सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को राहुल गांधी ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को बताया कि यंग इंडिया लिमिटेड का सारा काम कांग्रेस के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा देखते थे। राहुल गांधी ने पूछताछ के दौरान इस बात का भी जिक्र किया कि वह यंग इंडिया की किसी बैठक में शामिल भी नहीं हुए…
बीते तीन दिनों से कांग्रेस नेता राहुल गांधी से हो रही पूछताछ में एक ऐसा पेच फंसा हुआ है, जिसके चलते पूछताछ का सिलसिला लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक वह पेच कुछ और नहीं बल्कि द एसोसिएट जर्नल को यंग इंडिया की ओर से दिए गए वह 50 लाख रुपये हैं, जिसका जवाब तो प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को राहुल गांधी दे रहे हैं, लेकिन वे उससे संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं। यही वजह है कि राहुल गांधी को लगातार कई घंटों तक प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर में बिठाकर पूछताछ करने के बाद जांच पूरी नहीं हो पा रही है। सूत्रों के मुताबिक बुधवार तक हुई पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी राहुल गांधी के जवाब से बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं, और अब मामला आगे बढ़ता हुआ दिख रहा है।
गले से नीचे नहीं उतर रहे जवाब
सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी से पहले दिन से ही नेशनल हेराल्ड मामले में कई ऐसे सवाल पूछे जा रहे हैं जिनके जवाब तो वह दे तो रहे हैं लेकिन प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के गले के नीचे वे जवाब नहीं उतर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पूछताछ में राहुल गांधी पूरी तरीके से सहयोग तो कर रहे हैं, लेकिन जो जवाब इस पूछताछ के दौरान प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को मिलना चाहिए वह अभी तक नहीं मिल पाया है। यही वजह है कि राहुल गांधी को लगातार तीन दिनों तक पूछताछ के लिए बुलाया गया और अब एक दिन के ब्रेक के बाद शुक्रवार को फिर से जांच में शामिल होने के लिए कहा गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार से लेकर बुधवार तक राहुल गांधी से पूछे गए सवालों में सबसे अहम कड़ी यही थी कि जब यंग इंडिया ने एजेएल को टेकओवर किया तो इस पूरी प्रक्रिया के बारे में आपने किस तरीके का रोल निभाया। इसी कड़ी में अगला सवाल जब राहुल गांधी से उन 50 लाख रुपये के बारे में किया गया, जिसे देकर इसे टेकओवर किया गया तो राहुल गांधी ने इस मामले में कांग्रेस के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा का भी जिक्र किया। सूत्रों का कहना है कि मोतीलाल वोरा के जिक्र के साथ प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी इसलिए संतुष्ट नजर नहीं आए, क्योंकि अब इस पूरे मामले में जवाब देने के लिए मोतीलाल वोरा जीवित नहीं हैं। प्रवर्तन निदेशालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक यह संभव नहीं है कि यंग इंडिया के डायरेक्टर को इस बात की जानकारी ही न हो कि 50 लाख रुपये देकर कोई इतना बड़ा सौदा किया गया हो। सूत्रों का कहना है कि बतौर निदेशक जब कुछ टेकओवर किया जाता है तो उसमें तमाम ज़रूरी दस्तावेजों के साथ कई जगह दस्तखत भी होते हैं। यह कहना कि इस पूरे मामले में डायरेक्टर को कोई जानकारी नहीं है, यह बात गले से नीचे नहीं उतर रही है।सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को राहुल गांधी ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को बताया कि यंग इंडिया लिमिटेड का सारा काम कांग्रेस के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा देखते थे। राहुल गांधी ने पूछताछ के दौरान इस बात का भी जिक्र किया कि वह यंग इंडिया की किसी बैठक में शामिल भी नहीं हुए। यही वजह है कि उन्हें इस पूरे मामले में कोई जानकारी नहीं है। सूत्रों का कहना है कि ईडी के अधिकारियों ने राहुल गांधी से सोमवार को पूछताछ के दौरान यंग इंडिया लिमिटेड कंपनी की संपत्ति में हुए अचानक इतने ज्यादा इजाफे को लेकर सवाल किया। प्रवर्तन निदेशालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी अपनी इस पूछताछ के दौरान सहयोग तो कर रहे हैं, लेकिन उनके दिए जाने वाले जवाब से ईडी सहमत नहीं हो पा रही है। यही वजह है कि राहुल गांधी से लगातार पूछताछ की जा रही है।
इस पूरे मामले में प्रवर्तन निदेशालय की टीम मोतीलाल वोरा मलिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल से पूछताछ कर चुकी है। सूत्रों का कहना है कि कि पूछताछ के दौरान राहुल और सोनिया गांधी तक जांच का दायरा पहुंच गया था। क्योंकि इस कंपनी में मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस भी शेयर होल्डर थे और दोनों की मृत्यु हो चुकी है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि संभव है प्रवर्तन निदेशालय अपनी पुरानी पूछताछ के दौरान दिए गए मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के जवाबों को टटोले। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामले में अगर इस बात की पुष्टि होती है कि सभी मामलों की देखरेख मोतीलाल वोरा के माध्यम से होती थी, तो भी संभवत राहुल गांधी को इसमें कोई राहत मिलती हुई नहीं दिख रही है।