5 अक्टूबर को देशभर में दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। इसलिए इस दिन पान खाने और हनुमानजी को पान का बीड़ा अर्पित करने की परंपरा रही है। पान खाना संपन्नता की निशानी मानी जाती है। आइए जानते हैं पान खाने का महत्व और इस दिन क्यों खाया जाता है पान…
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दशहरे के दिन पान खाने और बजरंगबली को पान का बीड़ा चढ़ाने की परंपरा रही है। पान का विजय का सूचक और मान-सम्मान का प्रतीक माना जाता है। भारत के हर त्योहार की कुछ न कुछ परंपरा रही है, जिस तरह दिवाली पर दिए, होली पर रंग, लोहड़ी पर आग के पास डांस करना। इसी तरह दशहरे के दिन पान खाने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि दशहरे के दिन पान खाकर लोग अधर्म पर हुई धर्म की जीत की खुशी को व्यक्त करते हैं।
पान खाने का महत्व
हिंदू धर्म में पान का प्रयोग सभी पूजा-पाठ व कथा समेत सभी शुभ कार्यों में किया जाता है। इसलिए नवरात्रि में माता को पान-सुपारी चढ़ाया जाता है। दशहरे पर पान खाने का एक कारण यह भी है कि इस समय मौसम में बदलाव शुरू हो जाता है, जिससे संक्रामक बीमारियों को खतरा बढ़ जाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में पान का खाना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। आयुर्वेद में पान खाना स्वास्थ्य के मामले में चमत्कारी माना गया है और पान व तुलसी को समान महत्व दिया है।
पान खाने से दूर रहती हैं परेशानियां
पाना खाना इसलिए भी अच्छा माना जाता है क्योंकि नवरात्रि के 9 दिन व्रत रखने के बाद अन्न ग्रहण करते हैं, जिसकी वजह से पाचन शक्ति प्रभावित हो जाती है। ऐसे में पान खाने से पाचन की प्रक्रिया सामान्य हो जाती है और पान खाकर भोजन पचाने में आसानी हो जाती है। साथ ही पेट संबंधित परेशानियां दूर हो जाती हैं।
संपन्नता की निशानी है पान खाना
दशहरे के दिन भगवान राम ने लंका के राजा रावण और मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध कर दिया था इसलिए वजह से इस पर्व को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। पान खाकर लोग कर्तव्य के रूप में बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखते हैं और जीत की खुशी मनाते हैं। पान खाना संपन्नता की निशानी मानी जाती है और इससे खुशी मिलती है। सच्चाई पर विश्वास और ईश्वर पर प्रेम दर्शाने के लिए एक-दूसरे को पान खिलाया भी जाता है।