पांच वर्षों बाद क्योंथल रियासत का भ्रमण पूरा कर गुठान लौटे “डूमेश्वर देवता”

बीते पांच वर्षों से क्योंथल रियासत के भ्रमण पर निकले डूमेश्वर देवता अब अपने मूल स्थान गुठान पहुंच गए है। देवता के वापिस लौटने पर आगामी 20 से 22 मई तक गुठान में महा देवयज्ञ जिसे स्थानीय भाषा में “भडातर” कहते हैं, आयोजित किया जा रहा है। जिसमें क्षेत्र के करीब डेढ दर्जन देवता व हजारों की तादाद में लोग अपनी हाजिरी भरेंगे। जिसकी पुष्टि देवता गुठान मंदिर समिति के प्रधान मधु ठाकुर और भंडारी सुभाष ने की है।

डूमेश्वर देवता गुठान का रथ व मंदिर का दृश्य

इनका कहना है कि कोरोना काल के कारण इस मर्तबा क्योंथल क्षेत्र की 22 रियासतों और 18 ठकुराईयों के भ्रमण में करीब पांच वर्ष लग गए है अन्यथा यह देवयात्रा तीन वर्षों में पूर्ण हो जाती थी। सुभाष भंडारी ने बताया कि भ्रमण के दौरान डूमेश्वर देवता के रथ के चार सौ से अधिक गांवों ने दर्शन किए व सैंकड़ों लोगों ने देवता का आर्शिवाद प्राप्त किया।

उन्होंने बताया कि डूमेश्वर देवता तत्कालीन क्योंथल रियासत के महाराजा के वचनबद्ध होकर बीस वर्षों बाद समूचे क्षेत्र के भ्रमण पर निकलते है। हालांकि अभी तक देवता को अपने मंदिर में नहीं रखा गया है। प्राचीन परंपराओं के निर्वहन के उपरांत करीब एक वर्ष उपरांत देवता अपने मंदिर में विराजमान होंगे।

बता दें कि अभी तक देवता गुठान के कोटेश्वरी माता के मंदिर में रखे गए हैं। सुभाष भंडारी ने बताया कि भडातर होने के बाद 24 जून को डूमेश्वर देवता को स्नान के लिए माता हाटेश्वरी के मंदिर हाटकोटी ले जाया जाएगा। तदोपरांत खीण खुलने पर लोग देवता को अपने घर बुलाकर पूजा करवा सकेंगे। खीण खुलने के उपरांत देवता पालकी में विराजमान होगें, जिसमें केवल चार प्रमुख मूर्तियां रखी जाएगी। जबकि देवरथ में अभी कुल 13 मूर्तियां अर्थात मोहरे लगे हैं, जिसमें एक अहिचा ब्राह्मण का पुतला भी शामिल है।

सुभाष भंडारी ने बताया कि अगले वर्ष चैत्र नवरात्र पर डूमेश्वर देवता को कांगड़ा के नगरकोट धाम भ्रमण पर ले जाया जाएगा। नगरकोट में स्नान करने के उपरांत देवता अपने मंदिर गुठान में विराजमान होगें। उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में भ्रमण कर देवता वापिस लौटे है उन सभी क्षेत्र के लोगों को महा देवयज्ञ अर्थात भडातर में आमंत्रित किया गया है। देवयज्ञ में करीब दस से बीस हजार लोगों के आने की संभावना है।