अगर हम अपने बड़े-बुज़ुर्गों की बात करें, तो उनके लिए अपने शरीर को हाइड्रेट बनाए रखना एक आसान काम था. जैसे कि जब आपने प्यास महसूस की, तब पानी पी लिया. लेकिन प्यास हमारे शरीर में पानी की कमी बताने वाला भरोसेमंद संकेत नहीं है, जितना कि हमारे माता-पिता इसे मानते थे. असल में, जब तक हम एक गिलास पानी की प्यास महसूस करते हैं, तब तक हम अपने शरीर के वजन का 3% पानी कम कर चुके होते हैं. सुनने में यह बहुत बड़ी बात नहीं लगती है, लेकिन डिहाइड्रेशन के गंभीर परिणाम होते हैं.
अधिकांश लोगों के शरीर में डिहाइड्रेशन ऐसे तरीकों से होता है, जिनका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं. सीधे शब्दों में कहें तो यह तब होता है, जब आप जितना पानी पीते हैं; उससे कहीं अधिक पानी शरीर से कम कर चुके होते हैं. आइए इसे समझते हैं.
शरीर में पानी की कमी कैसे होती है
शरीर में पानी की कमी के सामान्य संकेतों को तो हम सभी जानते हैं, जैसे: दस्त, उल्टी, बुखार, मेहनत भरी कसरत, दवाएँ और मधुमेह जैसी स्थितियां जो मूत्रवर्धक (बार-बार पेशाब आने का कारण बनती हैं) हैं. हालांकि, ऐसे कई दूसरे तरीके भी हैं जिनसे हम अपने शरीर का पानी खो देते हैं. इनमें से एक है, गर्म और नमी भरे मौसम में – हमारे शरीर को ठंडा करने के लिए पसीना आता है, लेकिन मौसम में ज्यादा नमी के चलते पसीना सूखता नहीं है. नतीजतन शरीर ठंडा नहीं होता है और शरीर से ज्यादा पसीना निकलने लगता है!
इसकी दूसरी वजह वे पेय पदार्थ हैं, जिन्हें हम बड़े चाव से पीते हैं. लगभग सभी फ्रिज वाले पेय (कोल्ड ड्रिंक) और कैफीनयुक्त पेय मूत्रवर्धक है, जिसका मतलब है कि आप अपनी पसंद से एक लीटर कोल्ड ड्रिंक तो पी रहे हैं, मगर आप सिर्फ 700 से 900 मिलीलीटर तरल पदार्थ ही पा रहे हैं. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें अल्कोहल शामिल नहीं है, जो बेहद डिहाइड्रेटिंग होता है.
इसके अलावा, देसी चाय भी मूत्रवर्धक होती है. जैसे कि बिस्कुट में चीनी की मात्रा अधिक होने की वजह से भी डिहाइड्रेशन होता है. अधिकतर लोगों को इस बात का अहसास नहीं होता कि चीनी हमें डिहाइड्रेट करती है, खासतौर पर अगर आप मधुमेह के रोगी हैं. किडनी मूत्र के ज़रिए शरीर से शर्करा को बाहर निकालने का काम करती है और इसके साथ ही आपके शरीर में मौजूद जरूरी तरल पदार्थ और लवण भी बाहर निकल जाते हैं. इससे भी बुरी बात यह है कि प्यास अक्सर मीठा खाने की लालसा की तरह महसूस होती है, इसलिए जब आप अगली बार मीठा खाएं तो अच्छी तरह से सोच लें.
शरीर में पर्याप्त पानी की बरकरार रखने के तरीके
अब शरीर को पर्याप्त पानी कैसे मिले और कैसे बरकरार रहे, यहीं स्थिति थोड़ा जटिल हो जाती है. हाइड्रेशन का मतलब सिर्फ उचित मात्रा में पानी पीने से नहीं है. वास्तव में, शरीर में बहुत ज्यादा पानी हाइपोनेट्रेमिया जैसी मुश्किल की भी वजह बन सकता है, जिससे आपके सीरम सोडियम का स्तर बेहद कम होकर खतरनाक रूप ले सकता है. उचित मात्रा में हाइड्रेशन द्रव संतुलन (फ्लूइड बैलेंस) से जुड़ा है. सरल भाषा में कहें तो, इसका मतलब शरीर में पर्याप्त तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स होने से कोशिकाओं के बीच होने वाली क्रिया को चालू रखने, आपके रक्त प्रवाह को बनाए रखने, आपकी त्वचा की नमी को बरकरार रखने और आपके मस्तिष्क (और अन्य सभी अंगों) को बेहतर अवस्था में बनाए रखने से है.
सही मायनों में यह न सिर्फ पर्याप्त पानी की मात्रा बनाए रखने के बारे में है, बल्कि सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम और अन्य मिनरल जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स के माध्यम से आपको हाइड्रेट बनाए रखने के बारे में भी है. आमतौर पर, जब हम हाइड्रेट होते हैं और पसीने और मूत्र के माध्यम से तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स की ‘सामान्य’ मात्रा की खपत कर लेते हैं, तो हमारा (संतुलित और पौष्टिक) आहार ही इन इलेक्ट्रोलाइट्स की पूर्ति करने के लिए काफी होता है. जबकि अधिकांश अपनी कॉफी की आदत, पुरानी बीमारियों, दवाओं, या अपनी प्यास के प्रति खराब जागरूकता के चलते भी डिहाइड्रेट होते हैं. असल में हम अपने माता-पिता के खान-पान और उनकी जीवनशैली के तौर-तरीके भी नहीं अपना रहे हैं और इसका सीधा असर डिहाइड्रेशन के रूप में दिखता है. शायद यही वजह है कि अच्छे हाइड्रेशन के लिए उन्हें सिर्फ़ पानी पीने की जरूरत थी! वहीं इसका मतलब ये भी है कि हमें अपने भोजन से पर्याप्त इलेक्ट्रोलाइट्स नहीं मिल पा रहे हैं.
प्रभावी और माना गया समाधान: इलेक्ट्रॉल
ऐसे में ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट (ओआरएस) वरदान साबित हुआ है. दस्त और बुखार का इलाज करते वक्त ज्यादातर परिवारों की फर्स्ट ऐड किट में इलेक्ट्रॉल के पाउच मौजूद होते हैं. मगर हम अपनी रोजमर्रा की जरूरत, उचित हाइड्रेशन पाने में इनकी भूमिका को कम आंकते हैं. 1960 के दशक में ओआरएस की खोज के बाद, यह डिहाइड्रेशन की विषम परिस्थिति में जीवन रक्षक बनकर आया है. वर्षों से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अलग-अलग अध्ययनों के ज़रिए रिहाइड्रेशन के सिद्धांत को प्रतिपादित और साबित किया है. लवण, मिनरल और इलेक्ट्रोलाइट्स का सही अनुपात हमारे शरीर को पानी की कमी से उबारने के लिए बेहद जरूरी है.
साल 1972 से, भारत में यह इलेक्ट्रॉल के नाम से उपलब्ध है. इलेक्ट्रॉल अब रेडी-टू-ड्रिंक टेट्रापैक में भी उपलब्ध है, खासतौर पर उस समय जब आपको तत्काल हाइड्रेशन की ज़रूरत होती है. इलेक्ट्रॉल, हाइड्रेशन का एक बेहतरीन तरीका साबित हो चुका है. यही वजह है कि इलेक्ट्रॉल भारत का डॉक्टरों द्वारा सुझाया गया नंबर एक डब्लूएचओ ओआरएस है.
इलेक्ट्रॉल आपका सबसे भरोसेमंद ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन है. पिछली बार जब आप दस्त से पीड़ित थे या उल्टी से आपकी हालत खराब थी; तब आपने किसे चुना था? एक स्पोर्ट्स ड्रिंक? नहीं, आपने खुद के लिए इलेक्ट्रॉल को चुना था.
इलेक्ट्रॉल को चुनें और डिहाइड्रेशन से लड़ें. अपने पानी के सेवन पर नज़र रखें, मूत्रवर्धक भोजन और पेय से बचने की कोशिश करें और एक अच्छे आहार से अपने शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा को बढ़ाएं. अपने शरीर की सुनें और जब आप जानें कि हाइड्रेशन चाहिए, तो इलेक्ट्रॉल चुनें!