महाराष्ट्र के दौड के रहने वाले समीर डॉम्बे ने साल 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. एक मल्टीनेशनल कंपनी में उनका प्लेसमेंट हो गया. सैलरी ठीक होने के बाद भी उन्हें जॉब सेटिस्फेक्शन नहीं था. वह कुछ इनोवेटिव करना चाहते थे.
साल 2014 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी. वह गांव लौटे. परिवार के लोग बहुत नाराज थे. लेकिन, उन्होंने कह दिया कि वे अंजीर की खेती करने वाापस लौटे हैं. घर वालों ने बहुत मना किया, लेकिन वे नहीं माने.
समीर के मुताबिक़, उनके एरिया में अंजीर की खेती काफी अच्छी होती है. घर में भी अंजीर की खेती होती थी, लेकिन मुनाफा नहीं होता था. ऐसे में उन्होंने खेती को बिजनेस के तौर पर लिया. उन्होंने प्रोसेसिंग और पैकेजिंग का भी काम शुरू किया.
पहली बार एक एकड़ में खेती की. फूड मार्केट में सप्लाई कर दी. प्रोडक्ट सही था तो सप्लाई रेगुलर हो गया. समय के साथ दायरा बढ़ा. आज उनका प्रोडक्ट सुपर मार्केट्स में भी उपलब्ध है और ऑनलाइन भी. अब वे दूसरे किसानों के भी उत्पाद खरीदकर मार्केट में सप्लाई करते हैं.
समीर के मुताबिक जो फ्रूट्स बाजार में हार्वेस्टिंग के दो या तीन दिन बाद पहुंचते थे, वे उनके छोटे-छोटे पैकेट्स करके एक दिन के अंदर ही पहुंचाना शुरू कर दिए. ऐसे में जो पैसे बिचौलिए को मिलते थे, वे उनके पास आने लगे. बचे हुए फ्रूट्स से जेली और जैम बनाना शुरू कर दिए. वह इसे ऑनलाइन और ऑफ़लाइन बेचते हैं.
उनके मुताबिक़, सिर्फ फ्रूट्स से प्रति एकड़ डेढ़ से दो लाख रुपये का मुनाफा कमाया जा सकता है. उनकी कंपनी आज 1.5 करोड़ रुपये का टर्नओवर करती है.