शिमला का एक वृद्ध व्यक्ति ,महेश शर्मा, जिस पर दिवाली वाली रात , कहर बनकर टूटी। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि, जब शिमला वासियों के घरों में, दिए जल रहे थे, तब महेश की दुकान ,धू धूकर जल रही थी। वृद्ध महेश की सारी दुकान, कुछ ही मिनटों में ,जल कर राख हो गई। महेश की इसी दुकान के बदौलत, घर का खर्चा चलता था। महेश , वृद्ध होने के साथ साथ, गंभीर बिमारी से भी पीड़ित है। लेकिन , उसके बावजूद भी , महेश का हौंसला नहीं टूटा था। अपने परिवार के लिए, वह अभी भी दूकान चलाने का ,जज़्बा अपने दिल में रखते थे। लेकिन अब, इस घटना के बाद ,तो मानों उनका हौंसला जवाब दे चला है। बूढ़ी आँखें ,जले सामान में, अपना भविष्य तलाश रही है। हैरानी वाली बात यह है कि, इस घटना में ,एक वृद्ध का आशियाना लुट गया , लेकिन जिला प्रशासन ने , फौरी राहत तो दूर ,उनकी सुध लेने तक की ज़हमत नहीं की।
वृद्ध महेश ने बताया कि ,वह पिछले तीस वर्षों से, इस दुकान को चला रहे थे ,एक एक पाई जोड़ कर ,इस दुकान में सामान भरा था ,लेकिन रात को मालूम हुआ कि ,उनकी दुकान जल कर राख हो गई है। इस दुकान में, सब कुछ जल कर राख हो गया है। दुकान का, कुछ सामान भी नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि, चाय और बेकरी का सामान, बेच कर वह घर का खर्चा चला रहे थे। लेकिन आग ने, सब कुछ जला कर, राख कर दिया है। उन्होंने कहा कि,यह आग कैसे लगी ,या किसी ने जानबूझ कर, लगाई इसको लेकर ,वह कुछ कह नहीं सकते। उन्होंने कहा कि ,सुबह से घटनास्थल पर मौजूद है ,लेकिन कोई प्रशासनिक अधिकारी, उनकी सुध लेने नहीं आया है ।
ऐसे समय में, जहाँ प्रशासन को मदद के लिए ,आगे आना चाहिए था ,कुछ राहत प्रदान की जानी चाहिए थी। लेकिन प्रशासन इस मौके पर, मौन नज़र आया। इस लिए ,आम जन का फर्ज बनता है कि, इस असहाय बीमार वृद्ध का ,सहयोग करें ताकि ,वह फिर से अपने पैरों पर खड़े हो सके।