देवभूमि हिमाचल के अभिनय की कायल मायानगरी, पहाड़ी राज्य से निकलकर चमके रहे कई कलाकार

मायानगरी मुंबई देवभूमि के कलाकारों की प्रतिभा का लोहा मान चुकी है। हिमाचल जैसे छोटे  पहाड़ी राज्य के कई कलाकार मुंबई की चकाचौंध में चमक रहे हैं। अनुपम खेर, प्रीति जिंटा, कंगना रणौत, यामी गौतम, रूबीना दिलैक ने अभिनय से सबको प्रभावित किया है।  सिरमौर जिले से ताल्लुक रखने वाले पार्श्व गायक मोहित चौहान को कौन नहीं जानता। अनुपम खेर अब भी अपनी मां से मिलने शिमला आते हैं। प्रीति जिंटा साल में एक बार परिजनों से मिलने आती हैं। कंगना ने तो मनाली में  घर बना लिया। रूबीना दिलैक के परिजन भी शिमला में रहते हैं। यामी हिमाचल के बिलासपुर की रहने वाली हैं। हिमाचल के इन सितारों की सुनी-अनसुनी बातों और जानकारियों से रूबरू कराती विश्वास भारद्वाज की रिपोर्ट…

देव आनंद ने शिमला की मोना से फिल्म शूटिंग के दौरान की थी शादी
म ही लोग यह बात जानते हैं कि जवां दिलों पर राज करने वाले देव आनंद की शादी शिमला की मोना सिंघा से हुई थी। फिल्मी दुनिया में मोना सिंघा कल्पना कार्तिक के नाम से मशहूर हुईं। देव आनंद का नाम अभिनेत्री सुरैया के साथ जुड़ा, लेकिन उन्होंने मोना से चुपचाप शादी की। मोना का जन्म पंजाबी-ईसाई परिवार में लाहौर में हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार लाहौर छोड़कर हिमाचल की राजधानी शिमला आ गया। मोना की शिक्षा शिमला के सेंट बीड्स कॉलेज से हुई। ब्यूटी कॉन्टेस्ट जीतकर मोना मिस शिमला बनीं। इसी ब्यूटी कॉन्टेस्ट के दौरान देव आनंद के भाई चेतन आनंद की नजर उन पर पड़ी। चेतन आनंद ने उन्हें फिल्मों में काम का ऑफर दिया और साथ ही एक नया नाम कल्पना कार्तिक भी दे डाला।

कल्पना ने फिल्म बाजी, आंधियां और नौ दो ग्यारह में देव आनंद के साथ काम किया। फिल्म टैक्सी ड्राइवर की शूटिंग के दौरान दोनों ने शादी कर ली। टैक्सी ड्राइवर की शूटिंग के दौरान जब अगले शॉट के लिए सेट तैयार हो रहा था तो डिपार्टमेंटल रूम में जाकर दोनों ने शादी की। शादी के बाद सेट पर लौटे और अगला शॉट दिया। 1956 में कल्पना और देव आनंद माता-पिता बने।

Devbhoomi Himachal's acting convinced Mayanagari, Many artists shining from the hill state
कुल देवी के प्रति अटूट श्रद्धा रखती हैं बॉलीवुड क्वीन
तीखे बयानों और प्रतिक्रिया के लिए सुर्खियों में रहने वाली बॉलीवुड क्वीन कंगना रणौत अपनी कुल देवी के प्रति अटूट श्रद्धा रखती हैं। मुंबई से जब भी कंगना मनाली अपने घर छुट्टियों पर आती हैं, तो पैतृक घर मंडी के भांबला में कुल देवी का आशीर्वाद लेना नहीं भूलतीं। फिल्मों में बोल्ड रोल निभा चुकीं कंगना निजी जीवन में बेहद आस्तिक हैं। सोशल मीडिया अकाउंट पर पूजा और हवन के वीडियो शेयर करती हैं। कंगना कहती हैं कि ईश्वर ही उन्हें अन्याय के खिलाफ खड़े होने की शक्ति देते हैं।  कंगना की कुल देवी राजस्थान में हैं। मेवाड़ के खजुराहो कहे जाने वाले जगत कस्बे के अंबिका मंदिर में विराजित देवी अंबिका को कंगना अपनी कुल देवी मानती हैं। कंगना यहां से मां की ज्योति को हिमाचल में अपने पैतृक घर लेकर आईं और माता का मंदिर बनवाया है। उदयपुर के पंडितों ने ही इस मंदिर में कुल देवी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवाई।
 बॉलीवुड क्वीन कंगना रणौत
कंगना को बॉलीवुड में लंबे संघर्ष के बाद कामयाबी हासिल हुई है। गैंगस्टर फिल्म के लिए इन्हें सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। तनु वेड्स मनु, फैशन और क्वीन जैसी फिल्मों में जबरदस्त अदाकारी की। कंगना का जन्म 23 मार्च 1987 को मंडी जिले के सूरजपुर में हुआ। परिवार में उनके अलावा बड़ी बहन रंगोली और छोटा भाई अक्षत है। कंगना की मां आशा रणौत स्कूल टीचर और पिता बिजनेसमैन हैं। कंगना के पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन वह बारहवीं में फेल हो गईं। इसके बाद कंगना दिल्ली आ गईं। यहां आकर उन्होंने अभिनय करने का फैसला लिया। उनके पास न रहने को घर था और न ही पैसे। जैसे-तैसे कंगना मुंबई पहुंचीं और एक्टिंग का कोर्स किया। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक सफलता की इबारत लिखी।
rubina dilaik
रुबीना ने आईएएस का सपना छोड़ एक्टिंग चुनी
बिग बॉस सीजन-14 की विजेता बनकर हिमाचल का नाम चमकाने वाली रूबीना दिलैक 2006 में मिस शिमला का खिताब भी जीत चुकी हैं। 2008 में रूबीना ने छोटे पर्दे पर एंट्री की। उन्हें लोकप्रिय टीवी सीरियल छोटी बहु में निभाए राधिका के किरदार से बड़ी पहचान मिली। छोटे पर्दे की मशहूर कलाकार रूबीना का पैतृक गांव शिमला जिले के चौपाल में है। पिता गोपाल दिलैक भाषा एवं संस्कृति विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं। रूबीना की स्कूली और कॉलेज  की पढ़ाई शिमला में हई। वह आईएएस बनना चाहती थीं, लेकिन मन में एक्टिंग का जुनून था। चंडीगढ़ में ऑडिशन दिया तो उनको धारावाहिक छोटी बहू में रोल मिला। रूबीना सास बिना ससुराल, पुनर्विवाह, एक नई उम्मीद, देवों के देव महादेव जैसे धारावाहिकों में काम कर चुकी हैं।

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अनुपम खेर अपनी माता के साथ।
ऑडिशन में पहुंचने के लिए कभी अपने ही घर से चुरा लिए थे पैसे
अनुपम खेर 7 मार्च 1955 को कश्मीरी पंडित परिवार में शिमला में जन्मे। इनके पिता पुष्कर नाथ वन विभाग में क्लर्क थे। अनुपम ने शिमला के फागली और लक्कड़ बाजार स्कूल से शिक्षा हासिल की। इसके बाद संजौली महाविद्यालय में आगे की शिक्षा ग्रहण की। अनुपम खेर को उनके दोस्त बिट्टू कहकर बुलाते थे। कॉलेज के दौरान ही अनुपम का रंगमंच की तरफ रुझान बढ़ा। एक बार तो घर से पैसे चोरी कर ऑडिशन देने के लिए पहुंच गए। इस पर उन्हें बहुत डांट भी पड़ी थी। दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से स्नातक करने के बाद अनुपम ने थियेटर से कॅरिअर की शुरुआत की। साल 1982 में फिल्म आगमन से उन्होंने फिल्मी कॅरिअर शुरू किया। 1984 में फिल्म सारांश में उनके काम को सराहना मिली।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाई अपनी पहचान
भारत ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अनुपम ने अपनी पहचान बनाई है। सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके पद्मश्री अनुपम खेर को आठ बार अलग-अलग श्रेणियों में फिल्म फेयर पुरस्कार मिल चुका है। अनुपम ने मार्च 2017 में शिमला के टुटू स्थित जतोग में अपना घर खरीदा है। इस घर में अनुपम की माता रहती हैं।

प्रीति जिंटा

बाइक पर बीड्स कॉलेज का चक्कर लगाना नहीं भूलतीं प्रीति जिंटा 
बॉलीवुड अभिनेत्री और आईपीएल टीम पंजाब किंग्स की सह मालकिन प्रीति जिंटा शिमला के जुब्बल की रहने वाली हैं। शिमला के चैल्सी स्कूल और बीड्स कॉलेज में भी उन्होंने पढ़ाई की है। साल 2006 में प्रीति ने मुंबई का रुख किया। बॉलीवुड में उन्होंने फिल्म दिल से कॅरिअर की शुरुआत की। प्रीति अकसर परिजनों से मिलने शिमला आती हैं। कॉलेज के दिनों को याद करने के लिए बाइक पर बीड्स कॉलेज का चक्कर लगाना नहीं भूलतीं।  अगस्त 2021 में शिमला आई प्रीति जिंटा ने अपने इंस्ट्राग्राम पर वीडियो शेयर कर लिखा था कि लंबे अरसे बाद सेब के पेड़ देखकर एक्साइटेड हूं और जैसे ही बारिश रुकी… मैं बाहर आई और वीडियो बनाने लगी। लंबे समय बाद सेब सीजन में अपने फैमिली फार्म पर जाना अलग अनुभव है। पोस्ट में प्रीति ने बचपन में सेब सीजन के दौरान की यादें साझा की। लिखा, मुझे अपने भाई पर गर्व है जो पूरी तरह आर्गेनिक खेती कर रहा है और बागीचे में आर्गेनिक सेब उगा रहा है। शादी के बाद प्रीति अमेरिका में रह रही हैं।
आशियाना में कॉफी पीते हुए बोले प्रेम चोपड़ा, ‘प्रेम, प्रेम नाम है मेरा’
बॉलीवुड के जाने-माने विलेन और अभिनेता प्रेम चोपड़ा का शिमला से खास नाता है। 2014 में फिल्म की शूटिंग के लिए जब प्रेम शिमला आए तो रिज मैदान स्थित आशियाना रेस्टोरेंट में कॉफी पी रहे थे। अचानक प्रशंसकों ने घेर लिया और मशहूर डायलॉग बोलने का आग्रह किया। प्रेम भी प्रशंसकों का आग्रह स्वीकार कर तुरंत बोले ‘प्रेम, प्रेम नाम है मेरा’। प्रेम का जन्म लाहौर में हुआ था। विभाजन के बाद उनके पिता रणबीर लाल चोपड़ा परिवार के साथ शिमला में बस गए। प्रेम का बचपन शिमला के नाभा में बीता। गंज बाजार के एसडी स्कूल में पढ़े। आगे की पढ़ाई भार्गव कॉलेज से की। फिर प्रेम मुंबई चले गए और फिल्मी कॅरियर शुरू किया।
यामी गौतम पति के साथ।

यामी बोलीं-साड़े पहाड़ां दा नाम रोशन करादे तोहां
नेशनल टेलीविजन पर एक टीवी शो के दौरान प्रदेश पुलिस के ‘द हारमनी ऑफ पाइन्स’ की प्रस्तुति की तारीफ में यामी ने कहा था ‘साड़े पहाड़ां दा नाम रोशन करादे तोहां’। यामी के इस अंदाज को हिमाचल ही नहीं देश भर के लोगों ने बेहद पसंद किया। कार्यक्रम के दौरान बैंड के एक प्रतिभागी से हिमाचली बोली में बातचीत को लोगों ने बहुत पसंद किया और यामी की सादगी की खूब प्रशंसा हुई। यामी गौतम हिमाचल के बिलासपुर जिले की रहने वाली हैं और धर्मशाला में इनका ननिहाल है। चंडीगढ़ में पली-बढ़ी यामी के पिता मुकेश गौतम पंजाबी फिल्मों के निर्देशक हैं। यामी ने हिंदी के अलावा पंजाबी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया है। यामी ने टेलीविजन में चांद के पार चलो सीरियल के साथ डेब्यू किया। बॉलीवुड में उन्होंने चर्चित फिल्म विक्की डोनर में आयुष्मान खुराना के साथ पारी की शुरूआत की। यामी ने मंडी जिले के गोहर स्थित निवास पर सादे समारोह में फिल्म निर्देशक आदित्य धर से शादी की।
धर्मशाला में 2018 में हुई इन्वेस्टर्स मीट में यामी गौतम को जयराम सरकार ने ब्रांड एंबेसडर भी बनाया था। हिमाचल सरकार के शिक्षा विभाग के कार्यक्रम ‘डिजिटल साथी, बच्चों का सहारा, फोन हमारा अभियान में जरूरतमंद बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई में मदद के लिए स्मार्ट फोन जुटाने के लिए भी यामी गौतम ने सहयोग दिया था।
दलीप सिंह राणा उर्फ खली
पेट भरने के लिए पत्थर तोड़ने वाले खली ने रेसलिंग में मनवाया लोहा
रेसलिंग की दुनिया में नाम कमाने वाले सिरमौर जिले के दलीप सिंह राणा उर्फ खली का शुरूआती जीवन तंगहाली में गुजरा। वह मजदूरी कर पेट भरते थे। साढ़े सात फीट लंबे, 200 किलो वजनी खली की डाइट सामान्य आदमी से बहुत अधिक थी। खली के छह भाई-बहन हैं। डाइट पूरी करने के लिए उन्हें मजदूरी की। गरीबी के कारण खली स्कूल नहीं जा सके। एक बार पंजाब पुलिस के अफसर एमएस भुल्लर ने उन्हें शिमला बस स्टैंड में मजदूरी करते देखा। वह उनकी कद, काठी देख प्रभावित हो गए। उन्हें पुलिस में भर्ती होने के लिए कहा। कई वर्षों तक बॉडी बिल्डिंग के बाद अमेरिका जाकर प्रो रेसलिंग शुरू की। अमेरिका में उन्हें हॉलीवुड फिल्मों में पहलवान के किरदार मिले और उसके बाद डब्ल्यूडब्ल्यूई से कांट्रेक्ट मिला। अब खली ने रेसलिंग छोड़ पंजाब में अकादमी शुरू की है।
हिमाचल के अभिनेताओं ने रंगमंच और सिनेमा पर छोड़ी छाप
माचल में रंगमंच और सिनेमा के लिए बेहतरीन माहौल है। यहां से निकले रंग कर्मियों और अभिनेताओं ने अपनी प्रतिभा के बूते अमिट छाप छोड़ी है। हिमाचल में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली से प्रशिक्षण प्राप्त स्वर्गीय मनोहर सिंह ने शिमला के गेयटी थियेटर से अपना सफर शुरू किया और मायानगरी में अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ी। अनुपम खेर, प्रीति जिंटा, कंगना राणौत और यामी गौतम ने बाॅलीवुड में हिमाचल का नाम ऊंचा किया है। हिमाचल के थियेटर आर्टिस्ट विजय कश्यप, रोहिताशव गौड, नीरज सूद की प्रतिभा किसी से छिपी नहीं है। सोलन की ट्विंकल शर्मा ने हाल ही में आई राजा मोली की फिल्म आरआरआर में अभिनय किया है। टेलीविजन के लिए भी हिमाचल प्रदेश ने कई प्रतिभाएं दी हैं, जिनमें रूबीना दिलैक, मोहित परमार, सौरभ सेवल, सौरभ अग्निहोत्री, प्रेरणा ठाकुर, सौरभ चौहान और हैप्पी शर्मा नाम कमा रहे हैं। प्रवीण चांदला ने 1975 के बाद शिमला में थियेटर शुरू किया था। भूपेंद्र शर्मा लोक रंगमंच में जाना-माना नाम है। शिमला के देवेन जोशी और अमला रॉय थियेटर के जाने-माने चेहरे रहे हैं। मंडी के सतोहल स्थित हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान के संचालक सुरेश शर्मा नेशनल स्कूल आॅफ ड्रामा के निदेशक रहे हैं। देश भर के युवा रंगकर्मी प्रशिक्षण लेने इस संस्थान में आते हैं। रंगमंच और सिनेमा के जाने-माने कलाकार राजन मोदी और जय हिंद कुमार इसी संस्थान से प्रशिक्षित हैं। यहां से प्रशिक्षण लेकर राजस्थान के जितेंद्र सिंह नरुका राजस्थानी फिल्में बना रहे हैं। हिमाचल देश भर में रंगमंच और सिनेमा का सबसे बड़ा केंद्र बन सकता है, क्योंकि यहां का वातावरण बहुत बेहतर है। रंगमंच और अभिनय के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए यहां प्रशिक्षण संस्थान खोलने और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता है। हिमाचल प्रदेश की फिल्म पॉलिसी तैयार है, लेकिन पिछले चार वर्षों से लागू नहीं हो सकी, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। – केदार ठाकुर(वरिष्ठ रंगकर्मी एवं अभिनेता)

केदार ठाकुर : 32 नाटकों  अभिनय 35 का निर्देशन
कला के क्षेत्र में देश के सबसे बड़े युवा सम्मान उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से सम्मानित केदार ठाकुर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय विस्तार कार्यक्रम के तहत हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान एवं नाट्य अकादमी से प्रशिक्षित हैं। अब तक 32 नाटकों में अभिनय कर चुके हैं। 35 नाटकों का निर्देशन भी कर चुके हैं। प्रियंका चोपड़ा के साथ फिल्म मेरीकॉम और एपिक चैनल के लिए दि ग्रेट एस्केप सीरेज में अभिनय कर चुके हैं।