नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड ने शनिवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को अपना उप-राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित किया. एक जाट जगदीप धनखड़ को उप-राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने ऐसे विपक्षी दलों के भीतर गहरी दरार पैदा करने की कोशिश की है, जो खुद को विभिन्न राज्यों में जाट समुदाय का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं. जाट समुदाय मुख्यतः हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में प्रभावी स्थिति में है.
जिस तरह भाजपा ने अपने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के लिए विपक्षी दलों और कांग्रेस के साथ गठबंधन में शामिल पार्टियों तक के वोट हासिल किए हैं, वैसे ही धनखड़ को अपना उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने जाट समर्थन हासिल करने का प्रयास किया है. कृषि सुधार कानूनों के पारित होने और किसानों के विरोध आंदोलन के बाद जाट समुदाय को सरकार से नाराज माना जा रहा है.
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसके अलावा चुनाव के दौरान जाट समुदाय के ‘ठेकेदार’ होने का दावा करने वाले क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को बेनकाब करने के लिए भाजपा के लिए यह एक सही रणनीति होगी. उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने बीजेपी के उप राष्ट्रपति के उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया तो वे अपने वोट बैंक के भीतर बेनकाब हो जाएंगे. वैसे भी बीजेपी के पास अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए पर्याप्त संख्या है. गौरतलब है कि 16वें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य, राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य और लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य मतदान करेंगे.
मिशन राजस्थान
News18 से बात करते हुए जगदीप धनखड़ के समधि और राजस्थान से चार बार के सांसद और एक बार विधायक रहे राम सिंह ने कहा कि जाट राज्य में एक बहुत प्रभावशाली समुदाय है और 15 जिलों और 64 निर्वाचन क्षेत्रों में उनका असर है. चुरू से सांसद राहुल कस्वां के पिता राम सिंह ने कहा कि हमने कांग्रेस में सेंध लगाई. वैसे भी जाट काफी समय से भाजपा के साथ हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जोधपुर, बीकानेर, भरतपुर और सीकर संभाग में जाटों की अच्छी खासी संख्या है. राज्य में जाट मुदाय की आबादी लगभग 15 से 18 प्रतिशत मानी जाती है. बीजेपी के इस वोट बैंक को अब और मजबूती मिलने की उम्मीद है.
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि धनखड़ के नामांकन से राज्य में पहले से विभाजित कांग्रेस विशेष रूप से जाट नेताओं के भीतर और अधिक दरार पैदा होने की संभावना है. बीजेपी नेताओं का मानना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में जाटों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया था. उन्हें उम्मीद थी कि एक जाट मुख्यमंत्री चुना जाएगा. हालांकि कांग्रेस ने अशोक गहलोत को चुना. उप-राष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने जाट समुदाय को एक संदेश दिया है कि भाजपा उन्हें महत्वपूर्ण पद देने के खिलाफ नहीं है.
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि चुनाव के दौरान ‘जाट दल’ होने का दावा करने वाली पार्टियों पर नजर रहेगी, जिसमें जयंत चौधरी का राष्ट्रीय लोक दल भी शामिल है. हरियाणा में दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के साथ बीजेपी का गठबंधन बरकरार है. फिर भी बीजेपी जाट समुदाय में भी अपना आधार मजबूत करने की कोशिश कर रही है. चूंकि हरियाणा में जाट संख्या में काफी हैं और गैर-जाट मुख्यमंत्री बनाने के लिए पार्टी से नाराज हैं. इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर बीजेपी ने जेजेपी से स्वतंत्र जाट वोट बैंक बनाने पर काम करना शुरू कर दिया है. धनखड़ राजस्थान के जाट हैं, लेकिन उनका हरियाणा के जाट समुदाय में अगर ज्यादा नहीं तो कुछ असर जरूर होगा.
किसान आंदोलन के बाद जाटों को संदेश
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जगदीप धनखड़ को ‘किसान-पुत्र’ बताया. यह उन लोगों के लिए साफ संदेश था, जो यह दावा कर रहे थे कि संसद में कृषि कानून पारित करने वाली बीजेपी जाट और किसान विरोधी है. जाट नेता राकेश टिकैत और इस साल सेवानिवृत्त हो रहे मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक इनमें खास तौर पर शामिल हैं.