शिक्षा: स्कूल खुलने से छूटी मोबाइल की आदत, बेहतर माहौल देने में जुटे शिक्षक

स्कूलों में हाजिरी 95 फीसदी से अधिक पहुंच गई है लेकिन कुछ बच्चों में अभी भी असुरक्षा की भावना, कुछ मानसिक तनाव से ग्रसित हैं। बच्चों के भावनात्मक व्यवहार और सोच में भी कोरोना के चलते बदलाव आया है। 

कोरोना के कारण दो सालों तक घर बैठकर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी अब धीरे-धीरे स्कूल के माहौल में ढलने लगे हैं। अक्सर मोबाइल से चिपके रहने की आदत भी बच्चों से छूटने लगी है। हालांकि विद्यार्थियों को स्कूल के नियमों और अनुशासन में ढलने में मुश्किल हो रही है लेकिन शिक्षक इसमें उनकी मदद कर रहे हैं। 

स्कूलों में हाजिरी 95 फीसदी से अधिक पहुंच गई है लेकिन कुछ बच्चों में अभी भी असुरक्षा की भावना, कुछ मानसिक तनाव से ग्रसित हैं। बच्चों के भावनात्मक व्यवहार और सोच में भी कोरोना के चलते बदलाव आया है। 

स्कूलों में अब शिक्षक मानसिक तौर पर बच्चों को तैयार कर रहे हैं। राजधानी शिमला के 1800 से अधिक छात्राओं वाले कन्या वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल पोर्टमोर में छात्राओं का तनाव कम करने और सीखने की क्षमता बढ़ाने के लिए दस से पंद्रह मिनट के काउंसलिंग सेशन हो रहे हैं। स्कूल में मोबाइल साथ लाने पर प्रतिबंध लगाया है। हर रोज स्कूल बैग चेक होता है, ताकि मोबाइल की आदत से बच्चों को बाहर निकाला जा सके।

छोटे बच्चों को खेलने की पूरी छूट  
केंद्रीय प्राथमिक स्कूल पोर्टमोर में नर्सरी और केजी के पहली बार कक्षाओं में बैठे बच्चों को शिक्षक हाथ में पेंसिल पकड़ाकर लिखना सिखा रही हैं। प्ले वे तकनीक का भी इस्तेमाल हो रहा है। कक्षा में बच्चों को खिलौनों से खेलने की छूट दी जा रही है ताकि बच्चे स्कूल आने से न कतराएं और उन्हें स्कूल में घर जैसा माहौल मिल सके।

छात्राओं को किया जा रहा जागरूक  : सूद
कन्या वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल पोर्टमोर के प्रधानाचार्य नरेंद्र सूद ने बताया कि दो साल तक ऑनलाइन पढ़ाई के आदी हो चुके विद्यार्थियों की आदतों में बदलाव लाने की कोशिशें जारी हैं। हर कक्षा में पिछली दो कक्षाओं की पढ़ाई अलग से करवाई जा रही है जिससे उनका आधार मजबूत हो सके। साफ सफाई और संक्रमण से सुरक्षा को लेकर नियमित तौर पर जागरूक किया जा रहा है। 

बच्चों को मानसिक रूप से कर रहे तैयार : डॉ. नीति
मनोविज्ञान विषय की प्रवक्ता डॉ. नीति गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थियों के व्यवहार में बदलाव लाने और उन्हें मानसिक रूप से तैयार करने के लिए काउंसलिंग की जा रही है। फोन कॉल पर भी काउंसलिंग कर रहे हैं। शिक्षक स्कूल में बेहतर माहौल बनाने, सीखने के लिए प्रेरित करने, मोबाइल पर निर्भरता कम करने के प्रयास हो रहे हैं। 

कक्षा में बैठना भूल गए छोटे बच्चे : जिस्टू 
केंद्रीय प्राथमिक स्कूल पोर्टमोर के मुख्य शिक्षक संजीव जिस्टु ने कहा कि स्कूल बंद रहने से नर्सरी से पांचवीं तक के छात्रों की आदतें बदली हैं। वह लिखना और ज्यादा देर तक कक्षा में बैठना भूल गए हैं। अब धीरे-धीरे बच्चों की यह आदतें बदल रहे हैं।

परीक्षा का डर हुआ कम : स्नेहा
जमा एक कक्षा की छात्रा स्नेहा ने कहा कि स्कूल शुरू होने पर पढ़ाई और परीक्षा को लेकर जो डर था वह कम हो गया है। स्कूल में जो समझ नहीं आता सीधे शिक्षक से समझ सकते हैं।

मोबाइल की आदत छूट गई : जिज्ञासा 
12वीं कक्षा की छात्रा जिज्ञासा ने कहा कि ऑनलाइन कक्षाएं अब बंद हो गई है। इसलिए मोबाइल भी इस्तेमाल नहीं कर पा रहे। स्कूल आकर सब अच्छे से समझ आ रहा है। 

स्कूल शुरू होने से बच्चे खुश : पूजा
अभिभावक पूजा ने कहा कि स्कूल शुरू होने से बच्चे खुश नजर आ रहे हैं। नियमित तौर पर घर में बैठकर होम वर्क और पढ़ाई भी करने लगे हैं।