शिमला, 14 अक्तूबर: हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। भारतीय निर्वाचन आयोग ने चुनावी कार्यक्रम जारी कर दिया है। राज्य में चुनाव आचार संहिता केंद्रीय मंत्री अमित शाह के सतौन प्रवास से ठीक एक दिन पहले लागू हुई है।
ऐसी उम्मीद थी कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की आभार रैली में शिरकत करने से पहले अधिसूचना जारी होने की खबर आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सिरमौर के गिरिपार के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का निर्णय लिया गया था। इससे जुड़ी अधिसूचना भी जारी होेनी थी।
केंद्र सरकार ने चाणक्य नीति के तहत अनुसूचित जाति को इस दर्जे से बाहर रखने का निर्णय लिया, क्योंकि अनुसूचित जाति में इस बात को लेकर असंतोष पनप गया था कि समुदाय को एसटी का स्टेटस मिलने से एट्रोसिटी एक्ट समाप्त हो जाएगा।
बता दें कि हाटी समुदाय में हरेक जाति से जुड़ी जनसंख्या शामिल है। केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय के बाद भाजपा ने इसका सियासी फायदा उठाने की कोशिश जमकर की है। इसी कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सतौन में आभार रैली भी प्रस्तावित की गई। ऐसी संभावना थी कि केंद्रीय मंत्री की आभार रैली के बाद चुनाव आचार संहिता लागू होगी, लेकिन भारतीय निर्वाचन आयोग ने आभार रैली से एक दिन पहले चुनाव आचार संहिता को लागू कर दिया।
चुनाव आचार संहिता लागू होने से सरकारी मशीनरी रैली से पांव पीछे खींच लेगी। साथ ही रैली को सफल बनाने में सरकारी तंत्र का इस्तेमाल भी नहीं हो सकेगा। करीबन दो सप्ताह से सरकारी योजनाओं का प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जमकर प्रचार भी चल रहा है।
ट्रांसगिरि इलाके की आबादी 3 लाख के पार है। लेकिन एसटी का स्टेटस तकरीबन पौने दो लाख लोगों को दिया जा रहा है। कुल आबादी में से अनुसूचित जाति को बाहर रखा गया है।
दीगर बात ये भी है कि ट्रांसगिरि में ओबीसी की आबादी भी काफी है। ओबीसी वर्ग ने एसटी का स्टेटस मिलने का विरोध नहीं किया है। जबकि नाहन विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर समाज ने खुलकर केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का विरोध किया। देखना ये होगा कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर भाजपा सियासी लाभ उठा पाती है या नहीं।