। मांग में वृद्धि को देखकर, तारिषी के पति निवेश ने अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ व्यवसाय में उनका हाथ बटाना शुरू कर दिया। वर्तमान में दंपति विभिन्न राज्यों में स्वयं सहायता समूहों तक अपनी पहुँच बना चुके हैं और उन्हें काम करने के लिए कच्चा माल उपलब्ध करा रहे हैं। पोशाक खत्म होने के बाद इन महिलाओं को पारिश्रमिक दिया जाता है, भुगतान न होने के किसी भी डर की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी जाती है। एक विकासशील राष्ट्र में जहां काम के अवसर और महिलाओं के लिए अच्छा वेतन अभी भी सामाजिक ताने-बाने में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है, तारिषी और निवेश दोनों ही देश भर में 250 से अधिक कारीगर महिलाओं को सशक्त बना रहे हैं।

इसके अलावा, अजूबा ने वूनी नाम से एक और इनहाउस ब्रांड भी शुरू किया, जो देश की तमाम ई-कॉमर्स पोर्टल जैसे अमेज़न, मिंत्रा, फ्लिपकार्ट, अजियो पर उपलब्ध है। देश भर के कारीगरों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से, अजूबा ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को अपने साथ जोड़ने के लिए प्रयासरत है।

पेशे से एक वास्तुकार, तारिषी ने कभी बच्चों के परिधान व्यवसाय स्थापित करने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन जैसा कि हम जानते हैं कि एक विचार हमारे जीवन को बदलने की ताकत रखते हैं। सोनीपत में हुई एक साधारण शुरूआत आज महीने में लगभग 4,000 ऑर्डर्स के साथ लोगों के सामने एक परिचित ब्रांड के रूप में स्थापित हो चुका है। तारिषी और निवेश ने कारीगर महिलाओं के बोझ को कम करने के लिए अपने कारीगरों को अच्छी तरह से भुगतान करने और उन्हें उनके दरवाजे पर कच्चा माल उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है। वित्तीय वर्ष 2019-2020 में अजूबा का सालाना टर्नओवर 1.04 करोड़ रुपये रहा जो 2020-2021 में कोविड महामारी के बावजूद बढ़कर 2.45 करोड़ हो गया। 

सबसे खूबसूरत बात यह है कि उन्होंने इतने कठिन समय में भी इतनी सारी महिलाओं को काम पर रखा और यह सुनिश्चित किया कि भुगतान नियमित रूप से उन तक पहुंचे।

सच्चे उद्यमी वही होते हैं जो अपने आइडियाज से सिर्फ अपना ही नहीं बल्कि औरों के लिए भी तरक्की का रास्ता खोल देते और अजूबा डॉट इन के माध्यम से, तारिषी और निवेश ने बुनकर महिलाओं के उत्थान के लिए जो कोशिश की है वह वाक़ई में काफी सराहनीय है। ऐसे युवा उद्यमियों में ही सही मायनों में देश को आत्मनिर्भर बनाने की शक्ति है।