नई दिल्ली. 2020 में जब कोरोना ने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया था, तब किसी को यह नहीं पता था कि इस बीमारी के लिए कौन सी दवा काम करेगी और कौन सी नहीं. कई लोगों ने अनजाने में कुछ दवाइयां ले ली. कुछ को फायदा हुआ जबकि कुछ को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. इसी कड़ी में कुछ लोगों ने आसानी से उपलब्ध होने वाली डायबिटीज की दवा मेटफॉर्मिन को लेना शुरू किया. अमेरिकी रिसर्च में यह दावा किया जा रहा है कि जिन लोगों ने डायबिटीज की यह दवा ली, उनमें कोरोना के कारण अस्पताल पहुंचने और इससे होने वाली मौत का जोखिम बहुत कम हो गया. बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी खबर के मुताबिक रिसर्च में दावा किया गया है कि जिन लोगों ने कोरोना के शुरुआती लक्षण दिखने के चार दिनों के अंदर डायबिटीज की दवा मेटफॉर्मिन ले थी उनमें अस्पताल पहुंचने की आशंका और इससे होने वाली मौत की आशंका आधी तक कम हो गई.
यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि यद्यपि मेटफॉर्मिन कोविड-19 के मरीजों में ऑक्सीजन सैचुरेटेड लेवल में कोई सुधार नहीं करती, इसके बावजूद इस दवा ने महामारी के दौरान कोविड के मरीजों को अस्पताल पहुंचने से रोकने और मौत के जोखिम को कम करने में बहुत मदद की. अध्ययन में कहा गया है कि जिन मरीजों को कोरोना के लक्षण दिखने के तुरंत बाद डायबिटीज की दवा मेटमॉर्फिन दे दी गई, उनमें अस्पताल पहुंचने, इमरजेंसी में भर्ती होने और मौत की आशंका में 40 से 50 प्रतिशत तक की कम आई. इसका मतलब यह हुआ है कि डायबिटीज की यह दवा कोरोना के मरीजों में बेहद कारगर है. यह बीमारी से होने वाले जोखिमों को आधी तक कर देती है.
इस अध्ययन के प्रमुख इंवेस्टीगेटर और यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा की प्रोफेसर केरोलिन ब्रामांटे ने कहा, “हालांकि हम जानते हैं कि कोविड -19 की वैक्सीन अत्यधिक प्रभावी हैं. लेकिन हम यह भी जानते हैं कि वायरस के कुछ नए स्ट्रेन इम्युनिटी पर हमला कर देते हैं. इसके अलावा वैक्सीन दुनिया भर में उपलब्ध भी नहीं हो सकती है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि हल्के लक्षण वाले मरीज जो हाल ही में इससे संक्रमित हुए हैं, उन्हें इसके जोखिम से कैसे बचाया जाए. इस संदर्भ में यह रिसर्च महत्वपूर्ण है”.
2021 के जनवरी से इस रिसर्च की शुरुआत की गई थी. इसके बाद कंप्यूटर मॉडलिंग और विश्लेषणात्मक अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने पाया कि हल्के लक्षण वाले कोरोना के मरीजों में मेटफॉर्मिन का इस्तेमाल कोविड -19 के कारण मृत्यु दर और अस्पताल में भर्ती होने की आशंका को कम कराता है. कई अन्य अध्ययनों में में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. इस साल की शुरुआत में अमेरिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड के दौरान मेटफॉर्मिन लेने वाले मरीजों की मृत्यु दर सिर्फ 0. 83 प्रतिशत थी जबकि यह दवा नहीं लेने वालों में मृत्यु दर 4.02 प्रतिशत थी.