कोटपुली स्थित भालोजी गांव में देवकरन यादव और उनके बेटे डॉ. अमित यादव ने अपने 3.5 एकड़ ज़मीन पर सोलर प्लांट लगाया.
भारत के कई शहरों, गांव में बिजली कटना बेहद आम है. आज भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां बिजली तो पहुंच गई है लेकिन लोगों को लालटेन या मोमबत्ती जलाकर ही काम चलाना पड़ता है. कुछ घंटे आने वाली बिजली में फ़ोन, इमरजेंसी लाइट चार्ज किए जाते हैं, टीवी देख लिया जाता है.
राजस्थान में हाल ही में 9 थर्मल पावर स्टेशन, कोयले की कमी की वजह से बंद हो गए. महंगी दरों पर बिजली ख़रीदने के बावजूद लाखों लोगों को परेशानी उठानी पड़ी. बिजली की इस समस्या का समाधान निकालने एक परिवार ऐसी पहल की कि आज सब उन्हें सलाम कर रहे हैं.
बिजली के लिए खेत में लगा दिया सोलर प्लांट
राजस्थान के कोटपुली स्थित भालोजी गांव में देवकरन यादव और उनके बेटे डॉ. अमित यादव ने अपनी 3.5 एकड़ ज़मीन पर सोलर प्लांट लगा दिया. The New Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, ये अर्ध शुष्क (Semi-arid) ज़मीन थी. प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (KUSUM) के तहत भालोजी गांव का ये पहला प्लांट है. जिन क्षेत्रों में बीहड़ ज़मीन पड़ी है वहां पर सोलर प्लांट लगाना बेहद लाभदायक सिद्ध हो रहा है.
4 लाख रुपये महीना है कमाई
सोलर प्लांट लगाने का आईडिया देवकरन यादव के बेटे अमित यादव का था. अमित का ये आइडिया कारगर साबित हुआ और अब ये परिवार हर महीने 4 लाख रुपये कमाई कर रहा है. इस परिवार को राजस्थान रिन्युएबल एनर्जी कॉर्पोरेट लिमिटेड (Rajasthan Renewable Energy Corporate Limited) का 25 साल का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया है.
अमित ने बताया कि कुछ महीने पहले उनका बिजली का बिल बेहद ज़्यादा और ग़लत आया. बिजली के बढ़ते बिल से तंग आकर वो इसका उपाय ढूंढने लगे. अपने प्राइवेट अस्पताल के लिए बिजली का साधन खोजते खोजते उन्हें सोलर एनर्जी की एहमियत और लाभ का पता चला. 2.5 लाख रुपये की लागत से 11 KW का प्लांट लगाया.
यादव परिवार को सरकार की KUSUM स्कीम के बारे में पता चला.
“हमारे कुछ खेत पानी की कमी की वजह से बंजर हो गए थे. हमने 2019 में 1 MW का प्रोजेक्ट लगाने का आवेदन किया.”
2020 में इस परिवार ने सरकार के साथ KUSUM स्कीम के तहत सोलर एनर्जी पैदा करने का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया. ये प्रोजेक्ट लगाने के लिए परिवार को 3.5 करोड़ खर्च करने पड़े. देवकरन यादव ने रिटायरमेंट बेनिफ़िट्स के 70 लाख लगाए, परिवार ने प्रपर्टी गिरवी रखी और 1.7 करोड़ जमा किए.
कई समस्याओं का सामना किया
प्रोजेक्ट में परिवार का काफ़ी सारा पैसा लग चुका था. सबसे पहले परिवार ने अपने सभी रिश्तेदारों को राज़ी किया लेकिन उनकी समस्याएं यहां ख़त्म नहीं हुई. सोलर प्लांट लगाने के Layout Diagram के बारे में परिवार को कोई जानकारी नहीं थी. सरकारी स्कीम से जुड़े स्थानीय अधिकारियों को भी कुछ पता नहीं था. पावर ग्रिड से बिजली की सप्लाई के लिए भी अमित यादव और देवकरन यादव को कई चक्कर लगाने पड़े. प्रोजेक्ट को लेकर कई सरकारी अधिकारी हामी नहीं भर रहे थे.
सोलर प्लांट का इंस्टॉलेशन पूरा होने के बाद भी प्रोडक्शन शुरू नहीं हो पाया क्योंकि सरकार ने स्कीम के तहत कोई नोडल अफ़सर नहीं रखा था. अमित यादव ने शिकायत की लेकिन 3 महीने तक प्लांट ऐसे ही पड़ा रहा. इसके बाद उन्होंने PMO में शिकायत की और उनकी समस्याओं का निवारण हुआ.
बंजर ज़मीन से मुनाफ़ा
1 MW के इस प्रोजेक्ट से सालाना 17 लाख यूनिट बिजली बन सकती है. पूरे प्रोजेक्ट में कुल 3.70 करोड़ का खर्च आया और ये परिवार सालाना 50 लाख रुपये कमाई कर रहा है. सोलर एनर्जी, विंड एनर्जी जैसे प्रोजेक्ट्स में रिस्क है लेकिन ये न इंसान और पर्यावरण दोनों के लिए ही लाभदायक हैं.