लखनऊ. आम नगरी में कई सालों से राज कर रहे चौसा, दशहरी और लंगड़ा पर इस बार भारी पड़ रही है मल्लिका. आप सोच रहे होंगे कि मल्लिका क्या है, तो आपको बता दें कि मल्लिका आम की ही एक किस्म है जिसका जन्म 1975 में हुआ था. शहीदपथ के अवध शिल्पग्राम में चल रहे चार दिवसीय आम महोत्सव (Aam Mahotsav) में इस बार जलवा मल्लिका का है. मल्लिका को खरीदने वालों की तादाद ज्यादा है. इसके अंदर ज्यादा गूदा और रस होने की वजह से यह ज्यादा मीठा होता है. यही वजह है कि लोग इस आम को पसंद कर रहे हैं. इसके साथ सबसे ज्यादा सेल्फी ली गई हैं.
मल्लिका आम की बागवानी केंद्रीय उपोषण बगवानी संस्थान ने 1975 में की थी. कई सालों तक यह आम बाजार में उपलब्ध नहीं था. पुराने मलिहाबादी आम की बादशाहत कायम होने की वजह से इस आम को ज्यादा तवज्जो नहीं मिली, लेकिन अब मल्लिका की बागवानी में लोग दिलचस्पी ले रहे हैं. यही वजह है कि अब इसके बगीचे भी बढ़ गए हैं और बाजार में भी बड़ी संख्या में यह आम मौजूद है और उसकी बिक्री भी अच्छी हो रही है. करीब 400 रुपए किलो तक बिक रहा है यह आम
इस वजह से खास है यह आम
मल्लिका आम का वजन 700 ग्राम से अधिक होता है. यही वजह है कि इसमें गूदा और रस दोनों ही दूसरे आमों से ज्यादा है. खाने में भी ज्यादा मीठा मल्लिका आम ही होता है. यही नहीं, दशहरी आम ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकता और सड़ जाता है, लेकिन मल्लिका आम दशहरी से ज्यादा दिनों तक रखा जा सकता है. यह आम कई दिनों तक नहीं सड़ता. ऐसे में इसकी बागवानी करने वाले और इसे खरीद के खाने वालों को ज्यादा फायदा हो रहा है. आने वाले वक्त में यह कहना गलत नहीं होगा कि बाजार में सभी आमों पर भारी पड़ेगी मल्लिका किस्म. जानकार बताते हैं कि मल्लिका आम के पिता दशहरी और मां नीलम हैं. यही वजह है कि इन दोनों आमों को मिलाकर एक आम मल्लिका बना है जिसका वजन दोनों आमों से अधिक है.
मुख्यमंत्री को भी पसंद आया मल्लिका आम
अवध उत्पादक एवं बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मल्लिका एक गूदा वाला आम है. इसमें रस अधिक होता है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महोत्सव के उद्घाटन के दिन उनसे कहा था कि जो नई जनरेशन है, जो कृषि प्रेमी हैं और जो बागवानी करते हैं उनको अब ज्यादा से ज्यादा मल्लिका आम की बागवानी करनी चाहिए. ऐसे में आने वाले वक्त में किसानों को भी इससे फायदा होगा, क्योंकि यह अच्छे दामों पर भी बिकता है.
स्वाद चखने की सुविधा नहीं
अलीगंज से आए इजाज ने बताया कि उन्होंने आम महोत्सव बहुत इंजॉय किया, लेकिन उनको मलाल सिर्फ इस बात का है कि पूरे आम महोत्सव में आम चखने को नहीं मिला. उनका मानना है कि थोड़ा-थोड़ा आम चखने की सुविधा भी होनी चाहिए, ताकि आने वाले लोग आम चखकर खरीद सकें.वहीं, आलमबाग से आई रूपाली ने बताया कि आम महोत्सव बहुत अच्छा है. सभी आम बहुत अच्छे हैं, लेकिन मल्लिका उनकी मनपसंद आम की किस्म बन गई है.