Diwali Special Train: दिवाली, छठ में एक ट्रेन में कितने पैसेंजर यात्रा करते हैं, जानते हैं आप?

ट्रेन में दिवाली की भीड़ (Diwali Rush) शुरू हो चुकी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश (Eastern UP) और बिहार जाने वाली ट्रेनों (Train to Bihar) में इन दिनों भारी भीड़ हो रही है। आपको पता है कि भीड़ के दिनों में एक पॉपुलर ट्रेन (Popular Trains of India) में कितने पैसेंजर होते हैं?

do you know how many passengers travel in a train during diwali, chhath or holi?
Diwali Special Train: दिवाली, छठ में एक ट्रेन में कितने पैसेंजर यात्रा करते हैं, जानते हैं आप?

नई दिल्ली: भारतीय रेल (Indian Railways) देश की जीवन रेखा है। इसके ट्रेनों भरोसे ही बिहार, पूर्वी यूपी, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा आदि जैसे राज्यों के मजदूर देश भर में नौकरी करने जाते हैं। ये मजदूर दिवाली, छठ, होली, दशहरा आदि जैसे त्योहारों में जरूर अपने गांव लौटना चाहते हैं। इस दौरान जितने पैसेंजर गांव लौटते हैं, उनमें से आधे को भी रिजर्व बर्थ या सीट नहीं होता। क्या आपको पता है कि भीड़ के दौरान एक लोकप्रिय या पॉपुलर ट्रेन में कितने पैसेंजर (How Many Passengers in Popular Train) होते हैं?

4,000 से भी ज्यादा पैसेंजर होते हैं एक ट्रेन में

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यूं तो रेलवे के नियमों के मुताबिक एक ट्रेन में करीब 1,000 लोग यात्रा कर सकते हैं। लेकिन वैशाली एक्सप्रेस (Vaishali Express), पुरबिया एक्सप्रेस, विक्रमशिला एक्सप्रेस (Vikramshila Express), सप्त क्रांति एक्सप्रेस, सुहेलदेव एक्सप्रेस, शिवगंगा एक्सप्रेस जैसी लोकप्रिय ट्रेनों की बात अलग है। त्योहारी मौसम के दौरान इन ट्रेनों में 4000 यात्री ठुंसे होते हैं। इतने यात्री तो दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन, गान एक्सप्रेस में भी नहीं होते होंगे।

एक-एक डिब्बे में 300 यात्री

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दिवाली-छठ या होली आदि जैसे त्योहारों में आप वैशाली एकसप्रेस जैसी किसी लोकप्रिय ट्रेन के जनरल डिब्बे को देखें तो आपको चक्कर आ जाएगा। इन डिब्बों में भेड़-बकरी की तरह यात्री ढुंसे होते हैं। यूं तो दूसरे दर्जे के एक कोच में 110 यात्रियों के ही बैठने की व्यवस्था होती है। लेकिन, भीड़-भाड़ के दौरान इन डिब्बों में करीब 300 यात्री यात्रा करते हैं।

जनरल कोच के शौचालयों में भी होती है यात्रा

आपने भीड़-भाड़ के दिनों में बिहार जाने वाली ट्रेन (Train to Bihar) का नजारा नहीं देखा है तो आप कहेंगे ऐसा हो ही नहीं सकता। लेकिन, सच्चाई यही है कि होली-दिवाली या छठ जैसे त्योहारों के दौरान लोकप्रिय ट्रेनों में यात्री जनरल डिब्बे के शौचालयों में भी यात्रा करते हैं। उस डिब्बे की सीट, सामान रखने वाले रैक आदि पर तो पहले से ही लोग बैठे रहते हैं।

स्लीपर कोच में भी क्षमता से दोगुना सवारी

इन लोकप्रिय ट्रेनों के स्लीपर कोच की हालत भी जनरल कोच जैसी ही होती है। हालांकि स्लीपर कोच के शौचालय खाली रहते हैं। लेकिन हर सीट पर अतिरिक्त पैसेंजर विराजमान रहते ही हैं। ट्रेन के फर्श और कोरिडोर में भी वेटिंग टिकट वाले पैसेंजर डेरा जमाए रखते हैं। कुछ लोग जनरल टिकट लेकर भी इन डिब्बों में चढ़ जाते है। इनसे टिकट चेकिंग स्टाफ मोटा जुर्माना वसूल कर उन्हें स्लीपर में यात्रा करने का अधिकार दे देते हैं।

एसी डिब्बे की भी हालत ठीक नहीं

इन ट्रेनों के एसी डिब्बों की भी हालत कोई ठीक नहीं रहती है। लोकप्रिय ट्रेनों के एसी 3 कोच जितने बर्थ हैं, उसमें डेढ़ से दो गुना पैसेंजर तो होते ही हैं। एसी 2 में भी अनऑथराइज्ड पैसेंजर घुसे रहते हैं। कभी कभी ट्रेन के फस्ट एसी डिब्बे में भी अनऑथराइज्ड पैसेंजर के होने की खबर आती रहती है। हालांकि ये यात्री या तो रेलवे के अधिकारी होते या फिर टिकट चेकिंग स्टॉफ के मित्र।

4,000 पैसेंजर का क्या है गणित

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मान लें कि दिल्ली से सहरसा जाने वाली किसी ट्रेन में 24 डिब्बे हैं। इनमें जनरल कोच छह हैं, स्लीपर कोच 12 हैं, एसी3 के तीन कोच, एसी2 का एक कोच और एसी1 का एक कोच शामिल है। अब देखिए पैसेंजर्स का गणित-

जनरल के छह कोच मतलब 6×300 =1,800 यात्री हुए।

स्लीपर के 12 कोच मतलब 12×80×2 =1,920 यात्री हुए।

एसी3 के तीन कोच मतलब 3×2×80 =480 यात्री हुए।

एसी 2 का एक कोच मतलब 54×1.5 =81 यात्री हुए।

कुल यात्री की संख्या हुई 4,281 यात्री।