Elon Musk news: जब रूसी डिजाइनर ने एलन मस्क पर थूक दिया था… कहानी स्पेस इंडस्ट्री में क्रांति लाने वाली SpaceX की

यह बात उन दिनों की है जब स्पेसएक्स (SpaceX) की स्थापना भी नहीं हुई थी। एलन मस्क (Elon Musk) रॉकेट का जुगाड़ करने की उधेड़बुन में थे। इसी सिलसिले में वह रूस पहुंचे। उनकी मंशा रूस से आईसीबीएम (ICBM) खरीदकर उसे इस्तेमाल करने की थी। लेकिन एक घटना ने उनका मन बदल दिया था और इसके बाद उन्होंने खुद ही रॉकेट बनाने का काम शुरू किया।

Elon Musk and SpaceX

नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क (Elon Musk) ने इंसान को मंगल पर पहुंचाने का सपना देखा है। इस मिशन के साथ उन्होंने 2002 में स्पेसएक्स (SpaceX) की स्थापना की थी। आज इस कंपनी के नाम कई रेकॉर्ड दर्ज हैं और यह स्पेस इंडस्ट्री में बड़ा नाम बनकर उभरी है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) अपने अंतरिक्षयात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर पहुंचाने के लिए स्पेसएक्स के रॉकेट्स का सहारा ले रही है। लेकिन इसके लिए सफर आसान नहीं था। कंपनी को एक के बाद एक कई नाकामियों का सामना करना पड़ा। मस्क ने अपनी सारी जमा पूंजी इसमें झोंक दी थी। उन्होंने रूस से भी रॉकेट खरीदने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। एक वक्त ऐसा आया कि मस्क का सारा पैसा खत्म हो गया था। यहां तक कि उन्हें अपनी गाड़ी भी बेचनी पड़ी थी। लेकिन मस्क ने कभी हार नहीं मानी। आज स्पेसएक्स इस इंडस्ट्री में काम कर रही नई कंपनियों के लिए आदर्श बनकर उभरी है। आज कंपनी के पास नासा समेत कई कंपनियों के ऑर्डर हैं।

अमेरिकी बिजनस कॉलमनिस्ट और लेखक एश्ली वेंस ने अपनी किताब ‘Elon Musk: How the Billionaire CEO of SpaceX and Tesla is Shaping Our Future’ में स्पेसएक्स से जुड़ी एक घटना का जिक्र किया है। यह उस समय की बात है जब स्पेसएक्स की स्थापना भी नहीं हुई थी। मस्क रॉकेट लॉन्च पर दो से तीन करोड़ डॉलर खर्च करना चाहते थे। लेकिन जानकारों का कहना था कि यह संभव नहीं है। रॉकेट लॉन्च पर कितना खर्च आता है, इसका पता लगाने के लिए मस्क ने रूस जाने की सोची। उनकी इच्छा रूस से आईसीबीएम (Intercontinental Ballistic Missile) खरीदकर उसके अपने लॉन्च वीकल के तौर पर इस्तेमाल करने की थी। रॉकेट और मिसाइल में एक ही तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है।

मस्क पर थूका
इस काम के लिए मस्क ने जिम कैंट्रेल नाम के एक शख्स की मदद ली। कैंट्रेल पर जासूसी के आरोप लगे थे और साल 1996 में उन्हें रूस में हाउस अरेस्ट पर रखा गया था। इस कारण वह रूस नहीं जाना चाहते थे लेकिन मस्क ने उन्हें मना लिया। अक्टूबर 2001 में मस्क, कैंट्रेल और मस्क के कॉलेज के दोस्त एडियो रेसी मॉस्को पहुंचे। इसके बाद चार महीने के अंतराल में मस्क और उनकी टीम ने तीन बार रूसियों से बात की। लेकिन बात बन नहीं पा रही थी। एक मीटिंग के दौरान रूस के एक चीफ डिजाइनर ने कैंट्रेल और मस्क पर थूक दिया। कैंट्रेल कहते हैं, ‘रूस के एक चीफ डिजाइनर ने मुझ पर और एलन पर थूक दिया था क्योंकि उसे लग रहा था कि हम बकवास लोग हैं।’

मस्क ने रॉकेट के लिए दो करोड़ डॉलर रखे थे और उनको लगता था कि इससे तीन आईसीबीएम खरीदी जा सकती हैं जिन्हें फिर वह लॉन्च कर सकते हैं। एक मीटिंग में मस्क ने रूसियों से पूछा कि एक आईसीबीएम की कीमत क्या होगी, इस पर जबाव मिला, 80 लाख डॉलर। मस्क ने कहा कि इतने में तो दो आ जाएंगी। रूसियों ने इतनी कीमत पर मिसाइल देने से साफ इनकार कर दिया। मस्क को लग गया था कि रूसी इस डील को लेकर गंभीर नहीं हैं या उनसे ज्यादा से ज्यादा पैसा ऐंठना चाहते हैं। यह फरवरी 2002 की बात है। मस्क बड़ा सपना लेकर रूस आए थे लेकिन वह वहां से खाली हाथ लौट आए। वह मायूस थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इसके बाद कंपनी ने खुद ही रॉकेट बनाने का फैसला किया। मस्क ने जून 2002 में स्पेसएक्स की स्थापना की। लेकिन सफलतापूर्वक अपना रॉकेट उड़ाने में कंपनी को छह साल लग गए।


स्पेस इंडस्ट्री में क्रांति

स्पेसएक्स साल 2008 में उस समय सुर्खियों में आई जब उसके रॉकेट ने सैटेलाइट को ऑर्बिट में पहुंचाया। वह ऐसा कारनामा करने वाली दुनिया की पहली निजी कंपनी थी। साल 2010 में उसके रॉकेट ने एक पेलोड को ऑर्बिट में स्थापित किया और फिर सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आया। स्पेसएक्स की सफलता का सबसे बड़ा राज यह है कि वह रॉकेट में इस्तेमाल होने वाला 80 फीसदी साजोसामान खुद बनाती है। इससे कंपनी को लागत कम करने में मदद मिलती है। मस्क रॉकेट बिजनस का एपल (Apple) बनना चाहते हैं। उनका सपना इंसान को मंगल पर भेजना है। उनका कहना है कि पांच लाख डॉलर के खर्च पर इंसान को मंगल पर भेजा जा सकता है और वह इसी मिशन के साथ काम कर रहे हैं।