अनुपम शर्मा के पास बिलासपुर ही नहीं, हमीरपुर और मंडी से भी महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती हैं। कोरोना संकट काल में भी वह बिलासपुर अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में गर्भवती महिलाओं की जिंदगी बचाने में जुटी रहीं।
खास बात यह है कि वह अकेली ऐसी चिकित्सक हैं, जो अस्पताल में सुबह 9:30 बजे पहुंचती हैं और रात को तब तक ओपीडी नहीं छोड़ती हैं, जब तक ओपीडी के बाहर मरीज बैठे हों। हर दिन 150-200 तक मरीज जांचने के बाद शाम को सात और साढ़े सात बजे ओपीडी से निकलती हैं। डॉ. अनुपम शर्मा ने बताया कि चिकित्सकों पर लोग भगवान से ज्यादा भरोसा करते हैं। यह प्रोफेशन हमें सेवा भाव सिखाता है। उनका मकसद नौकरी करनी नहीं, बल्कि लोगों की सेवा करना है। इस दायित्व को ईमानदारी से निभाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने गर्भवती महिलाओं के परिवारों से भी अपील की कि जो भी बातें गर्भवती महिला के स्वास्थ्य के लिए बताई जाती हैं, उन्हें सही से फॉलो करें। कई बार ऐसा होता है कि कई महिलाओं में खून की कमी होती है और उन्हें खान पान का ध्यान रखने के लिए कहा जाता है, लेकिन परिवार के लोग ध्यान नहीं देते हैं और बाद में मां और बच्चे की जिंदगी खतरे में पड़ जाती है।