हिमाचल प्रदेश विधानसभा में राज्य के 2023-24 के बजट पर सोमवार को चर्चा शुरू हुई। प्रश्नकाल के बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने चर्चा शुरू करते हुए बजट को पूरी तरह खोखला करार दिया। उन्होंने कहा कि बजट भाषण बजट आंकड़ों से कतई मेल नहीं खाता है।
सरकार ने इस बजट के माध्यम से लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष सरकार के जनता को गुमराह करने के प्रयास और जनविरोधी निर्णयों का जमकर विरोध करेगा। उन्होंने कहा कि बजट में एक सौ रुपए में से महज 29 रुपए ही विकास के लिए बचे हैं। ऐसे में प्रदेश में विकास की गुंजाइश बहुत कम हो गई है, जो चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने विधायकों तक को नहीं बख्शा है, और उनकी विधायक क्षेत्र विकास निधि को बंद कर विधायकों को दुबला कर दिया है। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा सैकड़ों संस्थान बंद करने पर तंज कसते हुए कहा कि अब स्थिति यह हो गई है कि प्रदेशभर में लोग बंद-बंद सुनते यह पूछने लगे हैं कि सरकार कब बंद होगी।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने बजट में 2.31 लाख महिलाओं को 1500 रुपए मासिक भत्ता देने की घोषणा कर प्रदेश की महिलाओं को ठगा है। उन्होंने कहा कि ये 1500 रुपए भत्ता उन महिलाओं को दिया जाएगा, जो पहले से ही 1000 और 1150 रुपए सामाजिक सुरक्षा पेंशन ले रही हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रतिज्ञा पत्र के अनुसार 18 से 60 वर्ष तक आयु की सभी महिलाओं को यह भत्ता मिलना चाहिए था और इनकी संख्या लगभग 21 लाख है, जिसके लिए सरकार को कम से कम 3600 करोड़ रुपए की जरूरत होगी।
जयराम ठाकुर ने सरकार के ग्रीन हिमाचल के कांसेप्ट की सराहना की और कहा कि वास्तव में यह केंद्र सरकार की योजना है। प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री देश को हरित ऊर्जा देश बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं, ताकि फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता कम की जा सके। उन्होंने प्रदेश सरकार पर एनपीएस कर्मचारियों को ठगने का आरोप लगाया। कहा कि कर्मचारी पुरानी शर्तों पर पेंशन मांग रहे हैं, जबकि सरकार अपना एसओपी बना रही है। कांग्रेस के राजेंद्र राणा और भाजपा के सुखराम चौधरी ने भी बजट चर्चा में हिस्सा लिया।