नर हाथियों का एक फेज होता है जब वे मस्त स्थिति में होते हैं। उनके शरीर में testosterone अधिक होता है और वे ज्यादा ऊर्जा महसूस करते हैं। इसी समय वे ज्यादा आक्रामक और आपे से बाहर हो जाते हैं। और यह अवस्था बुल एलिफेंट के स्वस्थ होने का भी लक्षण है।
नई दिल्ली: 28 सितंबर को ओडिशा के कटक में गुस्साए हाथी ने दो लोगों को कुचलकर (Elephant Attack) मार डाला। हाथियों का झुंड जंगल से रिहायशी इलाके में आ गया था, जिसके चलते स्कूल भी बंद कराने पड़े। दो लोग सेल्फी लेने की कोशिश कर रहे थे और हाथी के हमले में घायल हो गए। दूसरी घटना भी दो दिन पहले की है। केरल के इडुक्की जिले में जंगली हाथियों का झुंड आक्रामक हो गया तो एक शख्स को भागकर पेड़ पर चढ़ना पड़ा। उसे डेढ़ घंटे तक पेड़ पर ही शरण लेनी पड़ी। हो सकता है कभी आपने भी हाथियों (Musth Elephant) का गुस्सा देखा हो। ऐसे में सवाल उठता है कि हाथी महाशय को आखिर इतना गुस्सा क्यों आता है? आज ‘जंगल न्यूज’ की इस कड़ी में बात इसी सवाल की।
वैसे तो ‘हाथी मेरा साथी’ पर गुस्साए तो खैर नहीं
आमतौर पर हाथी को इंसानों को दोस्त माना जाता है क्योंकि दोनों के बीच बॉन्डिंग अच्छी होती है। यह सामाजिक और समझदार जानवर माना जाता है। विशालकाय शरीर और ताकत के मामले में हाथी बड़े-बड़ों को धूल चटा सकता है। इन्हें गुस्सा आ गया तो फिर खैर नहीं। उस फिल्मी डायलॉग की तरह… फिर मैं अपने आप की भी नहीं सुनता। ये कार को पलट देते हैं, उसी पर बैठ जाते हैं, बाइक को चकनाचूर कर देते हैं। हाथियों का गुस्सा शेर या किसी जंगली हिंसक जानवर के कारण या प्रकृति की नाइंसाफी के चलते फूटता है। हालांकि यह एक और छोटी वजह है।
प्रकृति का बुलडोजर
जरा जंगल के बारे में सोचिए। हाथी के खाने के लिए तो घूमते-घूमते कुछ मिल जाता है लेकिन पानी सीमित रहता है। ऐसे में इन्हें झुंड में पानी के नए स्रोत की तलाश में भटकना पड़ता है। अगर हाथी के बच्चे साथ में हैं तो वे उन्हें बचाने के लिए भी बेकाबू हो जाते हैं। हालांकि कई बार ऐसा भी देखा गया है कि हाथी अपने छोटे बच्चे की किसी बात या हरकत से नाराज होकर उन्हें ही कुचल देते हैं। इन्हें ‘प्रकृति का बुलडोजर’ ऐसे ही नहीं कहा जाता है।
गुस्से की सबसे बड़ी वजह
अब वो महत्वपूर्ण वजह जान लीजिए जिसके कारण हाथी मदमस्त हो जाता है। इस अवस्था में हाथी अपने महावत को भी मार देते हैं। वास्तव में यह हाथी का कुछ दिनों या महीने का सीजन होता है। जुलाई से दिसंबर माह के बीच का समय जंगली नर हाथियों के मस्त होने का समय होता है। इस समय नर हाथी को वंश बढ़ाने के लिए मादा की जरूरत होती है। एक वयस्क नर हाथी 3 से 6 महीने तक मस्त अवस्था में रहता है। 15 साल के युवा हाथी 15 दिन से एक महीने तक मस्त रहते हैं।
अकेला हाथी दिखे तो सतर्क रहिए
जब किसी दल में एक से अधिक नर मस्त हो जाते हैं तो उस दल का मुख्य नर, जो सभी मादाओं पर अपना अधिकार जताता है, दूसरे मस्त नरों को बाहर कर देता है। ऐसे में मस्त हाथी अपने दल से अलग विचरण करता है, वह ज्यादा खतरनाक और आक्रामक हो सकता है। इनसे ज्यादा सतर्क रहना चाहिए।
झाड़ी में छिपता है मदमस्त हाथी
हाथियों के स्वभाव के बारे में जानकारी रखने वाले संतोष रात्रे बताते हैं कि अकेले विचरण करने वाले इन हाथियों का व्यवहार अप्रत्याशित होता है। ये चिड़चिड़े और गुस्सैल होते हैं और झाड़ियों में छिपे रहते हैं। मस्त नर हाथी का विशेष लक्षण इनके पिछले पैर का गीला होना है। इनके व्यवहार के बारे में कुछ भी अनुमान लगा पाना मुश्किल होता है। जब कोई आसपास दिखता है तो ये हमला कर सकते हैं। ये बार-बार पेशाब करते रहते हैं।