बीएसएफ की तरह केंद्रीय सुरक्षा बलों में एक जैसी ‘बेल्ट’ और ‘जूते’ लागू करने की कवायद

One Nation, One Uniform: सीआरपीएफ के पूर्व सहायक कमांडेंट सर्वेश त्रिपाठी कहते हैं, ये पहल अच्छी है। बेहतर होगा कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अलावा सभी प्रदेशों में भी पुलिस की एक जैसी वर्दी हो। वहां आईपीएस अधिकारी की टोपी अलग होती है, निचले रैंक की अलग…

One Nation, One Uniform
One Nation, One Uniform

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में ‘एक राष्ट्र, एक पुलिस वर्दी’ का विचार दिया था। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में इससे पहले ही ‘एक राष्ट्र, एक पुलिस वर्दी’ पर काम शुरू हो गया है। जिस तरह बीएसएफ में सिपाही से लेकर डीजी तक एक जैसी बेल्ट और जूते हैं, वैसे ही दूसरे सुरक्षा बलों ‘सीएपीएफ’ मसलन, सीआरपीएफ, आईटीबीपी व एसएसबी आदि में भी वही पैटर्न लागू किया जाए। इन बलों में अभी रैंक के मुताबिक, बेल्ट और जूते बदलने का नियम है। सीआरपीएफ ने इस संबंध में अपने एक पत्र के जरिए इन बलों की राय मांगी है।

जूते और बेल्ट के रंग में एकरूपता

सीआरपीएफ द्वारा 19 अक्तूबर को आईटीबीपी को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि सीएपीएफ में राजपत्रित अधिकारियों एवं अन्य पदाधिकारियों के जूते और बेल्ट के रंग में एकरूपता लाने के लिए अपनी राय दें। जिस तरह सीमा सुरक्षा बल ‘बीएसएफ’ में सभी जवानों और अधिकारियों की एक जैसी ड्रेस है, उसे अन्य बलों में भी लागू किया जा सकता है। बीएसएफ में काले रंग के जूते और काले रंग की बेल्ट इस्तेमाल होती है। इस बाबत आईटीबीपी महानिदेशालय से 28 नवंबर तक सुझाव देने का आग्रह किया गया है। बल के फ्रंटियर मुख्यालय ने इस पत्र को अपनी यूनिटों में बढ़ा दिया है। जैसे नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर से इस संबंध में 15 नवंबर तक राय मांगी गई है।

बीएसएफ के डीजी नहीं लगाते टाइटल शोल्डर

सामान्य तौर पर यह उम्मीद की जाती है कि सीएपीएफ में जो आईपीएस बतौर प्रतिनियुक्ति ज्वाइन करते हैं, वे संबंधित बल का टाइटल शोल्डर लगाएंगे। हालांकि यह बात दूसरे कई बलों में नहीं मानी जाती। आईपीएस अफसर का मन करता है, तो वह उस बल का टाइटल शोल्डर लगा लेते हैं, अन्यथा वे ‘आईपीएस’ ही लिखते हैं। आईटीबीपी के पूर्व डीजी आरके भाटिया अपने कंधे पर आईटीबीपी लिखते थे, जबकि उनके बाद के अधिकांश डीजी आईपीएस लिखते रहे हैं। आईटीबीपी के डीजी रहे एसएस देशवाल के पास जब बीएसएफ का अतिरिक्त चार्ज था, तो वे अपने कंधे पर आईपीएस लिखते थे।

गुजरात कैडर के 1984 बैच के आईपीएस राकेश अस्थाना ने जब ‘बीएसएफ’ के 27वें डीजी का पदभार ग्रहण किया, तो उनके कंधे पर टाइटल शोल्डर नहीं लिखा था। यानी कंधे पर न तो आईपीएस लिखा है और न ही बीएसएफ। उनकी बेल्ट का रंग भी काला था। उन्हें डीजी का पदभार सौंपने वाले आईटीबीपी डीजी एसएस देसवाल के कंधे पर आईपीएस लिखा था। उनकी बेल्ट भी ब्राउन कलर की थी।

‘टाइटल शोल्डर’ वाली जगह को खाली रखते हैं

बीएसएफ से रिटायर एडीजी एसके सूद बताते हैं, अगर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल ‘सीएपीएफ’ की बात करें, तो इनमें से केवल बीएसएफ के अफसरों को ही ‘टाइटल शोल्डर’ लगाने से छूट मिली है। हालांकि यह छूट कमांडेंट जो कि ‘सिलेक्शन ग्रेड’ में आ गया हो, या डीआईजी के पद से शुरू होती है। डीआईजी से लेकर डीजी तक चाहे कोई आईपीएस हो या कैडर अधिकारी, वे सब ‘टाइटल शोल्डर’ वाली जगह को खाली रखते हैं। दूसरे किसी भी बल जैसे सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी या सीआईएसएफ में ऐसा नहीं है। वहां डीजी तक के सभी अफसरों को अपने कंधे पर बतौर ‘टाइटल शोल्डर’ आईपीएस या बल का नाम लिखना होता है।

सभी प्रदेशों में भी पुलिस की एक जैसी वदी हो

सीआरपीएफ के पूर्व सहायक कमांडेंट सर्वेश त्रिपाठी कहते हैं, ये पहल अच्छी है। बेहतर होगा कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अलावा सभी प्रदेशों में भी पुलिस की एक जैसी वर्दी हो। वहां आईपीएस अधिकारी की टोपी अलग होती है, निचले रैंक की अलग। सभी के एक साथ रैंक व बैज हटा दिए जाएं। वर्दी का मतलब यूनिफॉर्मिटी होता है। ब्रिटेन में सिपाही से लेकर डीजी तक सब एक जैसे हैं। राज्य में जूते, बेल्ट या टोपी के मामले में सिपाही से लेकर डीजी तक सभी बराबर हों। एक बैज, एक बेल्ट और एक जैसे जूते हों। इस व्यवस्था में सिपाही से लेकर डीजी तक सभी को गर्व होगा। कंधे पर एक जैसे बैज हों, टोपी में बराबरी रहे और वर्दी के रंग में कोई अंतर न रहे।