क्या आप जानते हैं कहां है दुनिया का सबसे बड़ा सैकेंड हैंड कार बाजार?

कोटोन का कार बाजार कई किलोमीटर तक फैला हुआ है.

कोटोन का कार बाजार कई किलोमीटर तक फैला हुआ है.

नई दिल्ली. जितना बड़ा ऑटोमोबाइल सेक्टर का कार मार्केट है शायद ही किसी कमोडिटी या प्रोडक्ट का इतना बड़ा वैश्विक बाजार होगा. और इसी बाजार के पैरेलल एक और बाजार है जो अनअकाउंटेड है लेकिन बाजार विशेषज्ञों के अनुसार वो इससे भी बड़ा है. ये है सैकेंड हैंड कारों का मार्केट. भारत में भी सैकेंड हैंड कारों का बड़ा कारोबार है. देश के हर शहर या कस्बे में सैकेंड हैंड कारों के डीलर मौजूद हैं जो इसे एक पेशे के तौर पर देखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं दुनिया का सबसे बड़ा कार बाजार कहां है. ये एक बड़ा सवाल है.

दुनिया का सबसे बड़ा सैकेंड हैंड बाजार है पश्चिम अफ्रीका का देश बेनिन. यहां का तटीय शहर कोटोना दुनिया का सबसे बड़ा कार बाजार है. बेनिन की आर्थिक राजधानी के तौर पर प्रसिद्ध कोटोना में दुनिया भर से सैकेंड हैंड गाड़ियां बिकने के लिए आती हैं. पानी के जहाजों में भर भर कर आने वाली इन गाड़ियों को भेजने वाले संपन्न देश अपने यहां का कचरा उठा कर अफ्रीका फेंक देते हैं और यहां पर इन गाड़ियों को सस्ते दामों में खरीद लोग खुश होते हैं.

क्यों केवल कोटोना

  • अफ्रीका में गरीबी ज्यादा होने के चलते यहां पर संपन्न देशों से डिस्कार्डेड गाड़ियां यहां पर हाथों हाथ बिक जाती हैं क्योंकि वे काफी सस्ती होती हैं.

  • कोटोना पश्चिमी तटीय शहर है, इसके चलते गाड़ियों से भरे कंटेनरों को यहां पर उतारना आसान होता है.

  • धीरे-धीरे गाड़ियां यहां पहुंचने के बाद यही पूरे अफ्रीका का सबसे बड़ा बाजार बनता गया.

  • अब देश भर के कार डीलरों के साथ ही आम खरीदार भी कोटोना पहुंचने लगे हैं. ये पूरी दुनिया में कार बाजार के तौर पर प्रसिद्ध हो गया है.

  • कोटोना में कार के जुगाड़ु मैकेनिकों की भरमार है जो बाहरी देशों से आने वाली गाड़ियों की छोटी मोटी खराबी को दूर कर बेचते हैं.

  • कोटोना ही सबसे बड़ा चोरी के पार्ट्स का बाजार भी है. जिसके चलते यहां पर खराब गाड़ियों को सही करना भी कम खर्चे में पॉसिबल होता है.

कहां से आती हैं गाड़ियां
कोटोना में बिकने वाली सैकेंड हैंड गाड़ियां आम नहीं हैं. ये गाड़ियां कई बार 20 से 25 साल पुरानी भी होती हैं और दो से तीन लाख किमी. चली हुई. ये वो गाड़ियां होती हैं जो यूरोप, अमेरिका, जापान, दक्षिणी कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में अब नहीं चलाई जा सकती हैं.

इन सभी देशों में यूरो 6 नॉर्म्स की गाड़ियां अब सड़क पर चलाई जा सकती हैं. जिसके ये गाड़ियां उनके लिए स्क्रैप से ज्यादा कुछ नहीं हैं. लेकिन अफ्रीका में इन गाड़ियों की बेहद डिमांड है. इसके चलते इन गाड़ियों को वहां भेजा जाता है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार 2015 से 2020 के बीच में करीब 56 लाख ऐसी ही सैकेंड हैंड गाड़ियां अफ्रीका पहुंची थीं.

कोटोन से कहां जाती हैं गाड़ियां
कोटोन पहुंचने वाली सैकेंड हैंड गाड़ियां अफ्रीका के बेनिन, बुर्किना फासो, चाड, नाइजीरिया और नाइजर जैसे देशों में चलती हुई देखी जा सकती हैं. यहां पर अमेरिका में बिकने वाली 30 हजार तक बिकने वाली सेडान करीब दो से ढाई हजार डॉलर में मिल जाती है. बस वो करीब 15 से 20 साल पुरानी होती है.

अफ्रीका के बिगड़ते हालात
इन सैकेंड हैंड कारों के चलते अब अफ्रीका का माहौल बिगड़ने लगा है. इन सभी देशों से आने वाली गाड़ियां काफी पुरानी होती हैं जो प्रदूषण करती हैं और इनका फ्यूल कंसम्पशन भी काफी ज्यादा होता है. बढ़ते प्रदूषण का असर अब स्कूली बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर दिखने लगा है. ब्रॉन्काइटिस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. वहीं अन्य सांस संबंधी परेशानियां भी लोगों को परेशान करने लगी हैं.

फैसला तो लिया लेकिन…
पश्चिम अफ्रीका में इन गाड़ियों से फैलते प्रदूषण के बद ये फैसला लिया गया था कि 2021 से केवल यूरो 4 स्टैंडर्ड की गाड़ियों का ही आयात होगा. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. इस नए नियम की धज्जियां उड़ने में एक दिन का समय भी नहीं लगा.