श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़ने के बावजूद हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. बुधवार को प्रदर्शनकारी का जत्था सड़कों पर उतर आया और जबरन पीएम रनिल विक्रमसिंघे के दफ्तर में घुस गया. सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले दाग रहे थे लेकिन प्रदर्शनकारियों का जत्था पीछे नहीं हट रहा था.
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के श्रीलंका से भागने के बाद रनिल विक्रमसिंघे कार्यवाहक राष्ट्रपति बन गए हैं और उन्होंने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे गोटा-रनिल सरकार के ख़िलाफ़ हैं और दोनों के इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं.
प्रदर्शनकारी पीएम दफ्तर के गेट पर चढ़ गए थे. कुछ गेट तोड़ने की कोशिश कर रहे थे. कई प्रदर्शनकारी सुरक्षाबलों पर बोतलें फेंक रहे थे. हालांकि कुछ जगहों पर सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोई कोशिश नहीं की.
प्रधानमंत्री कार्यालय के आपातकाल और कर्फ़्यू लगाए जाने का प्रदर्शनकारियों पर कोई असर नहीं है. प्रदर्शनकारी सरकार का विरोध कर रहे हैं. 31 साल के प्रदर्शनकारी विरगा परेरा ने बीबीसी को बताया- लोग यहाँ इसके लिए हैं ताकि वे अपना भविष्य तय कर सकें
एक प्रदर्शनकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया- अगर आज शाम तक राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री इस्तीफ़ा नहीं देते, तो हम फिर इकट्ठा होंगे और संसद और अन्य सरकारी इमारतों पर क़ब्ज़ा कर लेंगे.
कार्यवाहक राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे ने एक विशेष वीडियो बयान जारी कर सेना को हालात काबू करने के लिए हरसंभव कोशिश करने को कहा है.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, ट्राइ-फोर्सेज कमांडरों और इंस्पेक्टर जनरल पुलिस (आईजीपी) की एक समिति बनाई गई है जिसकी ज़िम्मेदारी श्रीलंका में सुरक्षा बहाल करने और हालात सुधारने की है.
प्रधानमंत्री कार्याल की दूसरी मंज़िल की बालकनी पर चढ़े कुछ उत्साहित प्रदर्शनकारी श्रीलंका का राष्ट्रीय ध्वज लहरा रहे थे. ठीक इनके नीचे एक साइनबोर्ड पर लिखा था- प्रधानमंत्री कार्यालय.उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय का दरवाज़ा खोल दिया. इससे पहले उन्होंने घंटों तक आंसू गैस का सामना किया.