दिल्ली में सितंबर के महीने में बारिश अमूमन समाप्त हो जाती है, लेकिन इस बार एक दुर्लभ मौसमी प्रणाली के कारण जमकर बारिश हो रही
नई दिल्लीः दिल्ली ने सितंबर के अंत में पिछले दो दिनों में जो तेज और असामान्य बारिश देखी है, वह 2 मौसमी प्रणालियों के एक दुर्लभ मिलन का परिणाम है. वैज्ञानिकों के मुताबिक शहर के 250 किमी दक्षिण-पश्चिम में पश्चिमी विक्षोभ और कम दबाव (Western Disturbance and Low Pressure) एक साथ सक्रिय हैं. यह मौसमी घटना दिल्ली में मानसून को लम्बा खींच सकती है. इन दुर्लभ परिस्थितियों के कारण, पिछले कुछ दिनों में शहर में व्यापक और लगभग निरंतर वर्षा के साथ इस वर्ष मानसून का अंतिम चरण (और आमतौर पर सबसे कमजोर चरण) इसके सबसे सक्रिय चरणों में से एक बन गया है. दिल्ली में बुधवार को 5.6 मिमी और गुरुवार शाम 5ः30 बजे तक 31.2 मिमी बारिश दर्ज हुई.
गुरुवार की पूरी रात और शुक्रवार सुबह से ही बारिश का सिलसिला जारी है. दिल्ली में मानसून की पूर्ण वापसी, जो 25 सितंबर के लिए निर्धारित है, अब देरी होने की उम्मीद है. मौसम विभाग (IMD) के अधिकारियों ने कहा कि सितंबर के आखिरी सप्ताह में राष्ट्रीय राजधानी में और बारिश होने की उम्मीद है. आईएमडी के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरके जेनामणि ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा, ‘उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश के ऊपर एक पश्चिमी विक्षोभ और कम दबाव का क्षेत्र आपस में मिले हैं. यह मौसमी क्रिया दिल्ली से करीब 250 किमी दक्षिण-पश्चिम में हो रही है. फिलहाल, यह बहुत तीव्र एक चक्रवाती परिसंचरण है. अरब सागर से नमी की काफी आपूर्ति हो रही है, जो जारी है. वेदर सिस्टम का मूवमेंट बहुत धीमा है. ये हालात अगले 24 से 36 घंटों तक बने रहेंगे, लेकिन कल से बारिश की मात्रा कम हो जाएगी.’
उत्तर-पश्चिम भारत से मानसून के लौटने में होगी देरी
इस मौसमी घटनाक्रम का प्रभाव भारत के पूरे उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में महसूस किया जा रहा है. जेनमणि ने कहा, ‘हम अगले तीन-चार दिनों के लिए उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में व्यापक बारिश की उम्मीद कर सकते हैं. हालांकि पश्चिमी राजस्थान, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में बारिश कम हुई है. उत्तर प्रदेश में हुई तेज बारिश से मानसून के पिछले कुछ दिनों के दौरान क्षेत्र में कम पानी गिरने के कारण हुई वर्षा की कमी, पूरी हुई है.’ उत्तर-पश्चिम भारत से अपनी वापसी की सामान्य तिथि के चार दिन बाद (17 सितंबर) दक्षिण-पश्चिम राजस्थान और उससे सटे कच्छ के कुछ हिस्सों से मानसून वापस चला गया है. हालांकि, उत्तर-पश्चिम भारत के अन्य हिस्सों से इसकी वापसी में देरी हो रही है.
देश में कहीं अनुमान से अधिक, तो कहीं कम बारिश दर्ज हुई
लगातार 5 दिनों तक बारिश नहीं होने पर एक क्षेत्र में मानसून की वापसी की घोषणा की जाती है. निचले क्षोभमंडल में एक एंटीसाइक्लोन स्थापित होता है, और नमी की मात्रा में काफी कमी होती है. आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, देश में इस साल अब तक अनुमान से 7% अधिक बारिश हुई है. दक्षिण भारत में 26% अधिक बारिश हुई है. पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में बारिश में 17% की कमी देखी गई है, जबकि उत्तर-पश्चिम में अब तक 3% की कमी देखी गई है. दिल्ली में 36% बारिश की कमी दर्ज की गई. पंजाब 20%, बिहार 30%, झारखंड 20% और उत्तर प्रदेश 33%. मध्य सितंबर तक उत्तर प्रदेश में 45% से अधिक वर्षा की कमी थी.
स्काईमेट वेदर के जलवायु परिवर्तन एवं मौसम विज्ञान विभाग के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा, ‘बहुत तीव्र निम्न दबाव प्रणाली के कारण मानसून की वापसी में देरी हुई है. अरब सागर से भी बहुत अधिक नमी आ रही है. यह संभवतः इस मानसून की अंतिम निम्न दबाव प्रणाली है, लेकिन मौसम की गतिविधियां दिल्ली में 25 सितंबर तक जारी रहेंगी. हालांकि, यह कम दबाव का क्षेत्र थोड़ा कमजोर हुआ है. लेकिन इससे जुड़ा चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश पर बन गया है. वहीं, एक ट्रफ लाइन बंगाल की खाड़ी से राजस्थान की ओर जा रही है, जो ओडिशा और छत्तीसगढ़ को काटती हुई है, जबकि एक पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय को प्रभावित कर रहा है.’