पॉलिसी होल्डर रेनेवल के समय इंश्योरेंस कंपनी बदलने यानी पोर्ट करने पर विचार कर सकता है.
नई दिल्ली. इंश्योरेंस कंपनी धीमी और लचर पॉलिसी सुविधाएं और सेवाओं के चलते अक्सर पॉलिसीधारक अपनी बीमा पॉलिसी पोर्ट को कराने के लिए मजबूर होता है. ऐसे कई कारण हैं जिनके लिए पॉलिसीधारक आमतौर पर पोर्टिंग का विकल्प चुनता है, जिसमें बेहतर सुविधाएँ, मौजूदा बीमाकर्ता की सेवाओं से नाराजगी और प्रीमियम की दरें आदि शामिल हैं.
पॉलिसी होल्डर रेनेवल के समय इंश्योरेंस कंपनी बदलने यानी पोर्ट करने पर विचार कर सकता है. यदि आप भी ऐसा करने के बारे में सोच रहे हैं, तो कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है.
पॉलिसी पोर्ट करने से पहले इस बात का रखें ध्यान अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को पोर्ट कराने की योजना बना रहे हैं, तो पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपके पास एंडेमनिटी (क्षतिपूर्ति) कवर है. क्योंकि रेनेवल के समय केवल एंडेमनिटी प्लान को ही पोर्ट किया जा सकता है और पोर्टिंग के समय नो-क्लेम बोनस जैसे लाभों को स्थानांतरित किया जा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि लाभ केवल मौजूदा हेल्थ प्लान पर चुनी गई बीमा राशि को ही ट्रांसफर किया जा सकता है.
यदि आप अपनी पॉलिसी को पोर्ट करना चाहते हैं, तो मौजूदा प्लान के समाप्त होने से कम से कम 45 दिन पहले इसके लिए आवेदन करना होगा. किसी अन्य बीमाकर्ता के पास पॉलिसी पोर्ट करने के लिए आपको एक पोर्टेबिलिटी फॉर्म भरना होगा.