दीना सनीचर: इंसान बच्चा जो भेड़ियों के बीच हुआ बड़ा, इसी से प्रेरित था Jungle Book का ‘मोगली’

Indiatimes

इस आधुनिक दौर से पहले के बच्चे हर रविवार को ‘जंगल जंगल बात चली है पता चला है, चड्डी पहन के फूल खिला है’ सुनते हुए बड़े हुए हैं. ये कार्टून मोगली का गीत था, जो उस दौर के बच्चों को खूब पसंद था. जैसा कि हम सब जानते हैं, मोगली एक ऐसे बच्चे की कहानी थी, जो अपने माता पिता से बिछड़ने के बाद भेड़ियों के बीच बड़ा हुआ और उनकी तरह ही बन गया.

MowgliTwitter

ये कार्टून आधारित था रुडयार्ड किपलिंग द्वारा 1894 में प्रकाशित हुई प्रसिद्ध ‘द जंगल बुक’ पर. इसके बाद 1967 में इस किताब पर फिल्म भी बनी. बेशक भेड़ियों के साथ बड़े हुए लड़के की कहानी एक अंग्रेज लेखक ने लिखी थी लेकिन ये कहानी वास्तव में एक भारतीय व्यक्ति के जीवन से हू ब हू मेल खाती है. बहुत सी रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया है कि रुडयार्ड किपलिंग को उनकी प्रसिद्ध जंगल बुक के लिए प्रेरणा इसी भारतीय शख्स से मिली थी.

तो चलिए जानते हैं किपलिंग की किताब को प्रेरित करने वाले भारतीय शख्स की कहानी :

कौन था ये भारतीय जंगली शख्स?

ये कहानी है भारत के दीना सनीचर की, जो 19 वीं शताब्दी के अंत में जंगली भेड़ियों के एक झुंड के बीच पला-बढ़ा. लेकिन इस शख्स की कहानी इतनी सुंदर और रोमांचक नहीं थी जितनी किताब और फिल्म रूपांतरण में दिखाई गई है. बहुत से लोग मानते हैं कि मोगली के लिए दीना सानिचर के वास्तविक जीवन से प्रेरणा ली गई थी. हालांकि वह जंगली जानवरों द्वारा पाला जाने वाला एकमात्र बच्चा नहीं है. समय के साथ साथ ऐसे बहुत से बच्चों के उदाहरण सामने आए जो जानवरों के बीच पले-बढ़े थे. हां, ये बात कही जा सकती है कि दीना सनीचर ऐसा पहला उदाहरण बना.

1872 में शिकारियों ने पकड़ा था इसे

Dina Sanichar Wiki

यह 1872 की बात है जब शिकारियों के एक समूह ने दीना को जंगली भेड़ियों के एक झुंड के साथ जंगल में चारों ओर घूमते हुए पाया. पहले इन शिकारियों को विश्वास ही नहीं हुआ कि ऐसा हो सकता है. वह एक बच्चे को अपने चारों अंगों पर भेड़ियों के झुंड के आगे दौड़ता देख हैरान थे. वह इसे अपने साथ इंसानों के बीच ले जाना चाहते थे. उन्होंने दीना का पीछा किया. दीना और एक भेड़िया एक मांद में छिप गए. शिकारियों ने दीना को पकड़ने के लिए गुफा में आग लगा दी. आग की वजह से भेड़िया और दीना को गुफा से निकलना पड़ा. इसके बाद शिकारियों ने भेड़िये को गोली मार दी और और दीना को अपने साथ ले आए.

6 साल का था दीना

Dina Sanichar Timeline

जिस समय शिकारियों ने दीना को पकड़ा उस समय उसकी उम्र लगभग छह वर्ष की थी. पकड़े जाने के बाद उसे आगरा एक अनाथालय में ले जाया गया. जहां उसे साफ सुथरा करने के बाद बपतिस्मा (पवित्र करने के लिए खास स्नान) दिया गया. यहां उसे नाम मिला ‘दीना सनीचर’. सनीचर नाम शनिवार दिन से लिया गया था क्योंकि इसी दिन वह वहां पहुंचा था. बहुत कम आईक्यू होने के कारण दीना को इंसानी आदतें डालने में बहुत परेशानी हुई. अनाथालय के कर्मचारियों के तमाम प्रयासों के बावजूद, दीना कभी बोलना या लिखना नहीं सीख पाया.

लग गई धूम्रपान की लत

Dina Sanichar Reddit

आखिरकार, उसने दो पैरों पर चलना सीख लिया लेकिन उसे कपड़े पहनना पसंद नहीं था. शुरुआत में सानीचर ने पका हुआ खाना खाने से मना कर दिया क्योंकि उसे जानवरों की तरह कच्चा मांस खाने की आदत थी. यही वजह थी कि उसके दांत घिस गए थे. भले ही सनीचर को दूसरों के साथ संवाद करने के लिए संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उसने एक अन्य जंगली लड़के से दोस्ती कर ली जो अनाथालय में बढ़ रहा था. इस लड़के की दोस्ती में दीना ने इंसानों की एक ही आदत सीखी और वो थी धूम्रपान की लत.

टीबी ने ले ली जान

Dina Sanichar Twitter

यही धूम्रपान दीना के लिए टीबी की बीमारी का कारण बना. इंसानों के बीच रहने के 10 साल बाद भी दीना अपने जंगली पक्ष को दबा नहीं पाया. वह अभी भी अन्य लोगों के आसपास रहते हुए चिंतित रहता था. उसका रूप कुछ इस तरह था, उसके बहुत बड़े दांत थे, एक नीचा माथा था और वह सिर्फ 5 फीट लंबा था.

आखिरकार 1895 में, केवल 29 वर्ष की उम्र में दीना सनीचर टीबी के कारण अपनी दुनिया को अलविदा कह गया.

दीना जैसे अन्य मामले भी आए सामने

Dina Sanichar Twitter

दीना भारत में जंगली जानवरों द्वारा पाला जाने वाला अकेला लड़का नहीं था. समय के साथ ऐसे और भी मामले सामने आए. भारत में उसी समय के आसपास चार अन्य जंगली बच्चों की खोज की गई थी. दीना सनीचर के अलावा अमला और कमला के मामले भी काफी चर्चा में रहे थे. इन दो लड़कियों को 1920 में भेड़ियों के एक झुंड से बचाया गया था. ये लड़कियां भी चार अंगों पर चलती थीं. इसके अलावा ये केवल कच्चा मांस खातीं और भेड़ियों की तरह चांद की तरफ देख चिल्लाती थीं.

किपलिंग को मिल गई कहानी

जंगली जानवरों द्वारा उठाए गए जंगली बच्चों की कहानियों ने कई लेखकों को प्रेरित किया है, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध रुडयार्ड किपलिंग हुए. जंगली लड़के के मिलने के 20 साल बाद, किपलिंग ने 1894 में द जंगल बुक लिखी. कहा जाता है कि इस किताब का मुख्य पात्र मोगली, सनीचर की कहानी से बहुत प्रेरित था. मोगली के विपरीत दीना को उसकी इच्छा के विरुद्ध समाज में वापस ले जाया गया, वहीं मोगली ने स्वेच्छा से जंगल छोड़ दिया था.

अफसोस की बात है कि भले ही लोगों ने दीना को वापस समाज में लाने की कोशिश की, लेकिन अपने जीवन के पहले 6 साल भेड़ियों के बीच बिताकर वह पूरी तरह से बदल चुका था. यही वजह रही कि लोगों के प्रयासों के बावजूद दीना कभी भी मानव समाज के अनुकूल नहीं हो पाया.