धड़ाधड़ बिक रहे इस कंपनी के इलेक्ट्रिक स्कूटर, 10 महीने में बना डाली 1 लाख गाड़ियां

ओला ने हाल ही में पहले सबसे सस्ता ई-स्कूटर लॉन्च किया है.

ओला ने हाल ही में पहले सबसे सस्ता ई-स्कूटर लॉन्च किया है.

नई दिल्ली. बेंगलुरु स्थित ईवी स्टार्ट अप ओला इलेक्ट्रिक ने घोषणा की है कि कंपनी ने तमिलनाडु के कृष्णागिरी में स्थित अपने सभी महिलाओं द्वारा चलने वाली फ्यूचरफैक्ट्री से 1 लाखवां इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च किया है. ईवी निर्माता ने पिछले साल नवंबर के आखिर में बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया और केवल 10 महीनों में इस उपलब्धि को हासिल करने में सफल रही. ओला इलेक्ट्रिक के मौजूदा उत्पाद पोर्टफोलियो में एस1 एयर, एस1 और एस1 प्रो इलेक्ट्रिक स्कूटर शामिल हैं.

इस उपलब्धि पर बोलते हुए भाविश अग्रवाल ने कहा, “भारत के विद्युतीकरण की दिशा में अपनी यात्रा शुरू करने के बाद से हमने ग्राहकों को किसी भी उत्पाद की तुलना में बहुत बेहतर उत्पाद और अनुभव प्रदान करके अपने देश में ईवीएस की क्षमता को अनलॉक किया है. यह उपलब्धि सिर्फ शुरुआत है.”

कंपनी बनाएगी ज्यादा स्कूटर
अग्रवाल ने आगे कहा कि अगले 1 लाख इलेक्ट्रिक स्कूटर इस आधे समय में होगी बनाए जाएंगे, क्योंकि ईवीएस की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है. भारत मिशन इलेक्ट्रिक को पहले से कहीं ज्यादा हकीकत बनाने के करीब है. गौरतलब है कि ओला इलेक्ट्रिक ने अक्टूबर 2022 में भारत में 20,000 इलेक्ट्रिक स्कूटर बेचे हैं, जो सभी ईवी निर्माताओं में सबसे ज्यादा संख्या है. ओला की यह बिक्री पिछले महीने के हिसाब से  60 फीसदी ज्यादा है.

3 इलेक्ट्रिक स्कूटर बेचती है कंपनी
Ola Electric ने हाल ही में भारत में S1 Air इलेक्ट्रिक स्कूटर भी लॉन्च किया था. S1 Air, Ola के लाइन-अप में S1 और S1 Pro से छोटा मॉडल है. वर्तमान में कंपनी का सबसे किफायती इलेक्ट्रिक स्कूटर है. इसकी एक्स शोरूम कीमत 84,999 रुपये रखी गई है. Ola S1 Air में 2.5 kWh का लिथियम-आयन बैटरी पैक मिलता है और दावा किया जाता है कि यह प्रति चार्ज 101 किमी तक की रेंज दे सकता है.

कारखानों में क्षमता बढ़ा रही कंपनी
अग्रवाल ने पिछले महीने दीपावली से पहले नए एस1 एयर इलेक्ट्रिक स्कूटर को पेश करते हुए अग्रवाल ने कहा था कि अगले छह से आठ महीनों में हम मौजूदा स्थापित क्षमता का पूरा दोहन कर सकते हैं, बल्कि भावी कारखानों में क्षमता और बढ़ा रहे हैं. कंपनी के अधिकारियों ने बताया अभी उसकी मौजूदा क्षमता 20 लाख इकाई सालाना है और छह से आठ महीनों में इसका पूरा दोहन हो जाएगा.