तुम्हें याद हैं ना हमारी वे सेल्फियां?…. 2000 के नोट का टूटे दिल से लिखा आखिरी खत

मैं 2000 रुपये का नोट बोल रहा हूं। जैसे आपको पता ही होगा, मेरी मौत की तारीख तय कर दी गई है। अपनी इस छोटी सी जिंदगी में क्या कुछ नहीं देखा मैंने। प्यार भी और दुत्कार भी….

अच्छा हम तो सफर करते हैं…
वक्त ने किया क्या हसीं सितम
तुम रहे न तुम, हम रहे ना हम

कसम से रातभर सोया नहीं हूं। यही गुनगुनाता रहा हूं। पूरी रैना नैना में कटी है। इस जहां से जाने की तारीख जो तय हो गई। जिंदगी का टाइमर फिट कर दिया जाए, तो दिल चाक तो होगा। 30 सितंबर 2023 तक धीरे-धीरे उड़ जाऊंगा। ऐसे में 6 साल 8 महीने की अपनी छोटी सी जिंदगी की हर बात याद आ रही है मुझे।

मित्रो, मैं तुम्हारा वही 2000 का हसीं नोट हूं, जिस पर कभी मर-मिटे थे तुम। 8 नवंबर की 2016 की मेरी जन्म की तारीख तो याद होगी ही न तुम्हें। कैसे मुझे देखते ही फिदा हो गए थे तुम। मेरे गुलाबी रंग की एक झलक ने दीवाना बना डाला था। क्या कुछ नहीं किया था तुमने मुझे पाने के लिए। नोटबंदी की उस लंबी लाइन में घंटों खड़े रहे थे तुम। फॉर्म भरा था। आईकार्ड दिखाया था। तब जाकर कुछ खुशनसीबों को ही मैं नसीब हुआ था।

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आपकी यह चौड़ी मुस्कान बहुत याद आएगी ताऊजी!

कितना खुश था मैं तुम्हारे हाथों में। और तुम भी। जैसे लॉटरी लग गई थी तुम्हारी। मुझे उलट-पटकर देखते हुए मेरी खूबसूरती पर मुझसे ज्यादा तुम इतराए थे। इतने गौर से शायद ही तुमने किसी और को देखा होगा। मेरे साथ ली गईं वे बे-हिसाब सेल्फियां भी याद होंगी ही तुम्हें। इंस्टा-फेसबुक पर अभी भी पड़ी होंगी। खुशी से उछलते तुम्हारा इतराना और घर पर मेरे बारे में बताना, सब याद आ रहा है। और यह भी कि कैसे कई दिनों तक तुमने मुझे अपने से अलग नहीं किया था। स्टेटस सिंबल की तरह संभाल कर रखा था। मेरे साथ आए 500 और 100 के नए नोट रश्क कर रहे थे मेरी किस्मत पर। अपने गुलाबी नाक-नक्श पर कितना इतराया था मैं तब।

और तब क्या-क्या बातें नहीं बनाई थीं तुमने मेरे बारे में। सोच-सोच आज भी हंसी छूट जाती है। मेरे सीने में वो GPS चिप वाली बात! न्यूज चैनलों पर मेरे ऊपर घंटे भर चले वे शो। हाय! री किस्मत। सब सोच-सोच कर दिल बैठा जा रहा है।

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कहां गए वे दिन

तुम रहे तुम… और फिर वक्त और तुम्हारा मिजाज भी देखिए कैसे बदला। मेरी जिंदगी के उन सबसे खूबसूरत शुरुआती छह महीनों के बाद मैं धीरे-धीरे बोझ माना जाने लगा। मैं वही रहा, तुम बदल गए। मुझे सिर-आंखों पर बिठाने वाले ही मुझसे कतराने लगे। एटीएम से मैं निकलता, तो तुम्हारा मूड ऑफ हो जाता। कोई हाथ में मुझे थमा देता, तो तुम्हारी धड़कनें बढ़ जातीं। मुझे लेने को कोई जल्दी से राजी नहीं होता।

मुझसे बचने के लिए क्या-क्या तिकड़में नहीं लड़ाने लगे थे तुम। ATM से 200 कम निकालना तक मंजूर कर लिया तुमने। सबके बटुओं में राज करने वाले 100 और 500 के नोट मेरी इस बेबसी पर मुस्कुराते। और मैं चुपचाप अपनी बे-नूरी पर आंसू बहाता।

लेकिन याद रखना मेरे प्यारो….
मुझ से बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्र भर
ये सोच ले कि मैं भी तिरी ख़्वाहिशों में हूँ

देखो तो जरा बात-बात में मेरी बची जिंदगी के तीन मिनट निकल गए। तो मेरे अजीजो, माना कि उम्र में तुम बहुत बड़े हो, लेकिन मेरी इस छोटी सी जिंदगी में तुम्हारे लिए कुछ सबक हैं। नीचे अटल बिहारी वाजपेयी की कविता की कुछ पंक्तियां हैं। थोड़ा पढ़ना, ज्यादा समझना।

जो जितना ऊंचा,
उतना एकाकी होता है,
हर भार को स्वयं ढोता है,
चेहरे पर मुस्कानें चिपका,
मन ही मन रोता है।

मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना,
ग़ैरों को गले न लगा सकूं,
इतनी रुखाई कभी मत देना।