व्लादिमीर पुतिन ने रूस में आंशिक सैन्य लामबंदी की घोषणा की.
मॉस्को. यूक्रेन को अपने क्षेत्र में शामिल करने के लिए पुतिन कुछ भी करने को तैयार हैं, वह परमाणु हमलों की भी धमकी दे चुके हैं, जंग के बीच उन्होंने बुधवार को द्वित्तीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार रूस में लामबंदी करने का आदेश दिया है, करीब 3 लाख सैनिकों को बुलाया है लेकिन ऐसा अनुमान लगाया गया है कि पुतिन के ये सैनिक युद्ध नहीं जीत पाएंगे बस इस युद्ध को खीचेंगे.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार आंशिक लामबंदी का आदेश देने के बाद युद्ध के लिए सेना की तैयारी शुरू हो गई है, लेकिन पुतिन का यह दृढ़ संकल्प कई सवालों से घिरा है, अभी तक इसे भी गुप्त रखा गया है कि कितने सैनिक और शामिल होने वाले हैं, हालांकि रूसी मीडिया के मुताबिक 10 लाख और सैनिक बुलाए जाएंगे. रूस में अन्य अज्ञात लोगों ने बड़े पैमाने पर ट्रेनिंग की कोचिंग में दाखिला लेना शुरू कर दिया है.
ऐसा दावा क्यों किया जा रहा है कि रूस के सैनिक युद्ध नहीं जीत सकते? दरअसल अमेरिका के युद्ध जानकारों का मानना है कि रूस ने 7 महीने से ज्यादा हुए युद्ध में पहले ही अपने हथियारों का भारी इस्तेमाल कर यूक्रेन के क्षेत्रों पर कब्जा पाया था, अब रूस के पास गुणवत्ता सैनिक नहीं है, युद्ध में भारी तबाही हुई है ऐसा नहीं है कि यूक्रेन के लोगों को ही क्षति पहुंची है, युद्ध में कई रूसी सैनिक भी मारे गए हैं. अमेरिका इस युद्ध में यूक्रेन के साथ खड़ा है, वह तरह-तरह के हथियारों की आपूर्ति कर रहा है, इसलिए यूक्रेन के सैनिक ने जबरदस्त पलटवार किया था.
लेकिन अब रूस की परमाणु हमले की धमकी से अमेरिका की नींद उड़ गई है, क्योंकि पुतिन ने पश्चिमी देशों को ही निशाने पर लिया था, खासकर अमेरिका को क्योंकि वह यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति कर रहा है. हालांकि अमेरिका ने कहा है हम रूस पर नजर रखेंगे, वह कहता है कि यूक्रेन को हथियार की आपूर्ति करते रहेंगे, लेकिन पुतिन के कड़े रूख के बाद उनका यह कार्य धीमी गति से बढ़ रहा है.