गोवा में नरकासुर का पुतला जलाकर मनाई दिवाली, सीएम सावंत ने दी बधाई

दिवाली के मौके पर गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने राज्य के लोगों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह पर्व उनके जीवन में शांति, खुशी व समृद्धि लाए। सीएम सावंत ने लोगों से अपील की कि वे प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाएं और वंचित लोगों की मदद करें।

Diwali celebrated by burning effigy of Narakasur in Goa
Diwali celebrated by burning effigy of Narakasur in Goa\

गोवा में दिवाली अनूठे ढंग से मनाई जाती है। आज अल सुबह राज्य में जगह-जगह राक्षस नरकासुर के पुतले जलाए गए। बुराई पर अच्छाई की जीत की इस परंपरा के तहत ये पुतले जलाए जाते हैं।

दिवाली के मौके पर गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने राज्य के लोगों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह पर्व उनके जीवन में शांति, खुशी व समृद्धि लाए। सीएम सावंत ने लोगों से अपील की कि वे प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाएं और वंचित लोगों की मदद करते हुए उनके साथ खुशियां साझा करें।

रातभर चली नरकासुर वध की प्रतियोगिताएं
नरकासुर वध को लेकर पणजी, मारगाओ व वॉस्को में रविवार रातभर प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। ये सोमवार रात को शुरू हुई। 20 समूहों में हुई प्रतियोगिताओं में 20 से ज्यादा सहभागियों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर नरकासुर के सैकड़ों पुतले जलाए गए और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया गया। विभिन्न गांवों से ट्रकों में भरकर विशालकाय पुतले प्रतियोगिता स्थलों तक लाद दिए गए। ट्रक में भगवान कृष्ण के वेश में लड़के सवार थे। प्रतियोगिता के दौरान सहभागियों को यह प्रदर्शित करना था कि कैसे भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने एक युद्ध में नरकासुर का वध किया था।

दो दशकों से अधिक समय से मडगांव में नरकासुर वध प्रतियोगिता आयोजित करने वाले स्थानीय संगठन ‘सॉलिड पार्टी‘ के कोर कमेटी सदस्य मनोज हेडे ने कहा कि भगवान कृष्ण की भूमिका निभाने वालों को पुरस्कार दिए गए। मडगांव के उपनगर फतोर्दा में एक अन्य संगठन द्वारा आयोजित ऐसी प्रतियोगिता को देखने के लिए 20,000 से अधिक लोग आए थे।

कृष्ण ने सत्यभामा की मदद से मारा था नरकासुर को
नरकासुर एक राक्षस था। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी तीसरी पत्नी सत्यभामा की सहायता से उसका संहार किया था। नरकासुर वध के कारण यह दिन नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। उसे एक स्त्री के हाथों मरने का श्राप था, इस कारण उसके वध के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने सत्यभामा की सहायता ली थी।