किसानों को इस बार पिछले 20 वर्षों की तुलना में सबसे कम दाम मिल रहे हैं। इस वक्त लहसुन 15 से 75 रुपये किलोग्राम बिक रहा है।
पिछले तीन माह से लहसुन के दाम बढ़ने की आस में भंडारण कर बैठे किसानों की चिंता बढ़ गई है। अब किसानों के पास दो विकल्प हैं, या तो लहसुन औने-पौने दामों में बेच दें या फिर अपनी फसल खराब होने के लिए छोड़ दें। मौजूदा समय में स्थिति ये हो गई है कि गोदामों में पड़ा लहसुन अंकुरित होना शुरू हो गया है। साथ ही लहसुन में पंपिंग की समस्या भी इस समय शुरू होने लगी है। कई किसानों ने मजबूरी में अपनी फसल को निकालना शुरू कर दिया।
ये अलग बात है कि फसल के अच्छे दाम न मिलने से किसान इस मर्तबा बीज खरीद, परिश्रम और खाद आदि का पैसा भी पूरा नहीं कर पाएंगे। किसानों को इस बार पिछले 20 वर्षों की तुलना में सबसे कम दाम मिल रहे हैं। इस वक्त लहसुन 15 से 75 रुपये किलोग्राम बिक रहा है। सबसे बेहतर क्वालिटी के ट्रिपल ए ग्रेड लहसुन के दाम 70 से 75, डबल ए ग्रेड का लहसुन 45 से 50 प्रति किलो बिक रहा है। जबकि गोली, मध्यम प्रकार का लहसुन केदाम 15 से 25 रुपये तक मिल रहे हैं। किसानों को उम्मीद थी कि सितंबर तक लहसुन 100 रुपये प्रति किलो पहुंचेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
प्रमुख नकदी फसल है लहसुन
सिरमौर जिले के गिरिपार, सैनधार और पच्छाद आदि क्षेत्रों की लहसुन प्रमुख नकदी फसल है। लगभग नौ महीने में तैयार होने वाली इस फसल के किसानों को अच्छे दाम मिलते आए हैं। इस बार किसानों की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। प्रगतिशील किसान अतर सिंह, मोहनलाल, निरंजन सिंह, प्रताप सिंह, पदम, संजय चौहान आदि ने बताया कि उन्होंने 70 से 80 रुपये प्रतिकिलो बीज खरीदकर पिछले वर्ष अगस्त-सितंबर माह में बिजाई की थी। इस वर्ष इसके दाम नहीं बढ़ सके।
दाम बढने की उम्मीद नहीं
उधर, आढ़ती रविंद्र चौहान, जेपी पुंडीर, अशोक पुंडीर, राजेंद्र सिंह ने बताया कि इस वर्ष राज्यस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात आदि प्रदेशों में लहसुन तीन से चार गुना अधिक पैदावार हुई है। इस कारण हिमाचल के लहसुन के दाम कम हैं। इस वर्ष दाम बढ़ने की कोई उम्मीद नहीं है। कृषि विभाग के उपनिदेशक राजेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि कृषि विभाग किसानों को सूखे और बारिश से नुकसान के लिए फसलों पर बीमा दिया जाता है। बाजार के लहसुन के घटते-बढ़ते दामों पर विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है।