इंदिरा गांधी की हत्या (Indira Gandhi Assassination) के बाद दिल्ली समेत भारत के कई हिस्सों में दंगे भड़के थे. गांधी के सिख बॉडीगार्ड्स ने उनकी हत्या कर दी थी. 1984 के सिख दंगों (1964 Anti Sikh Riots) में पूरे भारत में 3000 से ज़्यादा सिखों की हत्या कर दी गई थी. सिख दंगों पर आधारित नेटफ़्लिक्स पर एक फ़िल्म आई है, जोगी (Jogi).
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सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ की नेटफ़्लिक्स पर एक फ़िल्म आई है, ‘जोगी’. ये फ़िल्म 1984 के सिख दंगों पर आधारित है. फ़िल्म 16 सितंबर को रिलीज़ हो गई थी और इसने दुनियाभर के लोगों को अंदर तक झकझोर कर रख दिया है.
केश काटने वाला सीन
The Lallantop
सिख धर्म को मानने वालों के लिए उनके केश बहुत मायने रखते हैं. ‘जोगी’ में एक सीन है जिसमें गुरुद्वारे में छिपे लोगों को बचाने के लिए दिलजीत दोसांझ (एक सिख) अपने केश काटता है. अली अब्बास ज़फ़र ने इस सीन को इस तरह फ़िल्माया है कि हर एक शख़्स ने वो एहसास महसूस किया.
सीन को डायरेक्ट नहीं करना चाहते थे
India Today से बात-चीत के दौरान अली अब्बास ज़फ़र ने रूह कंपाने वाले सीन से जुड़े कुछ वाकये शेयर किए. अली अब्बास ने कहा, ‘मैं सेट पर पहुंचा, कैमरे लगाए और कहा कि इस सीन को 3-4 बार शूट नहीं करेंगे, एक टेक लेंगे. मैंने टेक्निकल क्रू को कहा कि मैं एक ही टेक लूंगा जो करना है करो. फिर मैंने कहा कि कैमरे लॉक करो और बाहर चले जाओ. मैंने दिलजीत से कहा कि वो इस सीन को फ़ील करे. मैंने ये भी कहा कि आप ये बेहतर महसूस कर सकेंगे. मैं बस आपको हल्का मोटिवेशन दे सकता हूं लेकिन मैं ये सीन डायरेक्ट नहीं करना चाहता. ये आपका सीन है. जो भी दिलजीत ने सीन में किया है वो पूरी उनकी मेहनत है.’
क्रू सदस्य रो पड़े थे
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अली अब्बास ने बताया कि 5-6 लोग थे लेकिन कोई सीन की तरफ़ देख भी नहीं रहा था. अली ने कहा, ‘सब नीचे देख रहे थे और उनकी आंखों में आंसू थे क्योंकि वो कुछ ऐसा है जिसे आप तभी महसूस कर सकते हैं जब आप फ़िल्म देखेंगे और ये देखेंगे कि ये शख़्स क्या कर रहा है.’
जोगी में दिलजीत दोसांझ के साथ हितेन तेजवानी, कुमुद मिश्रा, मोहम्मद ज़ीशान अयूब, अमायरा दस्तूर नज़र आए हैं.