टूथब्रश हमारी ज़िंदगी का सबसे अहम हिस्सा है. सुबह उठना और ब्रश करना हमारी दिनचर्या में शामिल है. मार्केट में एक से बढ़ कर एक टूथब्रश मिल जाते हैं. वहीं, कई लोग अब भी टूथब्रश की जगह पर आम, नीम जैसे पेड़ों की दातुन का इस्तेमाल करते हैं. ब्रश करते हुए कभी आपके दिमाग में ये सवाल आया है कि इंसान ने टूथब्रश की खोज कैसे की होगी ? दुनिया का सबसे पहला टूथब्रश कैसा रहा होगा ? इसे पहली बार किसने और कब इस्तेमाल किया होगा ?
चीन के राजा ने किया था पहले टूथब्रश का इस्तेमाल
वैसे तो राख, मिट्टी और दातुन इत्यादि से दांत साफ़ करने की परंपरा बहुत पुरानी है लेकिन बात अगर टूथब्रश की खोज की हो, तो इसका श्रेय एक चीनी शासक को जाता है. इतिहासकारों की मानें तो 26 जून 1498 के दिन पहली बार चीनी शासक होंगझी द्वारा टूथब्रश का प्रयोग किया गया था. माना जाता है कि 3000 BC में लोग दांतों साफ करने के लिए पेड़ की पतली डाली का प्रयोग करते थे. इसके बाद चीनी लोग अपने दांत चमकाने के लिए 1600 BC के आसपास खुशबूदार पेड़ों की डालियों का प्रयोग करने लगे. दातुन के तौर पर खुशबूदार पेड़ों की डालियों का इस्तेमाल दांतों को चमकाने के साथ सांस की दुर्गंध को मिटाने का भी एक तरीका था.
इसके बाद लोगों ने जानवरों के बालों को लकड़ी के हत्थे पर चिपकाकर उससे अपने दांत साफ करना शुरू किया. हालांकि तब तक टूथपेस्ट की खोज नहीं हुई थी और लोग इस ब्रश पर मिट्टी, राख, अंडे के छिलकों का पेस्ट और कई अन्य तरह की चीजें लगाकर उससे दांत साफ करते थे.
सूअर के बालों से बना पहला टूथब्रश
यह सन 1498 था जब मिंग वंश के चीनी राजा होंगझी ने सूअर के बालों का इस्तेमाल कर के दुनिया का पहला टूथब्रश बनाया था. लकड़ी के हत्थे की जगह इसमें एक हड्डी लगी होती थी और इसी पर सूअर के बाल चिपकाए गए थे. माना जाता है कि इससे दांत ज्यादा बेहतर तरीके से साफ होते थे. होंगझी के बनाए हुए इस टूथब्रश का चलन धीरे धीरे बढ़ने लगा और फिर इसे दुनिया भर में इस्तेमाल किया जाने लगा. हालांकि लोग इस टूथब्रश का इस्तेमाल कर तो रहे थे लेकिन 1690 से पहले किसी ने इसका कोई नाम नहीं सोचा था. 1690 में दांत साफ करने वाली इस अनोखी चीज को नाम मिल ‘टूथब्रश’. एंथनी वुड नामक एक शख्स ने अपनी आत्मकथा में पहली बार टूथब्रश शब्द का प्रयोग किया था. उन्होंने लिखा था कि उन्होंने एक दूसरे आदमी से टूथब्रश खरीदा.
1780 में शुरू हुआ टूथब्रश का कारोबार
माना जाता है कि विलियम एडिस नामक व्यक्ति को जेल में रहते हुए ब्रश का कारोबार करने का आइडिया आया था. इसके बाद उन्होंने साल 1780 में पहली बार बड़े पैमाने पर टूथब्रश को बनाने का काम शुरू किया. विलियम द्वारा बनाए जा रहे टूथब्रशों में सूअर के बालों की जगह घोड़े के बालों का इस्तेमाल किया जाने लगा.
यह आइडिया विलियम को तब आया जब वह जेल में रहते हुए दांत साफ करने के लिए अन्य कैदियों से अलग तरीके का इस्तेमाल करते थे. अन्य कैदी जहां मिट्टी और राख से दांत साफ करते थे वहीं विलियम ने एक हड्डी में गोंद लगाकर उस पर बालों को चिपका दिया. ऐसे तैयार हुआ विलियम का टूथब्रश. अपने इसी तरीके को जेल से बाहर आने के बाद विलियम ने व्यापार के रूप में इस्तेमाल किया और टूथब्रश बनाने का काम शुरू कर दिया. उन्होंने अपनी कंपनी का नाम विस्डम टूथब्रश कंपनी रखा जो कि आज भी मौजूद है.
यह वर्ष 1844 था जब पहली बार तीन लाइन वाला टूथब्रश दुनिया के सामने आया. हालांकि इस टूथब्रश की बनावट और मजबूती में बदलाव आए थे लेकिन इसमें अभी भी जानवरों के बालों का ही इस्तेमाल चल रहा था. फिर साल 1935 में वालेस कैरोथर्स ने एक सुपर पॉलिमर बनाया जिसे नायलॉन नाम दिया गया. इसके बाद से ही टूथब्रश में जानवरों के बालों की जगह नायलॉन का प्रयोग होने लगा. वहीं इलेक्ट्रिक टूथब्रश पहली बार 1960 में बाजार में आए.