आजकल बच्चों को पढ़ाई, स्कूल, किताबें और कई तरह की सुख-सुविधाएं बड़ी असानी से मिल जाती हैं लेकिन कई सालों पहले ऐसा नहीं था। गांवों में बच्चों को पढ़ाई करने के लिए मीलों पैदल चलना पड़ता था।
ऑक्सफोर्ड ग्रैजुएट जूही कोरे की पोस्ट इन दिनों प्रोफेशनल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म LinkedIn पर काफी वायरल हो रही है। अपनी लंबी पोस्ट में जूही ने अपने नाना के बारे में काफी इमोशनल बात कही है। जूही को हाल ही में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री मिली है।
जूही ने बताया कि उसके नाना हमेशा चाहते थे कि वो पढ़ाई करे लेकिन अपने सोशल स्टेटस की वजह से वो पीछे रह गए। वो महाराष्ट्र के एक गांव की निचली जाति के परिवार से ताल्लुक रखते थे। उन्हें पढ़ने का बहुत मन था लेकिन उनके घरवाले दो वजहों से उन्हें स्कूल नहीं भेजना चाहते थे। 4 बच्चों में सबसे बड़े होने की वजह से उन्हें खेत में काम करना होता था ताकि उनके परिवार को दो वक्त की रोटी मिल सके और उनके माता-पिता को यह चिंता भी थी कि स्कूल में बाकी बच्चे और टीचर उनके साथ कैसा बर्ताव करेंगे।
जूही कोरे की पोस्ट
जूही कोरे की पोस्ट
घंटों पैदल चलकर स्कूल जाया करते थे
उस समय जूही के नाना ने अपने पैरेंट्स के सामने एक डील रखी कि वो रात के 3 बजे तक खेत में काम करेंगे और सबके उठने से पहले अपना काम खत्म कर के सुबह स्कूल जाएंगे। हालांकि, उनके माता-पिता का दूसरा डर सच हुआ। वो डेढ़ घंटों पैदल चलकर स्कूल जाया करते थे और उनके पैरों में कोई चप्पल भी नहीं हुआ करती थी लेकिन उन्हें स्कूल में क्लास के अंदर बैठने से मना कर दिया गया। उन्हें क्लास के बाहर बैठने के लिए कहा जाता था।
फोटो साभार : instagram
पुरानी किताबों से पढ़ाई करते थे
चूंकि, खेती के काम से सिर्फ खाना हो पाता था, कोई पैसे नहीं मिलते थे, वो अपनी ही जाति के बच्चों की पुरानी किताबों से गांव में लैंप पोस्ट के नीचे देर रात तक पढ़ाई करते थे। स्कूल में बच्चों के बुली किए जाने के बावजूद भी उनकी पढ़ाई के प्रति प्रतिबद्धता कम नहीं हुई। उन्होंने ना सिर्फ अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि परीक्षा सभी को पीछे भी छोड़ दिया। उन्होंने 60 साल की उम्र में मास्टर डिग्री पूरी की।
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इन्होंने की मदद
उनके स्कूल के प्रिंसिपल ने उनकी काफी मदद की। उन्होंने उनकी क्षमता को पहचाना और पढ़ाई में कुछ सालों तक अव्वल आने के बाद उन्होंने उनकी स्कूल की फीस और बड़े शहर में रहने का खर्चा भी दिया।
स्कूल के बाद जूही के नानाजी इंग्लिश सीखने के लिए मुंबई आ गए और यहां उन्हेंने एक सरकारी बिल्डिंग में सफाई कर्मचारी की नौकरी करते हुए बैचलर इन लॉ की डिग्री हासिल की। 60 साल की उम्र में अपनी मास्टर डिग्री के साथ वो उसी बिल्डिंग से उच्च पद के सरकारी अधिकारी के रूप में रिटायर हुए।
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