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फाल्गुन मास में शिव पूजा से दूर होती हैं बीमारियां, जरुरतमंद को दान देने से बढ़ता है सुख

हिंदी कैलेंडर का आखिरी महीना यानी फागुन मास 6 फरवरी से शुरू हुआ है और 7 मार्च को होली के साथ खत्म हो जाएगा. पुराणों में इस महीने को धर्म कर्म के लिए खास माना गया है. इस हिंदी महीने में श्रीकृष्ण के साथ भगवान शिव की पूजा करने का भी विधान ग्रंथों में बताया गया है.

इस महीने में शिवजी का अभिषेक करने से उम्र बढ़ती है. बीमारियां भी दूर होती हैं. फाल्गुन में घी और फलों के रस से रूद्राभिषेक करने से हर तरह की परेशानियां दूर होने लगती हैं. शिवजी को चंदन चढ़ाने से समृद्धि बढ़ती है. इस महीने दान का भी विशेष महत्व है.

बीमारियों से बचने के लिए शिव पूजा

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि धर्म ग्रंथों में फागुन को बीमारियों से छुटकारा पाने का महीना माना जाता है. मान्यता है कि रोगों से मुक्ति के लिए फाल्गुन महीना उत्तम है. इस महीने में भोले शंकर को सफेद चंदन अर्पित करने से स्वास्थ्य लाभ होता है. मां लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन देवताओं को अबीर और गुलाल अर्पित करना चाहिए.

दान का विशेष महत्व

फाल्गुन में दान का ज्यादा महत्व है. इस महीने में अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान देने और पितरों के लिए तर्पण जरूर करना चाहिए. फाल्गुन मास में शुद्ध घी, तेल, सरसों का तेल, मौसमी फलों का दान करने से सुख और समृद्धि बढ़ती है.

आठ दिन का होलाष्टक: शुभ कामों की मनाही

होलाष्टक 8 दिनों का होता है. इसमें शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. पौराणिक कथा के मुताबिक कामदेव द्वारा भगवान शिव की तपस्या भंग करने के कारण शिवजी ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी पर कामदेव को भस्म कर दिया था.

दूसरी कथा के मुताबिक राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए 8 दिनों में कई यातनाएं दी थीं, इसलिए होलाष्टक काल को विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन समारोह जैसे अधिक शुभ कार्यों को करने के लिए अशुभ माना गया है.

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