Diwali : थोड़ी सी लापरवाही बिगाड़ सकती है तबीयत इन बीमारियों के शिकार लोगों को विशेष सावधानी की जरूरत

पटाखों से होने वाला प्रदूषण और इसके नुकसान

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दीपावली उत्साह और खुशियों का पर्व है जिसका सभी लोगों को पूरे साल इंतजार रहता है। लोगों से मिलना, मिठाइयां और पटाखे इस त्योहार को काफी खास बनाते हैं। हालांकि इन सबके बीच हम सभी को हमेशा अपनी सेहत को लेकर ध्यान देते रहने की आवश्यकता होती है। मिठाइयों के अधिक सेवन से डायबिटीज और मोटापे की समस्या होने का जोखिम रहता है, वहीं दीपावली में पटाखों के जलाने से होने वाला प्रदूषण भी सेहत के लिए भी कई प्रकार की चुनौतियां खड़ी कर सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए कई राज्यों में पटाखों को प्रतिबंधित किया गया है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पटाखों की अनुमति नहीं दे सकते, भले ही वे ग्रीन पटाखे हों, इससे प्रदूषण बढ़ने का खतरा रहता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पटाखों को जलाने से होने वाला प्रदूषण कई प्रकार से हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे सिर्फ फेफड़े ही नहीं हृदय, आंखों और कई अन्य अंगों की समस्याओं के बढ़ने का भी खतरा हो सकता है। जिन लोगों को पहले से ही सांस की समस्या है, उनके लिए मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं।

इस बात को ध्यान में रखते हुए सभी लोगों को प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने की पहल करनी चाहिए। आइए जानते हैं कि पटाखों से होने वाला प्रदूषण किस प्रकार से हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है?

पटाखों के प्रदूषण से पर्यावरण को नुकसान

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पर्यावरण को नुकसान और सेहत पर असर

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, पटाखों को जलाने से निकलने वाले धुएं में कई प्रकार के हानिकारक रसायन होते हैं जो पर्यावरण को प्रदूषित करके कई प्रकार की दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। वायु प्रदूषण के कारण साल-दर-साल पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है जिसके भी कई गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

इसके अलावा प्रदूषित हवा के संपर्क में लंबे समय तक रहने वाले लोगों को अस्थमा, फेफड़ों और हृदय के रोग हो सकते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए इस प्रकार के वातावरण को काफी नुकसानदायक माना जाता है।

प्रदूषण के कारण सांसों की समस्याएं

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प्रदूषण का कारण सांस की समस्याएं

पटाखों को जलाने के कारण बढ़ने वाले प्रदूषण का असर हफ्तों तक बना रहता है। राजधानी दिल्ली में हर साल इसका असर देखने को मिलता रहा है। यह वायु गुणवत्ता को बिगाड़ देती है जिससे इस प्रकार के हवा में सांस लेने से कई प्रकार की सांस की बीमारियों जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी का भी खतरा हो सकता है। इस प्रकार का वातावरण पहले से ही अस्थमा के शिकार लोगों की समस्याओं को ट्रिगर भी कर सकता है। दीर्घकालिक तौर पर प्रदूषण के कारण फेफड़ों की क्षति का भी जोखिम रहता है।

पटाखों के कारण आंखों की बढ़ सकती है दिक्कत

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आंखों की समस्याएं

वायु में प्रदूषण का स्तर बढ़ने का कारण आंखों में जलन, खुजली, लालिमा जैसी समस्याएं होने लगती हैं। यह समस्या स्मॉग में जहरीले नाइट्रोजन ऑक्साइड की उच्च सांद्रता का परिणाम होता है। अध्ययनों में पाया गया है कि प्रदूषण के अधिक संपर्क में रहने वाले लोगों में समय के साथ कंजंक्टिवाइटिस, ग्लूकोमा, मोतियाबिंद और एज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन (एएमडी) जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

प्रदूषण की यह समस्या आंखों की रोशनी जाने की भी कारण बन सकती है, इससे विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। दीपावली के बाद नाक और गले की संवेदनशील परत में जलन भी बढ़ सकती है।

पटाखों के कारण गर्भावस्था में होने वाली दिक्कत

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गर्भवती बरतें विशेष सावधानी

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, दीपावली के दिनों में होने वाले वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव गर्भवती की सेहत को भी प्रभावित कर सकता है। गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से समय से पहले बच्चे के जन्म और जन्म के समय कम वजन होने का खतरा बढ़ सकता है। समय से पहले जन्म (गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले) की स्थिति में बच्चे की सेहत पर कई प्रकार के दुष्प्रभावों का खतरा देखा गया है। गर्भवती को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है।