निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंजी है. और सफलता का प्रथम प्रयास खुद पर विश्वास करना है. अगर मन में हो विश्वास हो तो मंजिल आपके क़दमों में होती है. ऐसी ही एक मिसाल पेश करने वाली डॉ. प्रज्ञा जैन हैं. जिन्होंने न सिर्फ शादी के बाद अपनी पढ़ाई जारी की, बल्कि प्रेगनेंसी में बेड रेस्ट होने के बावजूद UPSC की परीक्षा दी और देश की सर्वोच्च सिविल सर्विसेस परीक्षा में 194वीं रैंक हासिल की थी.
उत्तर प्रदेश के छोटे से कस्बे बड़ौत से आती हैं प्रज्ञा
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के एक छोटे से कस्बे बड़ौत की रहने वाली डॉ. प्रज्ञा ने वो कारनामा कर दिखाया, जो बहुत से छात्रों का सपना होता है. इनकी प्रारंभिक शिक्षा बड़ौत में हुई. उनके पिता पद्म जैन आर्युवैदिक डॉक्टर और माता दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई की हुई थीं. माता-पिता के एजुकेटेड होने का लाभ प्रज्ञा को मिला. बचपन से ही माता-पिता ने अच्छी शिक्षा पर जोर दिया.
प्रज्ञा भी पढ़ाई में एक होनहार छात्रा रहीं. जिसका नतीजा यह रहा कि प्रज्ञा ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा परिणाम में जिला स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया. प्रज्ञा जैन हमेशा से दूसरों की तकलीफों में अपना दुःख देखती थीं. दूसरों के लिए कुछ करने की चाहत में उन्होंने डॉक्टर बनने का फैसला लिया. ग्रेजुएशन में गोल्ड मेडलिस्ट रहीं.
एक होनहार छात्रा का सफ़र तय करते हुए प्रज्ञा जैन अब डॉक्टर बन चुकी थीं. उनके पिता के साथ उनके भाई वैभव जैन भी एक डॉक्टर हैं. वे दोनों एक ही जगह प्रैक्टिस किया करते थे. डॉक्टर बनने के बाद प्रज्ञा ने शादी कर ली. उनके पति विनीत जैन बैंक ऑफ़ बड़ौदा में चीफ मैनेजर हैं. वहीं उनके ससुर सुदर्शन जैन भी दिल्ली के शाहदरा में बैंकऑफ इंडिया में कार्यरत रहे.
डॉक्टर बनने के बाद UPSC के लिए तैयार किया
शादी के बाद डॉक्टर प्रज्ञा जैन ने दिल्ली के शाहदरा में अपना क्लीनिक खोला. उन्होंने उस दौरान लोगों की सच्चे मन से सेवा की. लेकिन कुछ साल बाद उन्हें मानव सेवा के लिए यह एक छोटा संसाधन लगा. ऐसे में उन्होंने देश के सर्वोच्च परीक्षा यूपीएससी देने का फैसला लिया. इसके लिए प्रज्ञा ने अपनी तैयारियां शुरू कर दीं. साल 2014 में प्रज्ञा ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी थीं, जिसमें उन्हें असफलता मिली.
तब वो दो नंबर से पीछे रह गई थीं. फिर अगले साल 2015 में यूपीएससी की परीक्षा में उन्हें दोबारा निराशा हाथ लगी. इस बार उनकी स्वास्थ्य भी खराब थी. बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और अपना प्रयास जारी रखा. साल 2016 अपने सपने को साकार करने के लिए प्रज्ञा के पास अंतिम मौक़ा था.
उम्र के हिसाब से यूपीएससी की परीक्षा में अंतिम मौक़ा और ऊपर से विपरीत परिस्थितियां, लेकिन अपनी सफलता पर उन्हें पूरा विश्वास था. ऐसे में उन्होंने अपना पूरा प्रयास लगा दिया. उस दौरान वो प्रेगनेंट थीं. बावजूद इसके हिम्मत नहीं हारीं और बुलंद हौसलों के साथ परीक्षा से इंटरव्यू का सफ़र तय किया. डॉक्टर ने उन्हें प्रेगनेंसी के समय बेड रेस्ट की सलाह दी थी. डिलीवरी में भी कुछ दिन ही बचे थे.
UPSC के इंटरव्यू के दौरान प्रेग्नेंट थीं डॉक्टर प्रज्ञा
डॉक्टर प्रज्ञा जैन खुद अपने एक इंटरव्यू में बताती हैं कि जब वह प्रेग्नेंट थी. तो डॉक्टर ने उन्हें आराम करने की सलाह दी थी. बावजूद इसके मैं इंटरव्यू के लिए गई. मैं ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी. डॉक्टर्स ने मुझे ज्यादा देर बैठने से भी मना कर रखा था. इसीलिए मैंने बोर्ड सदस्यों से बात की. उनसे इल्त्तेजा की, मेरा पहले ही इंटरव्यू ले लिया जाए. बोर्ड मेंबर ने उनकी हालत देखते हुए उनकी बात स्वीकार कर ली.
जानकारी के लिए बता दें कि यूपीएससी के इंटरव्यू में 6-6 छात्रों का ग्रुप होता है. जिसमें प्रज्ञा के ग्रुप का नंबर सबसे लास्ट में था. उनके आग्रह पर बोर्ड के सदस्यों ने उन्हें उनके ग्रुप के छात्रों से पहले ही इंटरव्यू के लिए बुला लिया. यूपीएससी के चेयरमैन सहित पांच लोगों के पैनल्स ने उनका इंटरव्यू लिया था. यूपीएससी इंटरव्यू के दो सप्ताह बाद डॉक्टर प्रज्ञा जैन ने बेटी पिहू जैन को जन्म दिया.
बेटी पीहू उनके लिए ढेर सारी खुशियां लेकर इस दुनिया में आई थी. आख़िरकार अपने अंतिम मौके और तीसरे प्रयास में प्रज्ञा ने वो कर दिखाया जिसका उन्होंने सपना देखा था. उनको सफलता हासिल हुई और भारतीय पुलिस सेवा में उनका चयन हुआ. डॉक्टर प्रज्ञा अब आईपीएस अफसर बन चुकी थीं. उन्होंने देश की सर्वोच्च सिविल सर्विसेस परीक्षा में 194वीं रैंक हासिल किया था.
परिवार के सहयोग ने आसान कर दी उनकी राह
डॉक्टर से अफसर बनी प्रज्ञा जैन कहती हैं कि मेरे लिए परीक्षा पास करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण था. उन्हें अपने क्लीनिक पर भी जाना होता था. वो परीक्षा के दौरान प्रेग्नेंट भी रहीं. लेकिन, उनके परिवार ने उनके इस सपने को पूरा होते देखने के लिए बहुत सपोर्ट किया. उनके लिए यह चुनौती आसान नहीं थी. वहीं इंटरव्यू के बाद डॉक्टर प्रज्ञा जैन के लिए अभी चुनौती ख़त्म नहीं हुई थी.
एक तरफ समाज के लिए कुछ करने की चाहत ने उन्हें मौक़ा दिया था. दूसरी तरफ उनकी 6 माह की बेटी को छोड़कर ट्रेनिंग के लिए जाना मुश्किल था. ऊपर से प्रेगनेंसी के बाद कड़ी ट्रेनिग उनके शरीर के लिए बेहद कठिन था. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. ट्रेनिंग के दौरान साइकिलिंग करते हुए हादसे में उनके दोनों हाथों की हड्डी में फ्रैक्चर भी हो गया था. लेकिन उनके हौसलों की उड़ान अभी भी कम नहीं हुई थीं.
बुलंद हौसलों और हिम्मत के साथ उन्होंने हर चुनौती का डटकर मुकाबला किया. और अपने सपने को साकार करते हुए आईपीएस अफसर बनीं. इस समय आईपीएस प्रज्ञा जैन पंजाब में कार्यरत हैं.