मंडी के पंजेहठी निवासी राहुल ने पीएचडी के शोध के दौरान इस फल को हिमाचल में तैयार करने की संभावनाओं पर शोध किया है। वर्तमान में ड्रैगन फ्रूट के प्रचलन और इसके औषधीय गुणों को देखते हुए पता लगाया है कि इस फल की पौध हिमाचल के मंडी, बिलासपुर और ऊना में तैयार की जा सकती है।
औषधीय गुणों से भरपूर ड्रैगन फ्रूट और इसकी पौध अब हिमाचल में भी तैयारी हो पाएगी। इसका खुलासा मंडी के शोधार्थी ने अपने शोध में किया है। मंडी के पंजेहठी निवासी राहुल ने पीएचडी के शोध के दौरान इस फल को हिमाचल में तैयार करने की संभावनाओं पर शोध किया है। वर्तमान में ड्रैगन फ्रूट के प्रचलन और इसके औषधीय गुणों को देखते हुए पता लगाया है कि इस फल की पौध हिमाचल के मंडी, बिलासपुर और ऊना में तैयार की जा सकती है। राहुल ने ड्रैगन फूट के कुछ पौधे अपने घर मंडी में भी लगाए हैं। सह पौधे ग्रोथ कर रहे हैं। आने वाले एक साल में इनमें फल भी आ सकता है।
यह पौधा कैक्टस प्रजाति का है और एक बेलनुमा है। भारत में यह फल बहुत ही नया है। इसकी पौध यहां बहुत कम तैयार हो पाई है। अगर इसकी नर्सरी तैयार करना चाहें तो इसका बीज मात्र 40 प्रतिशत ही पैदा होता है। अगर इसके पौधे से इसकी छोटी-छोटी टहनियों को जमीन में रोपा जाए तो यह 60 प्रतिशत ग्रोथ करता है। इसके लिए गर्म और उमस भरी जलवायु चाहिए, जो मंडी, ऊना और बिलासपुर में होती है। डेढ़ साल के अंतराल में ही इसमें फल आना शुरू हो जाते हैं। राहुल वर्तमान में आसाम एग्रीकल्चर विवि में फेलो रिसर्च कर रहे हैं।
भारत में नया, लेकिन बढ़ रहा प्रचलन
भारत के गुजरात, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, आसाम में ड्रैगन फ्रूट का फल मिलता है। इसकी कीमत 400 से लेकर 900 रुपये किलो होती है। हिमाचल के प्रगतिशील किसान हिमाचल में इसकी पौध तैयार कर सकते हैं।
ये हैं ड्रैगन फल के औषधीय गुण
ड्रैगन फल भारत में बहुत नया फल है। देश के लोगों को इस बारे में बहुत कम जानकारी है। इसके गुण जादुई हैं। इस फल में एंटी ऑक्सीडेंट बहुत अधिक हैं। न्यूट्रीशियन की मात्रा बहुत ही संतुलित है। इसका सबसे बड़ा गुण इसमें पाए जाने वाले सभी पोषक तत्व हैं। ये बहुत ही संतुलित हैं। न बहुत अधिक और न ही बहुत कम हैं। ऐसे में यह शुगर के मरीजों के लिए बहुत लाभदायक है। बहुत सी गंभीर बीमारियों कैंसर, किडनी रोगों में लाभदायक है।
पीएम मोदी ने दिया है कमलम नाम
इस फल को गुजरात में काफी लोकप्रियता मिली है। प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में इस फल की बहुत सराहना की थी। कहा था कि गुजरात के एक बागबान ने 60 एकड़ जमीन में इस फल को तैयार कर क्रांति ला दी है। उन्होंने इस फल को कमलम नाम दिया है।